श्रीमती सीमा जौनसारी
निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण
वेबिनार में राज्य भर से कुल 524 विशेषज्ञों,शिक्षकों ने प्रतिभाग किया। वेबीनार का संचालन डायट रतूड़ा की वरिष्ठ प्रवक्ता श्रीमती भुवनेश्वरी चंदानी जी द्वारा किया गया।
जिसमें पूरे देश भर से गणमान्य व्यक्ति जुड़े जिनमें से डॉ0 पंकज सिंह एसोसिएट प्रोफेसर दीनबंधु कॉलेज यूनिवर्सिटी दिल्ली जो की प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी हैं जो अंटार्कटिका मिशन पर भारत की तरफ से रहे, डॉ0 विनोद नौटियाल, योग विभाग एचएनबी केन्द्रीय विश्वविद्यालय , डॉ0 हेमलता यादव बी एम कॉलेज इंदौर HOD एजुकेशन डिपार्टमेंट सहित कई गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामय उपस्थिति रही।
सर्वप्रथम श्रीमती भुवनेश्वरी चंदानी के द्वारा सरस्वती वंदना के साथ कार्यक्रम का परिचय कराया गया और कार्यक्रम की रूप रेखा प्रस्तुत की गई।
श्री 0 एस0 एस0 असवाल डायट प्राचार्य रतूड़ा रुद्रप्रयाग
कार्यक्रम की रूपरेखा-
श्रीमती सीमा जौनसारी निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण उत्तराखंड देहरादून के द्वारा सभी को संबोधित करते हुए अपने विचार रखे गए और सभी को उत्तराखंड सरकार के प्रयासों से परिचित कराया।
जौनसारी मैम ने बताया कि समाज में बालक और बालिकाओं के बीच बहुत ज्यादा भेदभाव है।इसके लिए एक अवेयरनेस कैंपेन चलाने की आवश्यकता है।
जैसा कि साक्षरता के बारे में सभी जानते हैं कि उत्तराखंड देश में तीसरे स्थान पर है जो कि राज्य के लिए बहुत ही गौरव का विषय है।
इसके अलावा बालिका और बालकों के बीच होने वाले लिंग भेद दूर करने के लिए उत्तराखंड राज्य में कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय वह बहुत ही कारगर भूमिका निभा रहे हैं ।
यहां पर जो हॉस्टल हैं उनकी स्थिति बहुत अच्छी है इनमें से अधिकतम हॉस्टलों में 100 % बालिकाओं के प्रवेश हैं ।
12 वीं तक बालिका शिक्षा को लेकर कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में बहुत ही बेहतरीन कार्य हो रहा है ।यहां से बालिकाएं विभिन्न प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करती हैं और स्थान प्राप्त भी करती हैं जो कि पूरे राज्य भर के लिए गौरव का विषय है। इस तरह से उन्होंने
समानता और समता को लेकर अपने विचार प्रकट किए।
इसके पश्चात् प्रोफेसर अमरेंद्र प्रसाद बेहरा जी, संयुक्त निदेशक राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद नई दिल्ली द्वारा नई शिक्षा नीति 2020 के 27 चैप्टर में से अध्याय 6 की विस्तृत चर्चा की।
प्रो0 अमरेंद्र प्रसाद बेहरा संयुक्त निदेशक
NCERT Delhi
इसके अलावा सोशियो इकोनामिक कंडीशन के तहत जो बच्चे आते हैं और जिन बच्चों को चुराकर ले जा लिया जाता है, जो भीख मांगने वाले बच्चे हैं ,अनाथ बच्चे हैं इन सभी के बारे में शिक्षा नीति किस तरह से संवेदनशील है और उनको मुख्यधारा में लाने का प्रयास है इस पर उन्होंने बात रखी।
SEDGs की समस्याओं को समझा जा सके और और हायर एजुकेशन तक उनका ध्यान दिया जा सके। इसके लिए जो स्पेशल एजुकेशन जोन है वहां के बच्चों के लिए उनके समय के अनुसार शिक्षा की व्यवस्था की जाए और इसके अलावा बच्चों के लिए स्कॉलरशिप की बात शिक्षा नीति में की गई है।
