प्रतिवर्ष की भाँति इस वर्ष भी गो ० ब ० पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण एवं सतत् विकास संस्थान ,कोसी कटारमल अल्मोड़ा, कुमाऊँ,उत्तराखण्ड में प्रकृति शिविर का आयोजन 25 मार्च 2019 से 27 मार्च 2019 तक किया गया जिसमें रुद्रप्रयाग जनपद से रा ० इ ० का ० तैला द्वारा प्रतिभाग किया गया जिसका संक्षिप्त वर्णन प्रस्तुत है|
दिनाँक 24-03-2019 को गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण एवं सतत विकास संस्थान,कोसी कटारमल अल्मोड़ा कुमाऊँ के पत्रांक संख्या गो 0 ब 0 प 0 /सी 0 बी 0 सी 0 एम 0 /मार्च 8,2019 के अनुपालन में प्रकृति शिविर आओ चलकर सीखें में प्रतिभाग हेतु मैं अमृता नौटियाल (स 0 अ 0 विज्ञान )अपने विद्यालय रा 0 इ 0 का 0 तैला सिलगढ़ ,जखोली ,रुद्रप्रयाग गढ़वाल, उत्तराखंड से कक्षा 9वीं की 4 छात्राओं रूचि,पूनम ,अनामिका ,लवली को साथ लेकर रा 0 इ 0 का 0 तैला से सुबह 8 बजे चली साथ में जनपद के दो अन्य विद्यालय रा 0 इ 0 का 0 जाखाल एवं रा 0 इ 0 का 0 बाड़ा के अध्यापक श्री शंकर भट्ट जी,डॉ प्रवीन जोशी जी एवं 4 छात्राएँ भी थीं |
तैला से अल्मोड़ा तक जो भी धार्मिक ,ऐतिहासिक पर्यटन स्थल रस्ते में आते गए उनका परिचय कराते हुए हम आगे बढ़ते गए | इसी क्रम में सबसे पहले रुद्रप्रयाग पहुंचकर पतित पावनी मन्दाकिनी और अलकनंदा का संगम स्थल दिखाई दिया ,छात्राओं को इसके बारे में तथा वहाँ पर स्थित भगवान रुद्रनाथ के पौराणिक महत्त्व के बारे में जानकारी दी गयी गई |जैसे ही हम घोलत्तिर ,गोचर होते हुए कर्णप्रयाग पहुंचे तो वहाँ महारथी कर्ण का समाधि स्थल कर्णप्रयाग में जहाँ पिण्डर और अलकनंदा का संगम अपनी महत्ता को प्रदर्शित कर रहा था |यह प्रयाग पंच प्रयागों में से एक है ,यह ज्ञान भी बच्चे देखकर स्थाई कर पाये | इस प्रकार हमारी गाड़ी पिंडर नदी को छूती हुई सिमली से ग्वालदम की तरफ बढ़ चली |इसी बीच तलवाड़ी में स्थित मत्स्य प्रजनन केंद्र का अवलोकन भी छात्राओं द्वारा किया गया | रास्ते में बैजनाथ की ऐतिहासिक धरोहर बैजनाथ का शिव मंदिर देखने का सुअवसर मिला ,जहाँ चंद राजाओं की कलाकृतियों एवं धार्मिक विचारों का जीता जागता उदाहरण वहाँ की शिव और बारतीगण की मूर्ति पौराणिक और ऐतिहासिक महत्त्व बयाँ कर रही थी |
बैजनाथ मंदिर का बड़ी उत्सुकता से दर्शन करने के बाद हम जैसे ही कुमाऊँ के सुन्दर मनोहारी प्राकृतिक नज़ारों के बीच से आगे बढ़ते गए तो मन आनंदित हो उठा | आगे बढ़कर सुन्दर पहाड़ियों के बीच छात्राओं ने गाँधी जी द्वारा वर्णित स्थान कौसानी जिसे उन्होंने भारत का स्विट्ज़रलैंड कहा था ,उस स्थान को सम्मुख देखा और जाना कि प्रथम ज्ञानपीठ पुरुस्कार विजेता पंडित सुमित्रानंदन पंत की जन्मभूमि भी यही है |अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की उत्सुकता मन में लिए हम लगभग शाम को 7 :30 बजे जीबी पंत संस्थान पहुँचे ,वहाँ शाइनी मैम और कुलदीप सर बच्चों के स्वागत और व्यवस्था के लिए उपस्थित थे | कुछ विद्यालयों के बच्चे वहाँ पहले ही पहुँच चुके थे |उसके बाद रात्रि भोज की व्यवस्था थी जहाँ से सामने अल्मोड़ा शहर रात्रि में तारों की तरह चमककर अपनी अद्भुत सुंदरता को दर्शा रहा था |
25-03-2019 प्रकृति शिविर का पहला दिन उद्घाटन समारोह के साथ शुरू हुआ ,जिसमें मुख्य अतिथि संयुक्त सचिव वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ,भारत सरकार डॉ ० अरविन्द कुमार नौटियाल जी थे |
