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Friday, April 10, 2020

प्रारूप राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 cabinet approved::महत्वपूर्ण बिन्दु

   
            
  आइए विज़न से  शुरुआत करते हैं   →
"राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 एक भारत केंद्रित शिक्षा प्रणाली की कल्पना करती है जो सभी को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान करके, हमारे राष्ट्र को एक न्याय संगत और जीवंत समाज में लगातार बदलने में योगदान देती है।
वैज्ञानिक ,पद्म विभूषण डॉ 0 के 0 कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में  नई शिक्षा नीति 2019 का ड्राफ्ट दस्तावेज तैयार किया गया जिसके महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार से हैं-
     शिक्षा का परिणाम, 'मानव व्यक्तित्व की सर्वांगीण विकास'  स्वामी विवेकानंद  के अनुसार," सिर्फ सूचना एकत्रित करना नहीं बल्कि अंतर्निहित पूर्णता की अभिव्यक्ति", लर्निंग : द  ट्रेजर विद इन जैसी प्रभावी रिपोर्ट 21वीं सदी के लिए अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा आयोग 1990 में यूनेस्को को कुछ इस प्रकार से प्रस्तुत किया था जो शिक्षा के निम्न चार स्तंभ बताता है-    
 1-जानने के लिए सीखना -   ज्ञान का एक मुख्य हिस्सा प्राप्त करना और क्या सीखना कि सीखते कैसे हैं? ताकि जिंदगी भर शिक्षा द्वारा मिलने वाले अवसरों का लाभ उठाया जा सके। 
2-  करने के लिए सीखना-न केवल एक व्यवसायिक कौशल प्राप्त करना बल्कि कई परिस्थितियों से निपटने और टीमों में काम करने की क्षमता और कौशल का एक पैकेज जो किसी को व्यावहारिक जीवन की विभिन्न चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनाता है।
3- साथ रहने के लिए सीखना-
अन्य लोगों की समझ विकसित करना और अनेकवाद के मूल्यों, आपसी समझ और शान्ति के  प्रति सम्मान की भावना में परस्पर निर्भरता की कद्र करना।
4- होने के लिए सीखना-
   किसी के व्यक्तित्व को विकसित करना और स्वायत्तता, निर्णय और व्यक्तिगत जिम्मेदारी के साथ कार्य में सक्षम होना, साथ ही यह भी ध्यान रखना कि शिक्षा किसी व्यक्ति की क्षमता के किसी भी पहलू: स्मृति, तर्क, सौंदर्य बोध ,शारीरिक क्षमता और संचार कौशल की उपेक्षा नहीं करता है।

         नीति शिक्षा को व्यापक अर्थों में समझते हुए न केवल संज्ञानात्मक कौशल बल्कि सामाजिक और भावात्मक कौशलों में सभी विद्यार्थियों को दक्ष बनाने की जोरदार वकालत करती है। इसके साथ ही भारतीयत परंपराओं महान विविधताओं और समृद्ध विरासत को पोषित संरक्षित और शिक्षा प्रणाली के जरिए आगे बढ़ाने पर जोर देती है आइए इसको इसके अध्ययन को संक्षिप्त में समझते हैं-


सबसे पहले बात आती है प्रारंभिक बाल्यावस्था में देखभाल और शिक्षा:

सीखने की बुनियाद ,जिसका उद्देश्य है- वर्ष 2025 तक 3 से 6 वर्ष की आयु के सभी बच्चों के लिए मुफ्त ,सुरक्षित, उच्च गुणवत्तापूर्ण,   विकासात्मक स्तर के अनुरूप देखभाल और शिक्षा की पहुंच को सुनिश्चित करना।

         साक्ष्यों से स्पष्ट है कि 6 वर्ष से पहले बालक की मस्तिष्क का 85% विकास हो जाता है। इस प्रकार इस दौरान उत्कृष्ट देखभाल संज्ञानात्मक, भावात्मक विकास के स्तर को ध्यान में रखते हुए आवश्यक हो जाती है।शोध बताते हैं कि 8 वर्ष से कम उम्र के बच्चे अपने लिए नीतियों या किसी पूर्व निर्धारित समय सीमा द्वारा तय समय और दिशा का अनुसरण नहीं करते हैं। आयु वर्ग की समझ और रुचि  को ध्यान में रखते हुए स्कूली शिक्षा को निम्न चार चरणों में बांटने की बात कही गई है -
# 5 वर्षों की बुनियादी अवस्था
( प्री प्राइमरी स्कूल और ग्रेड 1,2)।
#3 वर्षों की प्राथमिक अवस्था ग्रेड (3, 4, 5)
 #3 वर्षों की माध्यमिक अवस्था ग्रेड 6,7,8
#4 वर्षों की उच्च अवस्था ग्रेड 9,10 11,12

                  बुनियादी अवस्था-


          नीति अनुशंसा करती है कि प्रारंभिक बाल्यावस्था में शिक्षा लचीली, बहुस्तरीय,खेल, गतिविधि और खोज आधारित हो इन वर्षों में अक्षरों, भाषाओं, संख्याओं , रंगो,आकारों, चित्रकला/ पेंटिंग, इनडोर-आउटडोर खेलों, पहेलियां और तार्किक चिंतन, दृश्य कला,शिल्प, नाटक ,कठपुतली, संगीत और अंग संचालन पर जोर देता है।

  • एनसीईआरटी प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा के लिए एक उत्कृष्ट पाठ्यक्रम और शैक्षिक ढांचा तैयार करें इसका क्रियान्वयन एक पर्याप्त रूप से विस्तृत और सशक्त आंगनबाड़ियों, मौजूदा प्राथमिक विद्यालयों के साथ स्थित पूर्व प्राथमिक स्कूलों अनुभागों  और पूर्व प्राथमिक विद्यालयों के प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा प्रणाली के माध्यम से किया जाए। इनमें ऐसे कार्यकर्ताओं शिक्षकों को नियुक्त किया जाएगा जो अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन पाठ्यक्रम और शिक्षा शास्त्र में विशेष रूप से प्रशिक्षित हो।
  • इस रूपरेखा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बच्चों में विकास की दृष्टि से उपयुक्त उत्कृष्ट बहुभाषी कौशलों के विकास के लिए समर्पित होगा। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण (3 से 6 वर्ष के बच्चों के लिए)।
  •  0- 3 वर्ष की आयु वर्ग से संबंधित देखभाल व शैक्षणिक आवश्यकताओं की पूर्ति का कार्य नजदीकी आंगनवाड़ी केंद्रों के जिम्मे होगा।
  • उच्च गुणवत्ता युक्त पूर्व प्राथमिक शालाओं को स्थापित किया जाएगा। स्वास्थ्य पोषण और बच्चों के विकास पर ध्यान देने जैसी आवश्यक सेवाओं के द्वारा इन पूर्व प्राथमिक शालाओं को सहायता प्रदान की जाएगी सभी आंगनबाड़ी केंद्रों और पूर्व प्राथमिक शालाओं को क्षेत्र के किसी एक प्राथमिक स्कूल से बहुत ही किया। फिर औपचारिक शैक्षणिक रूप से स्कूल कांपलेक्स के सबसे नीचे पायदान के रूप में जोड़ा जाएगा
  • सभी पहलू मानव संसाधन विकास मंत्रालय के दायरे में आएंगे अभी महिला एवं बाल कल्याण विकास मंत्रालय के दायरे में आंगनवाड़ी केंद्रों को रखा गया है। भौतिक वातावरण स्वागत योग्य और प्रेरणादायक होगा

प्राथमिक बाल्यावस्था शिक्षा को शामिल करने के लिए आरटीई एक्ट का विस्तार 3 से 6 वर्ष की आयु वर्ग में मुफ्त और अनिवार्य गुणवत्तापूर्ण पूर्व प्राथमिक शिक्षा को आरटीआई के एक्ट के एक अभिन्न अंग के रूप में शामिल किया जाएगा।

बुनियादी साक्षरता व संख्या ज्ञान-



  • जो बच्चे हैं अभी  लिख नहीं पाते हैं उनके लिए पीयर लर्निंग, स्थानीय समुदाय के प्रयास उपचारात्मक कक्षाएं और सुबह का नाश्ता की व्यवस्था कई सारे विषयों को समझने में मदद करेगा ।
  • वर्ष में कई बार भाषा सप्ताह और गणित का जैसे कार्यक्रम आयोजित हो ।
  • नियमित रूप से विज्ञान मेला और गणित मेला आयोजित किया जाएगा इनको समुदायिक कार्यक्रम बनाने का प्रयास किया जाए ।

  • पुस्तकालय के आसपास सप्ताहिक गतिविधियां जैसे कहानी रंगमंच समूह में पढ़ना लिखना आदि क्रियाकलाप नियमित रूप से करवाई जाए।
  • पाठ्य पुस्तकों की पूरक कार्यपुस्तकें उपलब्ध होंगी पहली कक्षा के सभी छात्रों के लिए स्कूल तैयारी के लिए  मॉड्यूल पहली कक्षा में 3 महीने के स्कूल तैयारी मॉड्यूल से शुरुआत होगी जो कि सुनिश्चित करने में मदद करेगा कि छात्रों के पास पहले से क्या है और भी क्या जानते हैं?

