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Tuesday, January 5, 2021

माध्यमिक शिक्षा आयोग मुदालियर कमीशन 1952-53 SECONDARY EDUCATION COMMISSION



केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड ने 1951 में केंद्र सरकार के सामने माध्यमिक शिक्षा आयोग की नियुक्ति का प्रस्ताव रखा।


 माध्यमिक शिक्षा आयोग का गठन 23 September 1952

आयोग के अध्यक्ष मद्रास विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति डॉ0 लक्ष्मणस्वामी मुदालियर।

अध्यक्ष सहित कुल सदस्य 10।
 अन्य प्रमुख सदस्य- 
डॉ0 के0एन0श्रीमाली 
श्री के0जी0 सैयदेन 
श्रीमती हंसा मेहता 
श्री जॉन क्राइस्ट 
श्री कैथन रस्ट विलियम्स

आयोग ने रिपोर्ट प्रस्तुत की 29 अगस्त 1953


आयोग की नियुक्ति का उद्देश्य तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा की स्थिति का पता लगाना और पुनर्गठन के संबंध में सुझाव देना।


माध्यमिक शिक्षा के उद्देश्य -
जनतांत्रिक नागरिकता का विकास
 व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास 
व्यवसायिक कुशलता में वृद्धि और नेतृत्व विकास।

 माध्यमिक शिक्षा आयोग ने सुझाव दिया कि केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की तरह प्रत्येक प्रांत में प्रांतीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की स्थापना की जाए ।

प्रत्येक प्रांत में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का गठन किया जाए जिसके पदेन अध्यक्ष शिक्षा निदेशक(कार्य - शिक्षा मंत्री को सलाह देना) होंगे।


तकनीकी शिक्षा के लिए प्रत्येक प्रान्त में तकनीकी शिक्षा बोर्ड स्थापित किया जाए जो All india council for technical education के निर्देशन में कार्य करे।



वित्त व्यवस्था की जिम्मेदारी प्रांतीय सरकारों की परंतु केन्द्र सरकार को मदद करनी चाहिए ।


माध्यमिक स्कूलों को दिया जाने वाला दान आयकर से मुक्त होगा भूमि की नि:शुल्क व्यवस्था।

तकनीकी शिक्षा की व्यवस्था के लिए उद्योगों पर कर लगाया जाए ।


 प्रत्येक विद्यालय में निश्चित समय अन्तराल  से निरीक्षण होना चाहिए निरीक्षण मंडल में विद्यालयों के निरीक्षक, माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य , शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों के अनुभवी अध्यापक।

माध्यमिक शिक्षा 11 से 17 वर्ष के बालक बालिकाओं के लिए 3 वर्ष निम्न माध्यमिक 4 वर्ष उच्च माध्यमिक की कक्षायें चलेंगी।

इण्टरमीडिए को समाप्त कर 11 वीं को माध्यमिक 12 वीं को डिग्री में जोड़ दिया जाए । डिग्री कोर्स 3 वर्ष का होगा।


बहुउद्देशीय विद्यालय खोले जायेंगे।

निवास विद्यालयों की व्यवस्था। छात्राओं के लिए गृहविज्ञान के अध्ययन की सुविधा की जाएगी ।

बड़े शहरों में पोलीटेक्नीक खोले जाएं ।


ग्रामों में स्थापित माध्यमिक विद्यालयों में कृषि शिक्षा के साथ पशुपालन बागवानी तथा कुटीर उद्योगों की शिक्षा दी जानी चाहिए ।


प्रत्येक राज्य में दृष्टिहीन बाधिर तथा मूक आदि बाधितों की  शिक्षा का प्रबंध किया जाना चाहिए ।


मूल्यांकन अंकों में नहीं बल्कि ग्रेड सिस्टम होना चाहिए । वस्तुनिष्ठ परीक्षाओं की व्यवस्था।

अनुशासन के लिए 17 वर्ष से कम आयु के बालकों को राजनीति में भाग लेने नहीं दिया जाएगा ।


आवश्यकतानुसार बालिका विद्यालय खोले जाएं जहाँ सम्भव न हो सह शिक्षा की व्यवस्था की जाए । बालिकाओं को किसी भी प्रकार की शिक्षा प्राप्त करने का समान अधिकार ।


नैतिक और धार्मिक शिक्षा अध्ययन से पूर्व या बाद में किसी को बाध्य न किया जाए ।

मिडिल स्चूलों में कम से कम दो भाषाओं की शिक्षा शिक्षा का माध्यम मातृभाषा या प्रादेशिक भाषा । अंग्रेजी अनिवार्य विषय रहने दिया जाए । हिन्दी अनिवार्य विषय बनाया जाए ।


कार्यदिवस 200 तथा 2 माह का ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन अवकाश।


शिक्षकों की शिकायतों पर विचार के लिए आर्बिटेशन बोर्ड बनाया जाए।

सेवानिवृति आयु 58 के स्थान पर 60 कर दी जाए।


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