उद्घाटन समारोह में संस्थान के निदेशक डॉ० रावल जी ,वरिष्ठ वैज्ञानिकों ,डॉ ० नौटियाल जी ने सभी पर्यावण के प्रति जागरूकता को लेकर बच्चों के साथ अपने विचार साझा किये |इसके पश्चात् बालिकाओं को प्रोजेक्टर के माध्यम से विभिन्न विषयों पर शोधार्थियों द्वारा प्रजेन्टेशन दिया गया जो कि छात्राओं के लिए बहुत ही रोचक था ,फिर जैसा इस शिविर की थीम थी आओ चलकर सीखें को चरितार्थ करते हुए बच्चों को जीबी पंत संस्थान में स्थित बॉटनिकल गार्डन "सूर्य कुँज "ले जाया गया जहाँ बच्चों के तीन समूह बनाए गए |जहाँ अलग अलग समूहों को विभिन्न शोधार्थियों द्वारा औषधीय पादपों ,जीव जंतुओं तथा पक्षियों और पेड़ पौधों की संरचना के विषय में प्रत्यक्ष अनुभव द्वारा सिखाया गया |
इस शिविर की खास बात यह थी कि यह केवल बालिकाओं के लिए था तो शाम के समय बालिकाओं को पर्सनल हाइजीन को लेकर एक डॉक्युमेन्ट्री दिखाई गयी जिससे निश्चित रूप से बालिकाओं की बहुत सारी समस्याओं के समाधान के साथ ही बहुत सारे सवालों के जवाब भी मिले |
प्रकृति शिविर का दूसरा दिन
2 6 -03 -19 दूसरे दिन लगभग 10 शोधार्थियों तथा 7 जनपदों के विभिन्न 20 विद्यालयों से आयी बालिकाओं तथा उनके साथ आये अध्यापकों सभी ने प्रसिद्ध कटारमल सूर्य मंदिर के दर्शन किये|मंदिर दर्शन से पहले बालिकाओं के अलग -अलग समूहों द्वारा कटारमल गाँव में सर्वे किया गया !जिसमें मुख्य रूप से जंगली जानवरों और पानी की समस्या सामने आई |जैसे ही सभी कटारमल सूर्य मंदिर पहुंचे तो कत्यूरी राजाओं की ऐतिहासिक धरोहर छोटे बड़े मंदिर मन्त्र मुग्ध करने वाले थे |भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा इसका संरक्षण किया जा रहा है | इसके मुख्य मंदिर में स्थित सूर्य की पद्मासन में बैठी मूर्ति इसके पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व को बताती है |यह भारत का कोर्णाक सूर्य मंदिर के बाद दूसरा सूर्य मंदिर है|मंदिर परिसर में ही वहाँ के डॉ ० द्वारा बच्चों को प्राथमिक चिकित्सा की जानकारी दी गई |
कटारमल से वापस आकर बालिकाओं ने पुस्तकालय का अवलोकन किया जहां हज़ारों पुस्तकें बालिकाएं देख पायी साथ ही कई पत्रिकाएं भी थी !वहाँ से आगे बढ़े तो सूर्य कुँज के झुरमुट में बहुत सुन्दर भोजन की व्यवस्था थी वहाँ पर निदेशक डॉ ० रावल जी ,डॉ ० आई ० डी ० भट्ट जी ,कई वरिष्ठ वैज्ञानिक तथा अनेक शोधार्थी उपस्थित थे जिन्होंने बच्चों के साथ बहुत ही रोचक चर्चाएं की तथा पढ़ाई के साथ कृषि ,पर्यावरण जैसे विषयों को जोड़ने का सार्थक प्रयास किया|
उसके बाद बालिकाओं को जीबी पंत संस्थान की लैब का भ्रमण भी कराया गया जहाँ पर टिशू कल्चर से पौधों को लैब में बढ़ते देखना सभी बच्चों के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं था | दिन के अंत में सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया था|बिना किसी विधिवत तैयारी के बच्चो द्वारा ही मंच संचालन तथा पूरा कार्यक्रम बहुत ही अच्छे और मजेदार ढंग से प्रस्तुत किया गया |जनपद रुद्रप्रयाग की प्रस्तुति भी शानदार रही |इस तरह प्रकृति शिविर का दूसरा दिन भी यादगार रहा|
प्रकृति शिविर का तीसरा दिन