   पुस्तकालय-


  •    सरकारी पुस्तकालय को विस्तार देना एवं पढ़ने और संवाद की संस्कृति को विकसित करना स्थानीय क्षेत्रीय भाषाओं में विशेष रूप से बच्चों की किताबें भी शामिल होंगी। सर्वोच्च प्राथमिकता 2025 तक सभी प्राथमिक विद्यालयों में सार्वभौमिक रूप से बुनियादी साक्षरता और शिक्षा और संख्या ज्ञान को हासिल करना है।
  • क्षेत्रीय भाषाओं में स्मार्टफोन और टेबलेट पर ऐप्स और गेम शामिल होंगे जो साक्षरता संख्या ज्ञान और अन्य मूलभूत पाठ्यक्रम सामग्री को सिखाने में मदद करते हैं।
  • छात्रों में बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए NTP और RIAP कार्यक्रमों का प्रबंधन किया जाएगा।
RIAP क्या है?
यह सरकार द्वारा जारी अस्थाई 10 वर्षीय परियोजना होगी जिसमें स्थानीय अनुदेशक विशेष रूप से महिलाएं इंस्ट्रक्शनल सहयोगी के रूप में काम करेंगी जो स्नातक या फिर 12वीं उत्तीर्ण होंगी। यह औपचारिक रूप से जो बच्चे शैक्षणिक रूप से पीछे रह गए हैं उनको स्कूल के बाद, स्कूल समय के दौरान, लंबे अवकाश के दिनों में विशेष कक्षाओं का आयोजन कर बुनियादी साक्षरता तक लाएंगे।



NTP (national tutors programme)


  • प्रत्येक स्कूल में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले को ट्यूटर  के रूप में सप्ताह में 5 घंटे के लिए इस कार्यक्रम में शामिल किया जाएगा । राज्य हर साल इसके लिए एक प्रमाण पत्र भी देगा कि कितने समय इन्होंने विद्यालय स्तर पर सेवा दी।
  • विभिन्न कलाओं, कहानियों ,गीतों, कविताओं, रिश्तेदारों का जुटना आदि संबंधित सदियों से चली आ रही कई समृद्ध भारतीय परंपराओं को अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन के पाठ्यक्रम और शैक्षणिक ढांचे में शामिल करना आवश्यक है ताकि स्थानीय प्रासंगिकता,आनंद, उत्साह, संस्कृति और समुदाय की पहचान की भावना बरकार रखी जा सके।


ड्रॉपआउट बच्चों को पुनः जोड़ना और सभी तक शिक्षा की पहुंच सुनिश्चित करना। 




उद्देश्य- वर्ष 2030 तक 3 से 18 वर्ष आयु वर्ग के सभी बच्चों के लिए निशुल्क और अनिवार्य गुणवत्तापूर्ण स्कूली शिक्षा की पहुंच एवं भागीदारी सुनिश्चित करना।


  •  आर टी ई एक्ट मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा के पहलू को आवश्यक रूप से लागू किया जाए साथ ही कक्षा 12 तक के स्तर की शिक्षा और 18 वर्ष की आयु तक के सभी बच्चों को आरटीआई के दायरे में लाया जाए।
  •  स्कूलों की नामांकन क्षमता में वृद्धि, नई  शैक्षिक  सुविधाओं का निर्माण, जब भी संभव हो प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों का एक कंपलेक्स स्कूल के रूप में समेकन किया जाना चाहिए।
  • परिवहन सुविधाओं से संबंधित सहायता जो बड़े बच्चों को विशेष रूप से लड़कियों को साइकिल स्कूल बस पैदल समूह का निर्माण paid walking escorts की व्यवस्था या फिर यात्रा भत्ता देय हो ।
  • नवोदय विद्यालय से मिलते-जुलते रहने और खाने की मुफ्त सुविधा से युक्त छात्रावासों का निर्माण किया जाएगा। कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों को सुदृढ़ किया जाएग और उनका विस्तार 12th किया जाएगा ।
  • विद्यार्थियों (विशेष रूप से लड़कियों और अन्य URGs के लिए )सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी स्कूलों में सभी स्तरों पर उचित व्यवस्था बनाई जाएगी। 
  • लंबे समय तक स्कूलों से बाहर रहे किशोरों के लिए शिक्षा के दूसरे मौके मुहैया कराना जैसे व्यवसायिक शिक्षा और कौशल विकास के अवसरों के विस्तार के लिए संस्थागत क्षमताओं का सुदृढ़ीकरण किया जाएगा।
  • नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग एनआईओएस द्वारा प्रस्तावित open and distance learning कार्यक्रमों का विस्तार ऐवम सुदृढ़ीकरण किया जाएगा।



स्कूलों में शिक्षाक्रम और शिक्षण शास्त्र-


 5 +3 + 3 +4 के नए ढांचे में स्कूल शिक्षा क्रम और शिक्षण शास्त्र का पुनर्गठन किया जाएगा। 
#5 वर्षों की बुनियादी अवस्था (फाऊंडेशनल स्टेज) प्री प्राइमरी स्कूल और ग्रेड  1,2 
# 3 वर्षों की प्राथमिक अवस्था।
( preparatory or  later primary)प्राइमरी 3,4,5 
# 3 वर्षों की माध्यमिक अवस्था ग्रेड 6 ,7 ,8 
#4 वर्षों की अवस्था ग्रेड 9,10,11,12


  •    1993 की MHRD यशपाल कमेटी रिपोर्ट 'लर्निंग विदाउट बर्डन' और ncf-2005 दोनों दस्तावेज गहन शोध के आधार पर भारी विषय वस्तु को हटाने की अनुशंसा करते हैं। जिसको शिक्षा नीति 2019 आज बेहद प्रसांगिक बताती है शायद इतना ही इतना कि पहले कभी न रही हो कुछ मूलभूत केंद्रीय विषय वस्तु पर ही केंद्रित पाठ्यवस्तु को लागू करना होगा अनेकों विषयों में से विषय चुनने की आजादी स्कूल शिक्षा की एक नई और खास विशेषता होगी ।
  • करिकुलर, extra-curricular और co curricular के नाम पर विषय वस्तु का कोई कड़ा विभाजन नहीं होगा।सभी विषयों के लिए पाठ्यवस्तु और पाठ्यक्रम होगा ।
  • विज्ञान और कलाओं के बीच कड़ा विभाजन नहीं होगा।
  • सभी विषयों के चुनाव के अनुसार अध्ययन का मौका दिया जाएगा। 
  • अकादमिक और व्यवसायिक के बीच कोई कड़ा विभाजन नहीं होगा।
  • प्रत्येक विद्यार्थी को एलिमेंट्री स्टेज से ही विभिन्न तरह के व्यवसायिक क्षेत्रों के अनुभव मिलने शुरू हो जाएंगे। स्कूली शिक्षा के दौरान विद्यार्थियों को विभिन्न कैरियर से रूबरू होने का मौका मिलेगा और रोजगार की दुनिया जो लगातार परिवर्तनशील है उसमें रुझानों के मुताबिक शिक्षा क्रम में विषयों की उपलब्धता और चुनने की आजादी दी जाएगी। 


भारतीय भाषाओ को सम्मान-



  •   सभी विकसित देश अपनी भाषा का इस्तेमाल करते हैं। ऐसा ही भारत के लिए सुझाया जा रहा है कि उसे अपनी भाषा को ही सभी क्रियाकलापों और शिक्षा के माध्यम के रूप में इस्तेमाल करना चाहिए। 
  • जहां तक संभव हो कम से कम 5 ग्रेड तक लेकिन वो तो वांछनीय तो यह कि यह ग्रेड 8 तक हो।
  • सीखने सिखाने की प्रक्रिया में होने वाले संवाद का माध्यम मातृभाषा घर की भाषा स्थानीय भाषा में होंगे स्कूलों में 3 या इससे अधिक भाषाओं से होगा क्योंकि बहुभाषिकता भारत के लिए अनिवार्य है। 
  • भारत की भाषाएं दुनिया की सबसे समृद्ध और वैज्ञानिक भाषाओं में से एक हैं शोध बताते हैं। 

  • 2 वर्ष से लेकर 8 वर्ष तक की उम्र के बच्चों की भाषा सीखने की क्षमता बहुत प्रखर होती है ।

विज्ञान को दो भाषाओं में सीखना-


  • विज्ञान को द्विभाषी होना एक वरदान के समान है। अधिकांश नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक एक से अधिक भाषाओं में विज्ञान पर सोचते रहे हैं। वर्तमान में अनेक वैज्ञानिक पाए गए कि वह विज्ञान पर अपने घर की भाषा मातृभाषा में चिंतन करने और बोलने में असमर्थ हैं और इसके चलते न केवल उनके सोचने विचारने की क्षमता बाधित हुई है बल्कि उनकी अपने समुदायों में उनकी पहुंच बाधित हुई है। 
  •  सेकेंडरी स्कूल के दौरान उन विद्यार्थियों के लिए जिनकी रुचि है विदेशी भाषाओं जैसे फ्रेंच जर्मन स्पेनिश चाइनीस जैपनीज को सीखने का अवसर मुहैया करवाए जाएंगे। भारतीय भाषा दुनिया की सबसे समृद्ध वैज्ञानिक सबसे सुंदर और बेहद भाषाओं में से एक है इनको जरूरी सम्मान और उचित स्थान दिया जाए।
  •  ग्रेड 6-8 के दौरान देश का हर विद्यार्थी भारत की भाषाओं में एक कोर्स करेगा।
  • संस्कृत का अध्ययन और इसके विशाल साहित्य का ज्ञान फाउंडेशन और मिडिल स्तर पर संस्कृत की पाठ्यपुस्तक दोबारा से Simple standard Sanskrit में लिखी जाएगी। 
  • सभी स्कूलों सरकारी या प्राइवेट के सभी बच्चे ग्रेट 6,7,8 में कम से कम एक भारतीय शास्त्रीय भाषा पर 2 वर्ष का कोर्स करेंगे ।
  • जिसमें विकल्प दिया जाएगा कि वे इस भाषा का अध्ययन लगातार सेकेंडरी शिक्षा में भी करते रह सकते हैं।

