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Saturday, June 27, 2020

वर्चुअल लैब द्वारा विज्ञान प्रशिक्षण

26 जून, 2020,
विज्ञान शिक्षकों के लिए एससीईआरटी द्वारा आयोजित वर्चुअल लैब के माध्यम से विज्ञान प्रशिक्षण  26 जून से  2 जुलाई तक की शुरुआत हुई।पहला दिन था और यह वर्चुअल लेब में विभाग द्वारा पहली बार ही हो रही थी तो उत्सुकता भी थी कि क्या होने वाला है? मैने रा0इ0का0 जयंती कोठियाड़ा में प्रतिभाग किया। तीन अन्य साथी वहां पर थे तो कुल मिलाकर 4 साथी। शुरुआत में कनेक्टिविटी में थोड़ी परेशानी हुई थी। दीपक बुटोला जी ने प्रयास करके यह समस्या किसी तरह दूर की। एस0सी0ई0आर0टी0 देहरादून से कार्यशाला की औपचारिक शुरुआत की गई।

डॉ0 प्रदीप रावत जी द्वारा ओपन एजुकेशन रिसोर्सेज के बारे में बताया गया जो कि बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी थी। इस कार्यशाला कि आज के दिन की सबसे उपयोगी जानकारी प्राप्त हुई,जो कि आपके साथ जरूर साझा करना चाहूंगी।
यूट्यूब आजकल ऑनलाइन एजुकेशन का प्रचलित माध्यम बना हुआ है, किंतु हम सभी जानते हैं, बच्चों के लिए भटकाव के लिए इसमें कितना कुछ है । जब बच्चे पढ़ने बैठते हैं तो सिर्फ पढ़ते रहे इसके लिए एक उपाय है-टेलीविजन।जिसके के माध्यम से स्वयं प्रभा चैनल पर हर विषय पर स्टडी मटेरियल उपलब्ध है जो कि बिल्कुल नि:शुल्क है।
1. गणित विज्ञान की बात करें तो DTH पर स्वयंप्रभा चैनल संख्या 27, 28 दसवीं कक्षा के विज्ञान विषय के लिए है।
• चैनल संख्या 31 पर NCERT का पूरा पाठ्यक्रम उपलब्ध है,जो कि विज्ञान और गणित विषय के लिए है। JEEE तथा NEET की तैयारी के लिए चैनल संख्या 19, 20 21 और 22 जो कि19 biology ,20-केमिस्ट्री, 21 गणित, 22 फिजिक्स के लिए है।
1. स्वयं प्रभा चैनल को इंटरनेट पर भी देखा जा सकता है जिसका लिंक। Www.nic.in है
2. लिंक पर क्लिक करते ही explore आयेगा फ़िर 32 चैनल की लिस्ट खुलेगी।
3. screen archive पर जाएँ , सभी स्टडी मटेरियल उपलब्ध है।किसी भी विषय पर भी विडियो देखा जा सकता है। 

• दूसरा महत्वपूर्ण स्रोत है e-pathshala जो कि भारत सरकार की वेबसाइट है। जिस पर एनसीआरटी की बुक सीनियर सेकेंडरी तथा स्कूली शिक्षा के लिए उपलब्ध है। 

• अगला स्रोत है Khan Academy स्कूली शिक्षा के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए विभिन्न वीडियो उपलब्ध है।
• करोना के इस दौर में यह सोच सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन करते हुए पंचायत स्तर पर विद्यार्थियों के लिए लगाया जा सकता है। ऐसे सुझाव प्रस्तुत किया गया।
• इसके पश्चात डॉ0 मोहन सिंह बिष्ट जी द्वारा वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए तनाव प्रबंधन पर महत्वपूर्ण जानकारी दी गई। जिसे स्लाइड के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। प्रस्तुतीकरण बहुत ही रोचक लगा और आसानी से समझने वाला भी था।
• साथ ही एक बात समझ में आई कि तनाव की बात ज्यादा देर तक की जाए तो तनाव उत्पन्न होने की प्रबल संभावना रहती है जो कि वर्तमान में देखा जा सकता था।
• अंत में चर्चित मुद्दे corona के बारे में बताया गया कि पिछले चार-पांच महीनों से जो जानकारी मिल रही है, वैसे ही थी।जो काफी विस्तार से समझाया गया। बहुत कुछ सीखने को मिला और कक्षा से पलायन के कारण भी समझ आया। 1:00 बजे समाप्त होने वाली कार्यशाला 2:15 तक समाप्त हुई और हम सभी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए मुंह पर मास्क लगाए वापस आ गए।


अगले 4 दिनों का आँखो देखा हाल यदि पढ़ना चाहें तो कमेंट में जरुर बताएं।धन्यवाद😊🙏

Monday, June 1, 2020

एक नई स्किल ::शुरुआती 20 घण्टे

हम कितना कुछ सीखना चाहते हैं गिटार बजाना, हारमोनियम, पियानो बजाना, पेंटिंग स्केचिंग, लेखन,डांस,तैराकी, न जाने कितने ऐसे शौक होते हैं जिन्हें हम पूरा करना चाहते हैं। मुझे यह सीखना है, वह सीखना है, पर हमेशा समय कहां मिल पाता है। यह सोचकर हमारा न जाने कितना समय ऐसे ही निकल जाता है। पिछ्ले कुछ दिनों लॉक डाउन के दौरान बहुत सारी पुस्तकों को समझने का मौका मिला। ऐसे ही एक पुस्तक जॉश कॉफमैन की 'द फर्स्ट 20 आवर्स', जिसमें यह बताया गया कि किसी भी स्किल को सीखने में 20 घंटे का समय देने से आसानी से सीखा जा सकता है।
स्वयं लेखक ने इस नियम से कई सारी स्किल्स सीखी हैं। मेरे दिमाग में कई सारी बातें आई। मुझे हारमोनियम बजाना सीखना है, कोई नई भाषा सीखनी है, पेंटिंग- ड्राइंग सीखनी है।
अंत में काफी सोचने के बाद मैंने सोचा मैं स्केचिंग सीखूगी। बुक में दिए गए पांच सिद्धांतों पर विचार किया। स्केचिंग करनी थी साधन, सीमित पेंसिल और पेपर! पुस्तक में दिये गये 5 सिद्धांत यह थे-
1- लक्ष्य निर्धारण
2-स्किल को छोटे-छोटे कौशल में बांटना
3-जितनी जरुरत हो उतनी रिसर्च
4- रुकावटों को दूर करना
5-20 घंटे का अभ्यास।