प्रकृति शिविर का अंतिम दिन था पर ऐसा लग रहा था मानो हम यहाँ कल ही तो आये थे समय का पता ही नहीं चला |नाश्ते के बाद बच्चों को आरटीसी की विजिट करवायी गयी जहाँ पर जीबी पंत संस्थान ग्रामीण क्षेत्रों में संभावनाओं को तलाशता है|ग्रामीण क्षेत्रों के उपलब्ध साधनों को किस प्रकार रोजगार से जोड़ा जा सकता है इसका एक नमूना प्रस्तुत करता है|वहाँ पर बालिकाओं को मशरूम उत्पादन ,वर्मीकम्पोस्ट ,हस्तनिर्मित कारीगरी एकीकृत कृषि तथा चीड़ की पत्तियों (पिरूल )से किस प्रकार जलाने के लिए ईटें ,गत्ते तथा फाइन पेपर बनाया जा रहा है यह सब बच्चे देख और समझ पाए| बालिकाओं ने यहाँ पर अपने गाँव में क्या -क्या संभावनाएं हैं यह जरूर ही सीखा होगा क्यूँकि ये सब वो ही संसाधन थे जो उनके गाँव में आसानी से पाए जाते हैं |
आरटीसी से वापस आकर बच्चों ने निबन्ध ,पेंटिंग ,कविता लेखन ,मॉडल निर्माण प्रतियोगिता में भाग लिया| रा ० इ ० का ० तैला के बच्चों द्वारा स्कूल कंज़र्वेशन मॉडल बनाया गया जो की सभी के द्वारा सराहा गया तथा स्वयं निदेशक महोदय ने कहा कि ऐसा मॉडल धरातल पर उतरे इसके लिए जीबी पंत संस्थान की तरफ से पूरा सहयोग प्रदान किया जायेगा और डॉ ० रावल जी ने विद्यालय की और से प्रपोज़ल भेजने के लिए कहा गया जिसके बाद बच्चे अपनी उपलब्धि से बहुत खुश थे |उसके बाद समापन समारोह का आयोजन किया गया था जिसमें छात्राओं को पुरूस्कार वितरण किया गया |
लगभग 3 :0 0 बजे शाम को कार्यक्रम का समापन हुआ फिर रुद्रप्रयाग और चमोली जनपद से आयी सभी बालिकाएं अपनी -अपनी गाड़ी में अल्मोड़ा में स्थित न्याय के देवता नाम से प्रसिद्ध गोलू देवता के मंदिर गए|वहाँ घंटियों के साथ लगे हुए लाखों की संख्या में पत्र लोगो की श्रद्धा और विश्वास को बयाँ कर रहे थे |बालिकाओं ने भी गोलू देवता के नाम अपने पत्र लिखे |वापस आते हुए बच्चे अल्मोड़ा के पटाल बाजार तथा लाल बाजार घूमे वो बहुत खुश लग रहे थे| बालिकाओं ने अल्मोड़ा की प्रसिद्ध बाल मिठाई और पान का मजा लिया फिर हम लगभग 6 :30 पर वापस जीबी पंत संस्थान वापस पहुँचे| जहाँ रात्रि भोज के बाद सभी बच्चे आराम से सो गए|
28 -03 -19 की सुबह 5 :00 बजे रुद्रप्रयाग जनपद से गयी सभी बालिकाओं, श्री शंकर भट्ट जी (विज्ञान अध्यापक) तथा डॉ ० प्रवीन जोशी जी जो ,शुरू से इस तीन दिवसीय कैंप में हमारे साथ रहे अपनी गाड़ी से वापसी को चल पड़े|वापस आते हुए प्राकृतिक नज़ारों का लुत्फ़ लेते हुए सुबह -सुबह रानीखेत गोल्फ मैदान में घूमें|आगे दिवालीखाल में नाश्ता किया उसके पश्चात बालिकाओं को गैरसैण बिधानसभा दिखाई जहाँ बच्चे देख पाए कि राजधानी बनने का कार्य पूरे जोर शोर से चल रहा है |

गैरसैण से आगे बढ़ने के बाद हमने पंच बद्री में प्रथम बद्री आदिबद्री के दर्शन किये | लगभग 2 :00 बजे दोपहर सभी बालिकाएं अपने -अपने घरों को पहुँच चुकी थी |यात्रा सुखद ,ज्ञानवर्धक और बालिकाओं के लिए एक नए अनुभवों को लिए हुई थी | बालिकाओं और अध्यापकों को पर्यावरण विविधता को नए दृष्टिकोण से समझने का सुअवसर देने के लिए गो ० ब ० प ० राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण एवं सतत् विकास संस्थान का बहुत -बहुत धन्यवाद |इस प्रकार के प्रकृति शिविर बच्चों को जैवविविधता ,पर्यावरण के संरक्षण के लिए जीवन भर प्रेरित करते रहेंगे |जीबी पंत संस्थान प्रतिवर्ष नए ग्रीन एम्बेस्डर तैयार कर रहा है और आगे भी करता रहेगा जो पृथ्वी को बचाने में अपना सहयोग देते रहेंगे |
अमृता नौटियाल
स ० अ ० विज्ञान
रा ० इ ० का ० तैला सिलगढ
जखोली ,रूद्रप्रयाग
उत्तराखण्ड !