कला और सौंदर्य बोध -

कोई भी शिक्षा जो सृजनात्मकता और नवाचार पर जोर देती हो उनमें कलाओं को शामिल किया जाना चाहिए। यह सर्वविदित है कि जो लोग (जिनमें वैज्ञानिक और इंजीनियर शामिल है) अपने बचपन में कला को सीख पाए वयस्क जीवन में उतने ही उत्पादक सृजनशील और नवाचारी होते हैं।
नोबेल पुरस्कार विजेताओं का एक सर्वे हुआ है जिसमें पाया गया कि सभी क्षेत्रों में 6 गुना से भी अधिक पुरस्कार विजेता वे लोग हैं जो या तो अपने खुद अच्छे साहित्यकार हैं या अपने जीवन में संगीत में गहरी अभिरुचि रखते हैं। 
इसके लिए नीतिगत कदम उठाए जा रहे हैं वह इस प्रकार से हैं-
# बच्चों  के आरंभिक वर्षों में संगीत और कला के अनुभव।
# कम से कम एक कला को गहन अध्ययन के लिए लेना ।
#अधिक से अधिक विद्यार्थियों तक कला को पहुंचाने के लिए तकनीकी का इस्तेमाल।
# स्थानीय कलाकारों के साथ संवाद।


  •  शिक्षा के दौरान मौखिक और लिखित संवाद के अवसर देना।
  •  बेसिक स्तर पर शिक्षा क्रम में सभी विद्यार्थियों के लिए डिजिटल साक्षरता को समन्वित किया जाएगा ।
  • नैतिक चिंतन के लिए निश्चित पाठ्यक्रम और ग्रेड 9, 10,11,12 सभी विद्यार्थियों के लिए समसामयिक मुद्दों पर कोर्स उपलब्ध होगा।

  •  ncf-2005 का 2020 के अंत तक इस नीति  द्वारा उठाए गए सरोकारों और मुद्दों के साथ-साथ शिक्षा के बदलते परिदृश्य के आलोक में यह दस्तावेज संशोधित किया जाएगा और इसका नवीनीकरण किया जाएगा यह सभी आंचलिक भाषाओं में अनूदित किया जाएगा और उपलब्ध करवाया जाएगा।

क्या कहती है शिक्षा नीति पाठ्य पुस्तकों के बारे में -




  •   सभी पाठ्यपुस्तक के इस उद्देश्य को ध्यान में रखकर बनाई जानी जानी चाहिए कि उनमें बेहद जरूरी और केंद्रीय मूल विषय वस्तु ही हो जो राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण मानी गई हैं। इसके साथ ही यह भी ध्यान रखना होगा कि स्थानीय संदर्भों और जरूरतों के मुताबिक जो सप्लीमेंट्री सामग्री आवश्यक है वह भी उनमें हो प्रत्येक विषय की विषय वस्तु का भार कम करना है इसलिए एनसीईआरटी की पुस्तकों में संशोधन किया जाएगा और रचनात्मक एप्रोच को ध्यान में रखते हुए खुद खोजने विश्लेषण आनंददाई तरीके से सीखने पर जोर देना होगा।
  •  इसके आधार पर ही पाठ्य पुस्तकों में जरूरी संशोधन किए जाएंगे। ऐसा राष्ट्रीय शिक्षा क्रम जो स्थानीय संदर्भ और उनके अंतरों को उचित स्थान देता है। इसे ध्यान में रखते हुए प्रत्येक राज्य में स्थित एससीआरटी को पुस्तकों के निर्माण के लिए प्रेरित किया जाएगा अतिरिक्त विषय जैसे कंप्यूटर साइंस संगीत साहित्य के लिए पाठ्यपुस्तक और सामग्री विकसित की जाएगी सारी पाठ्य पुस्तकों में राष्ट्रीय और भारतीय स्वाद आना चाहिए जहां भी मुमकिन या जरूरी हो।
  •  एक IITI  (इंस्टिट्यूट ऑफ ट्रांसलेशन एंड इंटरप्रिटेशन) स्थापित किया जाएगा। यह किसी मौजूदा राष्ट्रीय संस्थान या केंद्रीय विश्वविद्यालय के अंतर्गतउसकी एक ही यूनिट के रूप में स्थापित किया जाएगा यह विभिन्न भारतीय भाषाओं के बीच और भारतीय भाषाओं और विदेशी भाषाओं के बीच महत्वपूर्ण दस्तावेजों और सामग्री को उच्च दर्जे के अनुवाद करेगा।
  • कुछ पब्लिक और प्राइवेट स्कीम विकसित की जाएगी ताकि प्रादेशिक भाषाओं में सभी स्तरों और विषयों की उत्कृष्ट पाठ्य पुस्तकें लिखने और विकसित करने के लिए लेखकों को पुरस्कार और वित्तीय अनुदान दिए जा सकेंगे ।ऐसी पाठ्य पुस्तकों को राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर विशेषज्ञों की एक स्वायत्त निकाय द्वारा मंजूरी दी जाएगी। 

कैसे हो विद्यार्थियों का आकलन-
  •  हमारी शिक्षा व्यवस्था में आज आकलन का उद्देश्य( जिसे मुख्यतःरटने को ही जांचा जाता है)ही बदला जाना चाहिए। इसका उद्देश्य रखने की क्षमता को जांचने के बजाय बच्चों के सीखने और उनके विकास में मदद करना होना चाहिए। इसे शिक्षकों विद्यार्थियों और पूरी शिक्षा व्यवस्था की मदद करनी चाहिए।
 बोर्ड परीक्षा में किए जाने वाले महत्वपूर्ण बदलाव-

  •  बोर्ड परीक्षाएं कुछ बुनियादी अधिगम कौशल और विश्लेषण क्षमता को जांचने के लिए होंगी बोर्ड परीक्षाओं की खतरनाक प्रवृत्तियों जिसके चलते यह जीने मरने की वजह बन गई है खत्म करने के लिए लचीला बनाया जाएगा। विद्यार्थियों को अब आने अपने स्कूल के किसी भी साल में दो बार इन परीक्षाओं को देने का विकल्प उपलब्ध कराया जाएगा ।
  • विद्यार्थी अपने हर सेमेस्टर में केवल किसी एक विषय में भी बोर्ड परीक्षाएं दे पाएंगे। समग्र विकास को बढ़ावा देने के लिए बोर्ड परीक्षाओं को विभिन्न विषयों में होना चाहिए। विद्यार्थी अपनी रूचि के मुताबिक अनेक विषयों को चुन सकें और इनमें बोर्ड परीक्षाएं दे सके। 
  • जब भी वे अपने को सबसे ज्यादा तैयार पाएं तभी व परीक्षा दे बच्चे जिस सेमेस्टर में अपने को तैयार पाते हैं उसमें वे परीक्षाएं दे सके उस विषय विशेष को ही दें जिसमें भी तैयार हैं।
  •  NTA  National testing agency विभिन्न विषयों में साल में कई बार उच्च गुणवत्ता के मॉड्यूलर प्रवेश परीक्षाओं का आयोजन करेगी। यूनिवर्सिटी अपनी-अपनी प्रवेश परीक्षाओं का आयोजन करने की जगह उपरोक्त परीक्षाओं को कॉमन टेस्ट की तरह इस्तेमाल कर सकेगी। 
  •  सीखने और विकास के लिए आकलन का नया पैराडाइम विकसित किया जाएगा। इसका फोकस फॉर्मेटिंग आकलन सीखने के लिए आकलन पर होगा शिक्षकों और विद्यार्थियों को ऊंची अफसरों के क्वेश्चन बैंक ऑनलाइन उपलब्ध कराए जाएंगे।
  •  सेकेंडरी स्टेज में ओपन बुक परीक्षाओं के साथ-साथ पोर्टफोलियो का भी आकलन हेतु इस्तेमाल किया जा सकता है। शिक्षक अपनी परीक्षाएं और खुद तैयार करेंगे।

 कक्षा 3,5,8 में सेंसस परीक्षाएं-
  • सभी परीक्षाएं बच्चों की स्तर के अनुसार मूल अवधारणाओं के बारे में स्पष्टता स्तरीय कौशल और इन जीवन में प्रयोग इनका जीवन में प्रयोग आदि को ही जाँचे  ना कि रटने की क्षमता को।

  •   क्षेत्र विशेष में रुचि रखने वाले और प्रतिभावान विद्यार्थियों के लिए विशेष-

  •    एक क्षेत्र विशेष में रुचि रखने वाले और प्रतिभावान विद्यार्थियों की पहचान और उनका विकास किया जाएगा। स्कूल कॉन्प्लेक्स ब्लॉक और जिला स्तर पर मुद्दे आधारित प्रोजेक्ट आधारित क्लब बनाना जैसे अलग-अलग विषयों में गणित विज्ञान संगीत काव्य भाषा साहित्य वाद-विवाद खेल आदि स्थापित किए जाएंगे ।
  • देशभर में विभिन्न विषयों में रुचि रखने वाले प्रतिभाशाली विद्यार्थियों के लिए मेरिट आधारित रेजिडेंशियल समर कार्यक्रम चलाने के लिए केंद्रीय रूप से अनुदानित व्यवस्था को स्थापित करना ।दाखिले मेरिट आधार विषय आधारित होंगे।
  •  पूरे देश भर में विभिन्न विषयों में ओलिंपियाड और प्रतिभा और प्रतियोगिताओं को मजबूत किया जाएगा स्कूल से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक इन्हें स्थापित किया जाएगा और संचालित किया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शामिल होने के लिए अनुदान दिया जाएगा।
  •  इसमें रुचि रखने वाले प्रतिभाशाली विद्यार्थियों के लिए इंटरनेट आधारित एप ऑनलाइन कम्युनिटीज विकसित किए जाएंगे ताकि के लोग आसानी से एक दूसरे से जुड़ सकें।