पहले सिद्धांत लक्ष्य निर्धारण में हमें यह ध्यान देना होता है कि हमें क्यों सीखना है और कितना सीखना है? इन्हें किसी भी स्किल का बहुत विस्तार होता है। हमें उसमें से एक सीमा का निर्धारण करना होगा। जैसे अगर कोई गिटार बजाना सीखना चाहता है तो वह 4,5 सॉन्ग सेलेक्ट कर ले। जिन पर वह गिटार बजाना सीखेगा। और कितना और क्यों सीखना है? हमें क्या प्रोफेशनल प्रोफेशनल आर्टिस्ट बनना है या फिर हमें यह काम बस शौक के लिए करना है । हम अपने दोस्तों के साथ मौज मस्ती के लिए सीख रहे हैं।लक्ष्य निर्धारित करें। इससे किसी लक्ष्यों का निर्धारण कर सकते हैं। मैंने सोचा कि क्यों न मैं पोर्टरेट स्केचिंग करुँ। मैंने ज्यादा कुछ नहीं सोचा बस यह कि मैं इसको बस 20 घंटे करके देखती हूं। क्या पता यह सच में हो जाए?
2- स्किल को छोटी-छोटी सब स्किल में बांटना-
कोई भी जो कौशल होता है उसकी बहुत सारे कई कौशलों से मिलकर बना होता है।उसमें से कुछ कौशलों के द्वारा हम उस काम को आसानी से कर सकते हैं । उसके बाद मैने जो सोचा यह था स्केचिंग ।स्केचिंग में बहुत कुछ आता है, लेकिन मैंने उसमें से सिर्फ पोर्टरेट पर फोकस किया और उसी पर काम किया।
3-रिसर्च सिर्फ उतनी ही करो जितनी तुम्हें जरुरत हो- स्किल में किया गया अभ्यास रिजल्ट देगा। लेखक दो समूहों के उदाहरण देते हैं ।जिसमें से पहले समूह को लर्निंग बाई डूइंग से पॉट बनाना सीखने को कहा गया दूसरे समूह को किताबें दी गयी और फ़िर पॉट बनवाये गये।रिजल्ट यह रहा कि पहला समूह ज्यादा अच्छे और अधिक संख्या में पॉट बना पाया। मेरे पास कोई मेंटर नहीं था तो मैंने यू टयूब की मदद से थोड़ा बहुत वीडियोज़ देखे और अपना काम शुरू कर दिया।
4-रुकावटों को दूर करना-
यदि 40 मिनट भी समय एक दिन में दें तो 1 महीने में 20 घण्टे का समय हो जाता है ।इस 40 मिनट के दौरान tv ,फोन अन्य किसी भी ऐसी चीज से दूर रहना है जो हमारे फोकस को कम करे।कोशिश ऐसी करें जिससे हमें थकावट महसूस ना हो।जब मैं काम कर रही थी तो कभी पूरा समय नहीं दे पायी तो 20 या 30 मिनट जरुर काम किया,पर लगभग हर दिन अभ्यास किया।
5- 20 घंटे का अभ्यास -
शुरुआती अभ्यास कुछ ऐसा रहा


इस काम को 20 घंटे का समय देना है। जब 20 घंटे अभ्यास के लिए तैयार होते हैं तो हम सोचते हैं कि यदि यह काम होगा तो हम इसको सीख जाएंगे या फिर हमें लगता है कि यह इतना जरुरी नही हैं कि हम इस काम को 20 घंटे का समय दें।इसका मतलब यह काम हमारे लिए इतना जरूरी नहीं है ।इस तरीके से हम यह भी जान सकते हैं कि कौन से हमारे रियल ड्रीम्स हैं, जिन्हें हासिल करना चाहते हैं और कौन से ऐसे हैं जो सिर्फ हम सोचते हैं कि अगर यह सीख दिया होता तो अच्छा होता। 20 घंटे देने के बाद मुझे थोड़ा सा विश्वास आया है कि हां मैं कर सकती हूं। मुझे लगता है कि यह सिर्फ एक शुरुआती बिन्दु है। इसके बाद एक लंबा सफर शुरू होता है। लेकिन यह निश्चित रूप से काम करता है। जब मैं पहले दिन और आज मैं देखती हूं तो मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा है । 20 घंटे में मैने अलग-अलग जैसे बन पाये पोर्टरेट बनाए ।अन्तिम 20 वें घण्टे में जब मैने अभ्यास किया तो मैंने उस महिला की शक्ल बनाई जिसको पहाड़ की बेटी नाम से जानते हैं ,भारत की पहली महिला जिन्होंने एवरेस्ट फतह किया बछेन्द्री पाल!

मैं परफ़ेक्ट नहीं हूँ, एक यात्रा पर हूँ जिसका आनन्द ले रही हूँ और आपके साथ साझा कर रही हूँ।

कहते हैं सीखने की कोई उम्र नहीं।आओ! कुछ नया सीखते हैं।