शिक्षकों के लिए क्या है खास-


 उद्देश्य - 
  • स्कूल शिक्षा के स्तर के सभी विद्यार्थियों को शिक्षण उत्साहित प्रेरित और उच्च योग्यता वाले प्रशिक्षित प्रशिक्षित शिक्षकों द्वारा नियुक्ति और पदस्थापन देशभर में उत्कृष्ट 4 वर्षीय एकीकृत एजुकेशन कार्यक्रम में अध्ययन हेतु एक बड़ी संख्या में मेरिट आधारित छात्रवृत्ति प्रदान करने की व्यवस्था बनाई जाएगी ।
  • स्कूलों में पदस्थापित शिक्षकों के लिए प्रोत्साहन या होगा कि उनको स्कूल के निकट स्थानीय आवास उपलब्ध कराया जाएगा ।
  • शिक्षकों के अधिक तबादलों की नुकसानदायक प्रक्रिया को तुरंत रोक लगा दी जाएगी कुछ खास परिस्थितियों में ही तबादला होगा जैसे तो कार्यकाल किसी एक स्कूल में कम से कम 5 से 7 साल का होगा।
  •  शिक्षक के पेशे सिर्फ उत्कृष्ठ  लोगों को प्रवेश सुनिश्चित करने के लिए को सुदृढ़ किया जाएगा।
  •  शिक्षकों की नियुक्ति के लिए उनके संबंधित विषयों NAT परीक्षा  में प्राप्तांक को भी ध्यान में रखा जाएगा। 
  • आखिर में स्कूल और स्कूल कॉन्प्लेक्स में शिक्षकों की भर्ती के दौरान उनमें शिक्षण के प्रति रुचि और प्रोत्साहन मापने के लिए कक्षा में शिक्षण का प्रदर्शन और साक्षात्कार प्रक्रिया के अभिन्न अंग होंगे।
  •  बीएड डिग्री कार्यक्रम उपलब्ध कराने वाले अनुशासनिक संस्था ने 2 वर्षीय बीएड डीलएड ( बीएड के नाम से जाना जाएगा)कार्यक्रम भी उपलब्ध कराएगी ।यह उनके लिए होगा जिनके पास स्नातक की डिग्री हो। 
  • स्थानीय भाषा की जानकारी को विशेष महत्व दिया जाएगा ।
  • शासन को शासन की सबसे छोटी इकाई के रूप में स्कूल कांप्लेक्स का निर्माण शिक्षकों का एक जीवंत समुदाय बनाने में सहायक होगा। शिक्षकों को वह सरकारी कार्य जो शिक्षण से सीधे संबंधित नहीं है उनको करने की अनुमति नहीं होगी कुछ गिने-चुने कार्यों को छोड़कर जो कक्षा के कार्य में बाधा नहीं डालते ।
  • शिक्षक के विकास हेतु स्थानीय राज्य राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर शिक्षण और विषय वस्तु की कार्यशाला ओं के साथ साथ ऑनलाइन मॉड्यूल भी सभी शिक्षकों के लिए उपलब्ध होंगे। पदोन्नति एक सशक्त मेरिट आधारित पदोन्नति और वेतन व्यवस्था का निर्माण किया जाएगा। शिक्षकों के प्रदर्शन के सही आकलन मल्टीपल पैरामीटर्स व्यवस्था को स्थापित किया जाएगा। आकलन की व्यवस्था सहकर्मियों और विद्यार्थियों द्वारा की गई समीक्षा उपस्थिति प्रतिबद्धता एवं विकास में। घंटे और स्कूल और समुदाय में की गई सेवा पर आधारित होगा 
  • वर्टिकल मोबिलिटी उत्कृष्ट शिक्षक जिन्होंने लीडरशिप और मैनेजमेंट के कौशल को दर्शाया होगा उनको समय के साथ प्रशिक्षित किया जाएगा।
  •  जिससे वे आगे चलकर स्कूल स्कूल का बीआरसी, सीआरसी, BITEs,DIETs में अकादमिक  नेतृत्व करेंगे ।
  • देश भर में मौजूद हजारों रद्दी शिक्षा संस्थानों स्टैंड अलोन टीचर एजुकेशन इंस्टीट्यूशन को जल्द से जल्द बंद कर दिया जाएगा। 
  • उत्कृष्ट विद्यार्थियों को शिक्षण पेशे में प्रवेश के लिए प्रोत्साहित करने के लिए मेरिट आधारित छात्रवृत्ति उपलब्ध कराई जाएगी।
  •  2020 तक देश में पैराटीचर शिक्षाकर्मी शिक्षा मित्र आज व्यवस्था को बंद कर दिया जाएगा। 
  • सारे नए शिक्षकों को अपने पहले 2 वर्षों में किसी सीपीडी केंद्र जैसे बीआरसी, सीआरसी तथा BITE या DIET जो कि स्कूल कॉन्प्लेक्स से संबद्ध होगा उसमें पंजीकृत किया जाएगा। 
  • शिक्षक और अध्यापक शिक्षकों के लिए उच्च गुणवत्ता की सामग्री को शिक्षण सामग्री को भारतीय भाषाओं में विकसित किया जाएगा आदिवासी भाषाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। शिक्षक और अध्यापक शिक्षकों को स्थानीय भाषा में सामग्री निर्माण के लिए प्रेरित किया जाएगा।

करियर मैनेजमेंट -

  • शिक्षकों की नियुक्ति के लिए टेन्योर ट्रैक सिस्टम सभी स्तरों पर शिक्षकों को नियुक्त करने के लिए स्थापित किया जाएगा। इसमें शिक्षकों को 3 वर्ष के लिए प्रोबेशन/कार्यकाल पर रखा जाएगा और इसके बाद उनके कार्य प्रदर्शन के आधार पर उनका स्थायीकरण किया जाएगा।
  • स्थायीकरण कार्यकाल का निर्णय कई कारकों पर निर्भर करेगा। जिसमें सहकर्मियों द्वारा समीक्षा ,कार्य समर्पण और कक्षा कक्ष मूल्यांकन भी शामिल हैं। इस समीक्षा का ढांचा एससीईआरटी द्वारा बनाया जाएगा।
  • स्कूली शिक्षा के सभी चरणों में सेवा की परिस्थिति में समानता
  •  बुनियादी स्तर से माध्यमिक स्तर तक सभी शिक्षकों के लिए उनके कार्य के अनुसार मानक सेवा की शर्तें और समान वेतन होगा। सभी शिक्षकों को अपने शिक्षण स्तर (बुनियादी, प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च प्राथमिक स्तर) में बने रहते हुए करियर में उन्नति वेतन पदोन्नति आदि करने के अवसर प्राप्त होंगे।

  •  10 वर्षों में 2030 तक सभी शिक्षकों के लिए 4 वर्षीय एकीकृत B.Ed पाठ्यक्रम अनिवार्य हो जाएगा और सभी स्तरों पर सब का वेतन और पदोन्नति व्यवस्था सामान कर दी जाएगी।

पदोन्नति और वेतन बढ़त द्वारा पेशेवर प्रगति-



  •  प्रत्येक स्तर में शिक्षक के लिए कम से कम 5 पदोन्नति स्तर होंगे जिनको अर्ली टीचर (बिना कार्यकाल के) अर्ली टीचर (कार्यकाल के साथ) प्रोफिशिएंट टीचर, एक्सपर्ट  टीचर और मास्टर टीचर की में वर्गीकृत किया जा सकता है। 
  • प्रत्येक पदोन्नति स्तर /दर्जे पर वेतन का एक निर्धारित स्तर होगा जिसको मेरिट और प्रदर्शन के अनुसार प्राप्त कर सकेंगे।
  • शीर्ष की और गतिशीलता द्वारा पेशेवर प्रगति अलग-अलग  दर्जो में आगे बढ़ने के अलावा शैक्षिक प्रशासन या शिक्षक शिक्षा में भी आगे बढ़ सकते हैं। यह चयन इस प्रकार से हो सकता है
  •  अ)शैक्षिक प्रशासन में जाना या
  •  ब)अध्यापक शिक्षक बनना लंबे समय से सीआरसी बीआरसी बीआईटी डाइट एससीईआरटी आदि में शैक्षिक प्रशासन के सभी पद उत्कृष्ट शिक्षकों के लिए आरक्षित होंगे जिनकी प्रशासनिक कार्यों में रुचि है और अपना करियर बनाना चाहते हैं। शैक्षिक प्रशासन और शिक्षक शिक्षा में आने के पेशेवर मानक NPST  और SPSTs द्वारा निर्धारित किए जाएंगे। जिनमें कम से कम उत्कृष्ट शिक्षण, नेतृत्व कौशल/ प्रबंधन का अनुभव और प्रशिक्षण की जरूरत होगी।
  • कुछ विशिष्ट विषयों के लिए या फिर स्थानीय दक्षता जिसमें स्थानीय पारंपरिक कला संगीत व्यवसायिक कौशल,भाषा ,कविता ,साहित्य व्यापार या स्थानीय कौशल शामिल हैं। उनके लिए स्थानीय विशेषज्ञों को  स्पेशलाइजड  इनस्ट्रक्टर  के रूप में नियुक्त किया जाएगा।




समतामूलक और समावेशी शिक्षा-


 उद्देश्य- 
एक समतामूलक और समावेशी शिक्षा व्यवस्था स्थापित करना जिससे सभी बच्चों के सीखने और सफल होने के समान अवसर उपलब्ध हो और परिणाम स्वरूप वर्ष 2030 तक सभी लैंगिक और सामाजिक वर्गों की शिक्षा में भागीदारी और सीखने के प्रतिफल के स्तर पर समानता हो।

  • शिक्षा में URGs के अंतर्गत व्यापक रूप से विशेष लैंगिक पहचान में महिलाएं और ट्रांसजेंडर शामिल हैं। सामाजिक सांस्कृतिक पहचान जिसमें sc,st,obc ,मुस्लिम और प्रवासी समुदाय विशेष आवश्यकता वाले जिन्हें सीखने में विशेष चुनौतियां पेश आती हैं और विशिष्ट सामाजिक आर्थिक परिस्थितियों वाले जैसे शहरी लोग आते हैं।
  •  देश भर के वंचित क्षेत्रों में विशिष्ट शिक्षा क्षेत्र(special education zone) स्थापित करना जिससे क्षेत्रीय असमानताओं को दूर किया जा सके।
  • अल्प प्रतिनिधित्व वाले समूह के लिए आरंभिक बाल्यावस्था शिक्षा और देखभाल बुनियादी साक्षरता गणना शिक्षा में पहुंच नामांकन उपस्थिति के संदर्भ में महत्वपूर्ण शैक्षिक मुद्दों  के नीतिगत कदमों पर विशेष बल दिया जाएगा।
  • भारत सरकार सभी लड़कियों को समान और गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा सुलभ करने में सक्षम हो इस हेतु जेंडर समावेश कोष विकसित किया जाएगा।




अनुसूचित जाति के समुदायों और अन्य पिछड़े वर्ग से संबंधित बच्चों की शिक्षा-

  • एससी और ओबीसी समुदाय को शिक्षक बनने हेतु  छात्रवृत्ति दी जाएगी और उसके अलावा  उन्हें क्षेत्रों में नियुक्त करने को प्राथमिकता दी जाएगी।
  • एससी और ओबीसी समुदाय के बच्चों को अनुवादित शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी जो कि उनके स्थानीय भाषा में होगी।
  • आदिवासी समुदायों के लिए शिक्षा को सार्थक बनाने के लिए पाठ्यचर्या और शिक्षण को उनके संदर्भ में डाला जाएगा।
  • राज्य स्तर और आदिवासी बहुल क्षेत्रों जिलों में आदिवासी समुदायों से समुदाय समन्वयक  नियुक्त किए जाएंगे।



अल्पसंख्यक समुदायों के अल्प प्रतिनिधित्व वाले बच्चों की शिक्षा-
  •  मुस्लिम और अन्य शैक्षिक रूप से अल्प प्रतिनिधित्व वाले अल्पसंख्यकों को स्कूली शिक्षा को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए आपूर्ति पक्ष में हस्तक्षेप किया जाएगा जिसमें बेहतरीन स्कूलों की व्यवस्था, स्थानीय भाषा के जानकार शिक्षकों की भर्ती और मेधावी विद्यार्थियों के लिए उच्च शिक्षा हेतु छात्रवृत्ति प्रदान करने की व्यवस्था होगी।
  • मदरसे मकतब और अन्य परंपरागत और धार्मिक स्कूलों को सशक्तिकरण और उनकी पाठ्यचर्या का आधुनिकीकरण किया जाएगा।
  • शहरी निर्धन परिवारों के बच्चों की शिक्षा के लिए शैक्षिक पहुंच को लेकर केंद्रित प्रयास किए जाएंगे।
  • शिक्षा सलाहकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद से शिक्षण प्रक्रिया के दौरान आवश्यक सहयोग लिया जाएगा।

  • शहरी निर्धन परिवारों के बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा, सीखने के अवसर और भावी सुरक्षा और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए पाठ्यचर्या तैयार की जाएगी।

  • ट्रांसजेंडर बच्चों की शिक्षा में भागीदारी सुनिश्चित करना इसके लिए सिविल सोसायटी समूहों की मदद ली जाएगी जो योजना बनाने और क्रियान्वयन के कार्य में सहयोग प्रदान करेंगे जिन्हें ट्रांसजेंडर बच्चों के साथ काम करने की समझ और काफी अनुभव हो।



विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की शिक्षा-



  • ऐसे बच्चों को पड़ोस के स्कूल से जोड़ना और बुनियादी स्तर से लेकर कक्षा 12 तक स्कूली प्रक्रियाओं में भागीदारी सुनिश्चित करना।
  • विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की शिक्षा के लिए किए जाने वाले प्रयासों के लिए आर्थिक सहयोग प्रदान करना।
  •  विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की स्कूल तक पहुंच को आसान बनाना तथा उसकी उचित व्यवस्था करना।
  • अन्य सहपाठियों के साथ और शिक्षकों के साथ सहज रूप में कक्षा में उनकी भागीदारी होगी इसके लिए सहायक संयंत्र उपयुक्त प्रौद्योगिकी आधारित उपकरण साथ ही पर्याप्त और भाषा की दृष्टि से उपयुक्त पठन सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी।
  • गंभीर और गहरी विकलांगता वाले बच्चे स्कूल नहीं जा पाते उनके लिए घर पर ही शिक्षा की व्यवस्था की जाएगी।
  • श्रवण बाधित बच्चों के लिए मुक्त विद्यालय की उपलब्धता। 
  • cross disability  प्रशिक्षण प्राप्त विशेष शिक्षकऔर चिकित्सक नियुक्त किए जाएंगे 
  • स्कूली शिक्षा में भागीदारी बढ़ाने के लिए विशेषकर माध्यमिक शिक्षा के स्तर पर प्रतिभावान और मेधावी विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति अधिक उदार पैमाने पर प्रदान की जाएगी।


  • स्कूल कांप्लेक्स के माध्यम से प्रभावी गवर्नेंस  कुशल संसाधन उपलब्धता- जिसका उद्देश्य है स्कूलों के समूह को स्कूल कॉन्प्लेक्स का रूप दिया जाना जिससे संसाधनों का साझा उपयोग शुलभ बने और स्थानीय स्तर पर कुशल एवं प्रभावी गवर्नेंस  सुनिश्चित हो।

निजी स्कूल- 
  • निजी स्कूल किसी भी प्रकार से संचार दस्तावेजीकरण या स्थिति की घोषणा के दौरान अपने नाम में पब्लिक शब्द का प्रयोग नहीं करेंगे। सभी निजी स्कूलों द्वारा 3 वर्ष के अंदर इस परिवर्तन को आत्मसात करना होगा पब्लिक स्कूल सिर्फ़ वही स्कूल होंगे जिन्हें सार्वजनिक अनुदान प्राप्त होंगे। वह सरकारी स्कूल राज्य के किसी भी निकाय द्वारा संचालित स्कूलों समेत और सरकार द्वारा अनुदान अनुदानित स्कूल। 
  • निजी स्कूल अपने लिए फीस के में स्वतंत्र होंगे लेकिन वे मनमाने ढंग से स्कूल फीस किसी भी मद में नहीं बढ़ा सकते। सार्वजनिक जांच के दायरे में रहते हुए बढ़ती लागत के कारण उदाहरण के लिए मुद्रास्फीति से संबंधित तार्किक वृद्धि की जा सकती है।




गुणवत्तापूर्ण विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय भारतीय उच्च शिक्षा व्यवस्था हेतु एक नई और भविष्योमुखी दूरदृष्टि -

उद्देश्य- उच्च शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए देशभर में बहुअनुशासनात्मक उच्च शिक्षा संस्थान स्थापित करना एवं वर्ष 2025 तक जीआर को कम से कम 50% तक बढ़ाना।

  • ऐसी उच्च शिक्षा व्यवस्था की ओर बढ़ना जिसमें विशाल बहु अनुशासनिक विश्वविद्यालय और महाविद्यालय हो। तक्षशिला और नालंदा के प्राचीन भारतीय विश्वविद्यालय जिनमें भारत और दुनिया की हजारों छात्र ऐसे जीवंत और बहु अनुशासनात्मक वातावरण में अध्ययन करते रहे हैं। 
  • आधुनिक विश्वविद्यालय भी आज बड़ी सफलता का प्रदर्शन करते हुए इस तरह के बड़े एवं बहु अनुशासनात्मक अनुसंधान विश्वविद्यालय बन सकते हैं। अब समय आ गया है कि भारत इस महान भारतीय परंपरा को वापस लाएं जिसकी जरूरत आज पहले से कहीं ज्यादा है।बहुमुखी प्रतिभा वाले योग्य और अभिनव व्यक्तियों को बनाने के लिए यह जरूरी है। 
  • 3 तरह के HEIs  जिनमें अनुसंधान शिक्षण के साथ विश्वविद्यालय और महाविद्यालय होंगे। जो देश की जरूरतों के अनुरूप होंगे इसके साथ ही जो ऐसी HEIs  एकल अनुसार अनुसरण अनुशासनात्मक हैं। उन्हें बहु अनुशासनात्मक रुप में चरणबद्ध प्रक्रिया से परिवर्तित किया जाएगा। 
  • एक अधिक उदार स्नातक शिक्षा की ओर बढ़ते हुए-
  • अनुशासन अनुशासनात्मक शिक्षा ही हमारे उच्च शिक्षा के लिए आधार बनेगी। बड़े बहु विषयक विश्वविद्यालय में स्नातक स्नातकोत्तर और डॉक्टर की शिक्षा शोध आधारित विशेषज्ञता प्रदान करने के साथ-साथ शिक्षा और प्रौद्योगिकी सहित अनुशासनात्मक कार्यों के अवसर भी प्रदान करेगी भारत में तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्वविद्यालयों में विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक साहित्य संयोजन की तथाकथित लिबरल आर्ट्स समग्र और अनुशासनात्मक रूप से सीखने की एक लंबी परंपरा रही है। 
       
  प्राचीन पुस्तकों में शिक्षकों 64 कलाओं या कलाओं के ज्ञान के रूप में वर्णित किया गया था और इन 64 कलाओं में गायन संगीत वाद्ययंत्र बजाना और पेंटिंग जैसे विषय शामिल थे लेकिन साथ ही साथ ऐसे वैज्ञानिक क्षेत्र जैसे इंजीनियरिंग चिकित्सा और गणित आदि भी शामिल थे।

  • योग्यता के आधार पर नियुक्तियों और कैरियर प्रबंधन के माध्यम से संकाय स्थिति और संस्थागत नेतृत्व की अखंडता की पुष्टि करना।
  • एक राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की स्थापना NRF  सभी विषयों में उत्कृष्ट और रचनात्मक अनुसंधान प्रस्ताव के लिए एक राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की स्थापना की जाएगी जिसमें प्रतिस्पर्धी अनुदान देने के लिए साथियों की समीक्षा और प्रस्तावों की सफलता को आधार रखा जाएगा। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह उन शैक्षणिक संस्थानों में अनुसंधान को विकसित करने और सुगम बनाने का लक्ष्य रखेगा जहां वर्तमान अनुसंधान एक नवजात अवस्था में है। अनुसंधान में सक्रिय विद्वानों की सलाह ली जाएगी और वह लोग होंगे जो वर्तमान में अनुसंधान के क्षेत्र में काफी सक्रिय हैं या अब प्रतिष्ठित अनुसंधान संस्थानों से सेवानिवृत्त हो गए हैं।  
  • पूर्ण रूप से अकादमिक और प्रशासनिक स्वायत्तता के साथ उच्च शिक्षा संस्थान स्वतंत्र बोर्ड और द्वारा शासित होंगे।


संस्थागत पुनर्गठन और समेकन-

 उद्देश्य- ऐसी जीवंत और बहु अनुशासनात्मक गुणवत्तापूर्ण संस्थाओं का गठन जिनसे भारत में उच्च शिक्षा की क्षमता में बढ़ोतरी हो और इन तक सबकी पहुंच सुनिश्चित हो।


  • इस पॉलिसी का विज़न  है कि सभी HEIs  इन तीन तरह के संस्थानों में विकसित हों जिनमें हम टाइप 1,2,3 की तरह संदर्भित करेंगे। 1)शोध  विश्वविद्यालय।
  • 2)शिक्षण विश्वविद्यालय और
  •  3)कॉलेज ।इन संस्थाओं की आधारिक संरचना और संसाधनों से उपयुक्त उपयोग हो सके इसके लिए बह अनुशासनात्मक संस्थाएं हजारों में विद्यार्थियों का नामांकन करने का लक्ष्य रखें और साथ ही रिसर्च शिक्षण और सेवाओं के एक बहुअनुशासनात्मक तंत्र का खाका खींचा है उसे प्राप्त करें।
  • Type 1- शोध विश्वविद्यालय यह अनुसंधान और शिक्षण पर समान रूप से ध्यान केंद्रित करेंगे ।वे नए ज्ञान सृजन के लिए अत्याधुनिक शोध के लिए प्रतिबद्ध होंगे साथ ही परास्नातक, पीएचडी ,व्यवसायिक और पेशेवर प्रोग्रामों के लिए उच्चतम गुणवत्तापूर्ण शिक्षण देंगे। 

  • Type 2 -शिक्षण विश्वविद्यालय, यह मुख्य रूप से स्नातक परास्नातक और डॉक्टरेट, पेशेवर व्यवसायिक सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कार्यक्रमों में उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षण पर ध्यान केंद्रित करेंगे साथ ही अत्याधुनिक शोध में भी महत्वपूर्ण योगदान देंगे।

  •  Type 3 कॉलेज -यह संस्थान उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षण के लक्षण पर विशेष ध्यान केंद्रित करेंगे यह संस्थान बड़े पैमाने पर परास्नातक कार्यक्रम चलाएंगे और साथ में व्यावसायिक और पेशेवर विषयों में डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कार्यक्रम चलाएंगे। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इन तीन प्रकारों के HEIs का वर्गीकरण एक स्पष्ट बहिष्करण श्रेणीकरण नहीं है। बल्कि एक निरंतरता के साथ है। संस्थानों के तीन प्रकारों को चिह्नित करने के लिए सभी प्रमुख उनके लक्षण और काम का फोकस होगा।



लिबरल  शिक्षा की तरफ कुछ कदम उद्देश्य-

एक अधिक कल्पनाशील और व्यापक लिब्रल शिक्षा की ओर बढ़ना जो सभी विद्यार्थियों के समग्र विकास के लिए एक बनियाद का काम करें और साथ ही साथ इसमें चुने गए विषयों की गहन विशेषज्ञता भी शामिल हो गया हो। 
 हम विभिन्न कला क्षेत्रों को एक ही व्यापक नजरिए और अर्थ से देखें यह विचार की इंसानी सृजन के सभी क्षेत्रों जिनमें गणित और विज्ञान भी शामिल हैं को कलाओं के रूप में देखा जाना चाहिए भारतीय चिंतन की देन है। भरतमुनि ईसा से 300 वर्ष पूर्व का नाट्यशास्त्र इस एकीकरण का बेहतरीन उदाहरण है जिसमें न केवल संगीत और नृत्य का गहन चिंतन है बल्कि इनका विज्ञान और भौतिकी के सिद्धांतों के साथ सूक्ष्म संबंधों को भी विमर्श किया गया है।
 भारतीय विश्वविद्यालय जैसे तक्षशिला नालंदा दुनिया के सबसे पुराने और बेहतरीन विश्वविद्यालय थे। इन सब विश्वविद्यालयों ने लिबरल कलाओं और लिबरल शिक्षा परंपरा पर ही जोर दिया। लिबरल कला शिक्षा का यह भारतीय विचार आज 21वीं शताब्दी में रोजगार के संदर्भ में भी काफी महत्वपूर्ण हो चला है और इस तरह की लिबरल कला शिक्षा आज विश्व में खूब प्रचलित है। यही समय है जब भारत अपनी इस महान परंपरा को फिर से इसका समुचित स्थान दिलाएं।

लिबरल शिक्षा के लिए उठाए जाने वाले आवश्यक कदम- बहुअनुशासनिक माहौल और संस्थान हमें अब केवल एक ही स्ट्रीम में शैक्षिक कार्यक्रम चलाने के बजाय अपने कॉलेज और विश्वविद्यालयों में एकीकृत
बहु अनुशासनिक कार्यक्रमों को शुरु करना होगा।

  • विश्वविद्यालयों में विषयों के बीच बढ़ती खाई को पाटना जिससे इस व्यवस्था से विद्यार्थियों को आजादी मिले जिससे वे अपनी रुचि और प्रतिभा के अनुसार अलग-अलग स्ट्रीम के विषय भी चुन सकें।
  • लिबरल शिक्षा के साथ गहन विशेषज्ञता पर जोर एक व्यापक और लचीली शिक्षा के साथ-साथ को चुने गए विषयों और क्षेत्रों में गहन विशेषज्ञता भी जरूरी है ताकि चुने गए क्षेत्रों और विषयों में खास विशेषज्ञता हासिल की जा सके।
  •  लिबरल शिक्षा में विद्यार्थियों को स्थानीय उद्योगों में इंटर्नशिप के अवसर उपलब्ध कराने होंगे।
  • स्नातक डिग्री के विकल्पों में लचीलापन:: लिबरल आर्ट एजुकेशन के लिए एक 4 वर्षीय बैचलर ऑफ लिबरल आर्ट्स या बैचलर ऑफ लिबरल एजुकेशन डिग्री शुरू की जाएगी। जिसमें व्यापक लिबरल एजुकेशन के साथ-साथ विषय विशेष पर गहन विशेषज्ञता पर जोर होगा।

मुक्त और दूरस्थ अधिगम जीवन भर सीखने के लिए अवसर और पहुंच को समृद्ध करने के लिए शिक्षा क्रम और शिक्षण शास्त्र -

  • मुक्त और दूरस्थ अधिगम की क्वालिटी में आमूलचूल परिवर्तन। 
  • गुणवत्तापूर्ण अधिगम अनुभव की पहुंच में सुधार करने के लिए मुक्त और दूरस्थ अधिगम को बढ़ावा देना। 
  • इसके लिए उच्च शिक्षा जिसमें पेशेवर और व्यवसाय शिक्षा शामिल है कि पहुंच बढ़ाना ।
  • जो लोग विभिन्न आजीविका उनसे जुड़े हैं साथ-साथ वे लोग दोबारा औपचारिक शिक्षा व्यवस्था में आना चाहते हैं। ऐसे लोगों तक पहुंचते हुए जीवन भर सीखने और सर्टिफिकेशन को बढ़ावा देना।
  • स्कूली और उच्च शिक्षा में शिक्षकों की लगातार पेशेवर विकास में सहायता देना। 

  • व्यापक स्तर पर मुक्त ऑनलाइन कोर्स उपयोग में लाए जाएंगे।

उच्च शिक्षा का अंतरराष्ट्रीयकरण-

 अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रासंगिक शिक्षा-
 इस नीति के तहत राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक प्रतियोगी शिक्षा को विकसित करने के लिए जिस सोयता और आजादी की अनुशंसा की गई है। 
उसका लाभ भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों को उठाना चाहिए। भारतीय भाषाओं कलाओं संस्कृति इतिहास और परंपराओं पर कोर्स।
 विदेशी और भारतीय संस्थानों के बीच साझेदारी को बढ़ावा दिया जाएगा और इसे सहयोग दिया जाएगा ताकि शैक्षिक कार्यक्रमों को साझे तौर पर चलाया जा सके।
 अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए प्रवेश को आसान बनाने के लिए प्रक्रिया को सुधारना होगा।


राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थान -
उद्देश्य- देश भर में हर एक अकादमिक विषय में अनुसंधान और नवाचारों को प्रेरित और प्रोत्साहित करना ।साथ ही विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में अनुसंधान को शुरू करने और विकसित करने पर विशेष ध्यान देना और इसके लिए वित्त पोषण हेतु उच्च स्तरीय आपसी समीक्षा मैट्रिक और सहयोग के द्वारा एक अनुकूल तंत्र का निर्माण करना।

  • देशभर में अनुसंधान और  नवाचार की संस्कृति को प्रसारित करने का महत्व जिनमें देश के सामाजिक, विज्ञान ,मानविकी और विभिन्न सामाजिक एवं सांस्कृतिक आयामों की गहरी समझ शामिल हो और भारत में सामाजिक रूप से व्याप्त चुनौतियों के लिए समाधान हो।
  •   राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की स्थापना के द्वारा अनुसंधान की राह में बाधाएं दूर करना और देश भर में अनुसंधान और नवाचार को उल्लेखनीय रूप से बढ़ावा देना।
  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चल रही अच्छी प्रक्रियाओं के अनुरूप NRF  के वित्तपोषण के अंतर्गत शोधार्थियों द्वारा किए गए सभी शोध प्रकाशन,पेटेंट आदि पर शोधार्थियों का ही अधिकार सुरक्षित रहेगा और शासन या शासन से  संबद्ध संस्थाओं को इस शोध के समाज के लाभार्थी उपयोग करने अभ्यास करने इसका क्रियान्वयन करने हेतु बिना किसी शुल्क या रॉयल्टी के अनुमति देने का अधिकार भी शोधार्थी के पास रहेगा।
  • राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थान द्वारा वित्त पोषित उत्कृष्ट अनुसंधान और को अवार्ड और सेमिनार द्वारा पहचान दिलाना।



पेशेवर शिक्षा-

 उद्देश्य - पेशेवर शिक्षा का उद्देश्य एक समग्र दृष्टिकोण का निर्माण करना जो व्यापक आधार वाली दक्षता और 21वीं सदी के लिहाज से जरूरी कौशलों सामाजिक मानवीय संदर्भों की समझ और मूलभूत नैतिक आदर्श के साथ-साथ उत्कृष्ट पेशेवराना क्षमताओं के विकास को सुनिश्चित करना  होना चाहिए।


  •  भारत में कृषि कानून स्वास्थ्य तकनीकी आदि क्षेत्रों में पेशेवर शिक्षा विषय विशेष में और सामान्य उच्च शिक्षा से अलग-अलग रूप में दी जाती है। हर राज्य में तकनीकी विश्वविद्यालय स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय कानूनी और कृषि विश्वविद्यालय स्थापित किए गए हैं। हालांकि पेशेवर शिक्षा के प्रयास पर केंद्रित रहते हैं कि छात्र नौकरियों के लिए तैयार हो सकें लेकिन रोजगार की योग्यता के रूप में जो परिणाम है वे संतोषजनक नहीं रहे हैं। पेशेवर परिषद को अपनी भूमिका को पीएसएसबी तक सीमित रखना चाहिए। पाठ्यचर्या शिक्षण शास्त्र आदि अकादमिक मसलों की जिम्मेदारी पेशेवर शिक्षा प्रदान करने वाले विश्वविद्यालयों और कालेजों को दी जानी चाहिए। अन्य जिम्मेदारियां जैसे गवर्नेंस विनिमय प्रमाणन और फंडिंग को सामान्य शिक्षा के अनुरूप किया जाना चाहिए।
  • स्नातकोत्तर शिक्षा का नवीनीकरण। स्नातकोत्तर शिक्षा की पाठ्यचर्या और शिक्षण शास्त्रीय दृष्टिकोण को नवीनीकृत किया जाएगा जिससे विशेषज्ञता के प्रत्येक क्षेत्र में संदर्भ में पेशेवर प्रैक्टिस और अनुभव की प्राप्ति को सुनिश्चित किया जा सके। शोध पेशेवर शिक्षा के कई अनुशासन जैसे आर्किटेक्चर और फाइन आर्ट प्रैक्टिस आधारित होते हैं और इन क्षेत्रों में शोध की शोध अभी शुरुआती स्तर पर है। शोध को नए ज्ञान का निर्माण करने तथा पेशेवर शिक्षा की प्राप्तियों को सुधारने की दिशा में उन्मुख किया जायेगा।
  •  पेशेवर शिक्षकों की तैयारी हेतु शिक्षा विभाग की स्थापना- पेशेवर शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षक शिक्षा को सुदृढ़ करने के लिए सभी विश्वविद्यालयों में शिक्षा विभागों की स्थापना की जाएगी। यदि उन्हें पहले से विद्यमान नहीं है और यह किसी भी पेशेवर क्षेत्र में शिक्षा प्रदान करने वाले कॉलेज संबंध करते हैं।
  • संकाय सदस्यों के पेशेवर विकास के लिए। विभिन्न विश्वविद्यालयों की शिक्षा विभाग द्वारा सतत शिक्षा कार्यक्रम भी चलाए जाने चाहिए।
  • शिक्षकों के लिए पेशेवर परिषद पेशेवर शिक्षा के हर अनुशासन के संकाय सदस्यों के लिए एक पेशेवर परिषद का होना जरूरी है जो यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी लेने के लिए ले सके कि हर सदस्य नियमित समय अंतराल पर रिपोर्ट करें। 
  • पेशेवर शिक्षा की फीस शैक्षिक संस्थानों को अपने तरीके से काम करने के लिए सहायता दिए जाने की भावना से भारत में रखते हुए फीस तय करने की जिम्मेदारी भी शैक्षिक संस्थानों चाहे वह सरकारी हो या निजी उनके प्रबंधन पर छोड़ दी जानी चाहिए। 
  • गुणवत्तापूर्ण पेशेवर शिक्षा तक सबकी सामान पहुंच नए संस्थान स्थापित करने के लिए बुनियादी संरचना और अधिगम संस्थानों से संबंधित निर्णय का सबसे महत्वपूर्ण मार्गदर्शन सिद्धांत होगा न्याय संगत पहुंच।

 कृषि एवं अन्य संपदा अनुशासन-

  •  प्रशिक्षित स्नातकों की इंडस्ट्री की मांग खासकर फिर से चलने व्यापार की मांग को फिर से कि मौजूदा पूर्व स्नातक शिक्षा पूरा नहीं कर पा रही है। एवं मांग। एयू की वर्तमान क्षमता की दुगनी से अधिक है। मौजूदा संस्थानों की क्षमता बढ़ाकर नहीं यूज़ स्थापित कर कृषि एवं पशु चिकित्सा विज्ञान से संबंधित सभी क्षेत्रों में एवं सामान्य शिक्षा के साथ एकीकृत पूर्व स्नातक शिक्षा मुहैया कराने की क्षमता बढ़ाई जाएगी।
  •  एकीकृत कृषि शिक्षा,सभी नए AUs  को एकीकृत किया जाएगा। जिसमें सभी परस्पर संबंधित आयाम शामिल होंगे। जैसे कृषि बागवानी पशु चिकित्सा विज्ञान एग्रोफोरेस्ट्री मत्स्य पालन एवं सभी खाद्यान्न उत्पादन व्यवस्थाएं।

  •  4 वर्षीय पूर्व स्नातक कार्यक्रम की शुरुआत में यथेष्ट रूप से बुनियादी विज्ञान मानव और सामाजिक विज्ञान की अनुशासन जैसे अर्थशास्त्र के जरिए व्यापार प्रबंधन, मार्केटिंग और ग्रामीण समाजशास्त्र कृषि नीति शास्त्र कृषि नीतियां आदि को शामिल किया जाएगा। कृषि एक संयुक्त आर्थिक गतिविधि है। उसको प्रशिक्षण बिजनेस इनक्यूबेशन नए व्यवसाय स्थापित करने के संबंध में सभी प्रासंगिक राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं और विश्वविद्यालयों के साथ मजबूत संपर्क बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। 
  • भूमि अनुदान के अलावा एयूज को केंद्र और राज्य सरकार की सहभागिता और परस्पर सहमति के द्वारा पर्याप्त शासकीय अनुदान की व्यवस्था की जाएगी।

 कानूनी शिक्षा-


  •     सामाजिक सांस्कृतिक संदर्भ पर चिंतन हेतु पाठ्यचर्या -विश्वविद्यालय के संबंधित अधिकारियों को इस बात को सुनिश्चित करना होगा कि उनका पाठ्यक्रम देश में कानूनी विचार प्रक्रिया का इतिहास न्याय के सिद्धांत न्याय शास्त्र की कार्यप्रणाली और संबंधित अन्य को प्रमाण सही तरीके से पर्याप्त मात्रा में शामिल करें। 
  • बहुभाषिक शिक्षा -भविष्य में कानून की शिक्षा को विभाजित बनाया जाना चाहिए। जिसमें कानूनी विद्यार्थियों वकील और न्यायाधीशों को अंग्रेजी और उस राज्य की आधिकारिक कार्य कार्यों की भाषा दोनो में शिक्षा दी जानी चाहिए। 
  • साथ ही क़ानूनी पठन सामग्री का अंग्रेजी भाषा से राज्य की भाषा में या राज्य की भाषा से अंग्रेजी भाषा में अनुवाद के लिए भी विशिष्ट विभाग बनाए जाएंगे।


  • चिकित्सा शिक्षा-


  • एमबीबीएस की उपाधि की उच्च गुणवत्ता को सुनिश्चित करना -हर एमबीबीएस की उपाधि धारण की वे विद्यार्थी में चिकित्सकीय कौशल, नैदानिक कौशल ,शल्य चिकित्सा कौशल ,आपातकालीन कौशल आवश्यक रूप से होने चाहिए। अतः चिकित्सा के विद्यार्थियों के लिए पुनः नियमित शिक्षा को इस बात को सुनिश्चित करना होगा।
  •  इसके लिए पाठ्यक्रम शिक्षण प्रक्रिया आकलन और अध्ययन के दौरान कार्य कार्यानुभव  लेना जैसे सभी प्रक्रियाओं में सुधार करना होगा। बहुत आबादी स्वास्थ्य सेवा शिक्षा और उसका अंतर एमबीबीएस के पाठ्यक्रम का पहला साल या 2 साल सभी विज्ञान के विद्यार्थियों के लिए सामान्य कालांश के रूप में लागू किया जाएगा, जिसके बाद एमबीबीएस बीडीएस नर्सिंग या अन्य विशेषज्ञता हासिल कर सकते हैं। 
  •   देश में बहुत आबादी स्वास्थ्य सेवा चिकित्सा को बना दिए जाने से देश में प्रचलित विभिन्न स्वास्थ्य सेवा प्रणालियां जैसे आयुर्वेद योग प्राकृतिक चिकित्सा यूनानी सिद्ध और होम्योपैथी आयुष मुख्यधारा में आ जाएंगे और सामाजिक स्वास्थ्य केंद्रों में आयुष चिकित्सा तक बेहतर पहुंच बनाई जा सकेगी।  
  •    MBBS शिक्षा के लिए केंद्रीकृत निर्गम परीक्षा एमबीबीएस में प्रवेश के लिए जिस तरह एनआईटी को एक समान एकीकृत प्रवेश परीक्षा के रूप में लागू किया गया है। उसी तरह एमबीबीएस के लिए एकीकृत निर्गम परीक्षा का भी आयोजन किया जाएगा, जिसकी अनुशंसा नेशनल मेडिकल बिल में भी की गई है।
  • नर्सिंग शिक्षा और नर्स के व्यवसाय में प्रगति दीर्घ काल में यह उचित होगा कि नर्स बनने के लिए बीएससी नर्सिंग को एकमात्र योग्यता माना जाए वर्तमान में नर्सिंग कर्मचारियों की कमी को ध्यान में रखते हुए जीएनएम कोर्स को आप किस तरह धीरे-धीरे समाप्त किया जाए इसके बारे में सावधानीपूर्वक निर्णय लिया जाएगा। #
  •   स्नातकोत्तर शिक्षा का विस्तार शिक्षा में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में उपलब्ध। सीट्स की संख्या एमबीबीएस से आती है देशभर के अस्पतालों में उपलब्ध सुविधाओं के आधार पर इस संख्या को तत्काल प्रभाव से बढ़ाया जाएगा।

 तकनीकी शिक्षा-

  • स्नातक कक्षाओं के पाठ्यक्रम को सशक्त बनाना। हर संकाय का पाठ्यक्रम लगातार संशोधित संशोधित किया जाएगा इनमें दूसरे संकाय की सामग्री भी शामिल की जाएगी जिससे बड़ी सावधानी से चुना जाएगा सिद्धांत और व्यवहार का छुड़ाओ उद्योगों के साथ तालमेल और इंटर्नशिप के लिए भी तरह के अवसरों की उपलब्धता को सुनिश्चित किया जाएगा। 
  • भारत में उन सभी तकनीकी क्षेत्र में बढ़त लेने का प्रयास किया जाना चाहिए जो वर्तमान में तेजी से विकसित हो रहे हैं। जैसे ही कृत्रिम बुद्धिमता 3डी तकनीक तकनीकी शिक्षा में बड़े डाटा को एनालिसिस और मशीनों से सीखना जिलों में केस स्टडीज बायोटेक्नोलॉजी ,नैनो वैज्ञानिकों और अभियंताओं को इस तकनीकी महाविद्यालय और विश्वविद्यालय में अध्यापन के लिए नियुक्त किया जा सकता है।
  • उद्योगों के बीच संवाद को बढ़ाना उद्योग और  सहभागिता के लिए उद्योगों में।
  •  संस्थानों में उद्योगों के उत्कृष्ट और इनक्यूबेशन केंद्र स्थापित किए जाएंगे।
  • ऐसे शिक्षकों को नियुक्त किया जाएगा जिनके पास आवश्यक अकादमी आहार्ताओं के साथ-साथ उद्योग और अनुसंधान का अनुभव।
  •  उद्योग के क्षेत्र में चयनित विशेषज्ञों को संस्था के अध्यापन बोर्ड में विशेष स्थान उपलब्ध कराना स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार उत्पाद विकसित करने हेतु विद्यार्थियों के लिए समीप के उद्योग में इंटर्नशिप के अवसर मुहैया कराना। 
  •  स्टेट ऑफ द आर्ट संसाधन का शैक्षिक उद्देश्य के लिए उपयोग करना।


प्रौढ़ शिक्षा-
 उद्देश्य -सन 2030 तक युवा एवं प्रौढ़ साक्षरता दर को 100% पहुंचाना और प्रौढ़ एवं सतत शिक्षा कार्यक्रमों को पर्याप्त विस्तार देना।

  • प्रौढ़ शिक्षा की पाठ्यचर्या का ढांचा विकसित करना। पहुंच सुनिश्चित करने के लिए सभी आधारभूत संरचना का निर्माण एवं उपयोग। 
  • प्रौढ़ शिक्षा के लिए प्रशिक्षकों का प्रभावी प्रशिक्षण।

 भारतीय भाषाओं का संवर्धन और प्रसार-

 उद्देश्य -सभी भारतीय भाषाओं के संरक्षण विकास और जीवंतता को सुनिश्चित करना। दशकों से जो नहीं हुआ वह हमें अब करना होगा हमारे बच्चों और आने वाली पीढ़ियों के लिए भारतीय भाषाओं को पुनर्जीवित और संरक्षित करना होगा ।

  •  उच्च शिक्षा संस्थानों में भारतीय भाषाओं और साहित्य के उच्च गुणवत्तापूर्ण और सशक्त कार्यक्रम। जिसमें आदिवासी भाषाएं में शामिल होंगी। 
  • स्कूली शिक्षा के लिए सभी शिक्षक शिक्षा कार्यक्रमों में भारतीय भाषाओं के घटकों का मजबूत बनाया जाएगा। # शिक्षक और संकाय सदस्यों की नियुक्ति। 
  • भारतीय भाषाओं साहित्य भाषा शिक्षण और संबंधित सांस्कृतिक क्षेत्रों में शोध। जिसके लिए एनआरएफ की ओर से पर्याप्त अनुदान द्वारा सहायता की जाएगी। 
  • शास्त्रीय भारतीय भाषाओं और साहित्य को आगे बढ़ाने के लिए विशेष योजनाएं सारे उच्च शिक्षा संस्थानों द्वारा बनाई जानी चाहिए।
  • भारतीय भाषाओं में शब्दावली को व्यापक किया जाएगा। हर 3 साल में प्रत्येक निकाय अपने संबंधित भाषाओं के नवीनीकृत और व्यापक शब्दकोश प्रकाशित करेंगे इन संस्थानों में विकसित की गई मानकीकृत शब्दावली सभी विद्यालयों और विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में इस्तेमाल की जाएगी। 
  • शिक्षा संस्थान के शिक्षक और संकाय सदस्यों अखबारों पत्रिकाओं में और पुस्तक के लेखन में हुए लोगों द्वारा मानकीकृत शब्दावली का प्रचुर मात्र में इस्तेमाल की गई विकसित किए शब्दकोश और शब्दों के प्रचार प्रसार के लिए 




                राष्ट्रीय शिक्षा आयोग -

उद्देश्य - नई राष्ट्रीय शिक्षा आयोग के नेतृत्व में भारतीय शिक्षा व्यवस्था का विजन से क्रियान्वयन सभी स्तर पर क्षमता और उत्कृष्टता प्रदान करने और एक तारतम्य में के साथ काम करने की ओर आगे बढ़ाना। 

  • शिक्षा के लिए एक नया शीर्ष निकाय राष्ट्रीय शिक्षा आयोग का गठन किया जाएगा। राष्ट्रीय शिक्षा आयोग सतत रूप से देश में शिक्षा के विजन को विकसित करने इसे स्पष्ट शब्दों में व्यक्त करने और इसकी क्रियान्वयन मूल्यांकन और संशोधन के लिए जिम्मेदार होगा। यह उस संस्थागत ढांचे का निर्माण और देखरेख भी करेगा जो शिक्षा के विजन को साकार करने में मदद करेगा। 
  •  शिक्षा मंत्रालय पुनः शिक्षा और सीखने पर ध्यान देने के लिए एमएचआरडी को नया स्वरूप दिया जाएगा इसे शिक्षा मंत्रालय के रूप में पुनर्गठन किया जाएगा। 

  •    राष्ट्रीय शिक्षा आयोग का अध्यक्ष प्रधानमंत्री होंगे प्रधानमंत्री कम से कम एक बार राष्ट्रीय शिक्षा आयोग की बैठक बुलाएंगे वर्ष में या जितनी बार आवश्यकता समझी जाएगी उतनी बार जिसमें प्रधानमंत्री समग्रता में भारत की शिक्षा की प्रगति की समीक्षा और आवश्यकतानुसार उचित कदम उठाएंगे। 
  • राष्ट्रीय शिक्षा आयोग के उपाध्यक्ष केंद्रीय शिक्षा मंत्री होंगे इनका कार्य प्रमुख काम करने वाली निकायों को नेतृत्व अध्यक्षता प्रदान करना होगा।
  • राष्ट्रीय शिक्षा आयोग में लगभग 20 से 30 सदस्य नाम शामिल होंगे। सदस्यों के बदलते क्रम में कुछ केंद्रीय मंत्री होंगे। जिनका मंत्रालय सीधे तौर पर शिक्षा को प्रभावित करता है। जैसे ही स्वास्थ्य महिला बाल विकास वित्त और साथ ही कुछ प्रदेश के मुख्यमंत्री बदलते क्रम में प्रधानमंत्री के मुख्य सचिव, कैबिनेट सचिव, नीति आयोग के उपाध्यक्ष ,शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ एवं सचिव दूसरे किसी वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी से सरकार उपयोग समझें कम से कम 50 फ़ीसदी सदस्य प्रमुख शिक्षाविद, शोधकर्ता और विभिन्न क्षेत्रों जैसे कला, व्यवसाय ,स्वास्थ्य, कृषि सामाजिक कार्य के अग्रणी या पेशेवर होंगे ।सभी सदस्य उच्च विशेषज्ञता को के लोग होंगे जो काफी विश्वसनीय और स्वायत्त होंगे।

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