SEDGs की समस्याओं को समझा जा सके और और हायर एजुकेशन तक उनका ध्यान दिया जा सके। इसके लिए जो स्पेशल एजुकेशन जोन है वहां के बच्चों के लिए उनके समय के अनुसार शिक्षा की व्यवस्था की जाए और इसके अलावा बच्चों के लिए स्कॉलरशिप की बात शिक्षा नीति में की गई है।
उनके लिए काउंसलिंग की विशेष व्यवस्था की गई है और उत्तराखंड में कस्तूरबा गांधी विद्यालय जिसमें
उत्तराखंड में एक बेहतरीन कार्य किया जा रहा है,उस पर उन्होंने सभी को बधाई दी ।
उन्होंने कहा कि इसी प्रकार से कस्तूरबा गांधी और नवोदय विद्यालयों का विस्तार किया जाएगा ।मुख्य रूप से यह स्पेशल एजुकेशन जोन में होंगे जहां पर बच्चों को इतनी अच्छी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पाती हैं इसके अलावा आदिवासी क्षेत्रों में भी बच्चों का ध्यान रखा जाएगा।
बच्चों का शिक्षण अधिगम स्तर एक जैसा हो उनकी विभिन्नता इसमें आगे ना आए इसके लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे ।
समानता का अधिकार की बात उन्होंने कही और साथ ही बालिकाओं की शिक्षा के लिए एक विशेष व्यवस्था की बात की।
दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष टेक्नॉलोजी और डिवाइस उपलब्ध हों।उनके लिए ऑडियो विजुअल ऐड्स विद्यालय में उपलब्ध हों।
दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष टेक्नॉलोजी और डिवाइस उपलब्ध हों।उनके लिए ऑडियो विजुअल ऐड्स विद्यालय में उपलब्ध हों।
प्रत्येक वर्ष 50 घंटे शिक्षकों को अनिवार्य रूप से
प्रशिक्षण दिया जाएगा।
चैप्टर 23 और 24 की बात उन्होंने की जिसमें तकनीकी शिक्षा का समावेश ऑनलाइन डिजिटल माध्यम का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर हो ।
पहाड़ों में जिस प्रकार से कनेक्टिविटी की दिक्कत होती है उसकी उसके लिए रेडियो और टीवी एक बेहतरीन विकल्प है जिसकी पहुंच लगभग सभी तक है।
इसमें उन्होंने कहा कि नेशनल टेक्नोलॉजी एजुकेशन फोरम की बात नई शिक्षा नीति में की गई है जो राज्य सरकार को गाइड करेगी कि किस प्रकार से टेक्नोलॉजी प्रत्येक बच्चे को मदद कर सके ।
डिजिटल लिटरेसी के इस्तेमाल के बारे मेे बातचीत की जिससे बच्चा सेल्फ लअर्नर बन सके और प्रॉब्लम सॉल्वर बन सके व 21वीं सदी की कौशलों को प्राप्त कर सके।
सभी मिलकर समेकित शिक्षा की ओर चलें । प्रधानमंत्री जी स्किल , स्केल ,स्पीड की बात करते हैं जिसमें कौशल विकास और वह भी बड़े पैमाने पर और रफ्तार के साथ किया जाए इस पर उन्होंने बात रखी।
निष्ठा कार्यक्रम में जिस प्रकार से उत्तराखंड में बढ़-चढ़कर भाग लिया गया है उसके लिए बधाई दी साथ ही आगे भी इस प्रकार के कार्यक्रमों को प्रचारित और प्रसारित करने के लिए सभी को प्रोत्साहित किया।
इस प्रकार से नई शिक्षा नीति के कई पहलुओं को उन्होंने विस्तार से बताया और और सभी को इसे समझने में मदद मिली।
इसके पश्चात् रतूडा से डॉ0 गुरुप्रसाद सती जी द्वारा शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला गया और साथ ही समावेशी शिक्षा को किस प्रकार से राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने अध्याय 6 के तहत महत्व दिया है इस पर बातचीत की। समतामूलक और समावेशी शिक्षा के 20 बिंदुओं को सती जी द्वारा विस्तार से समझाया गया।
नई शिक्षा नीति 2020👈 विस्तार सेे जानें।
कार्यक्रम में आगे मुख्य वक्ता डॉ0 भारती Associate professor DEGSN, CIET-NCERT ने
समता मूलक और समावेशी शिक्षा को विस्तार से समझाते हुए बताया कि इसका सर्वप्रथम उदाहरण भारतीय इतिहास में यदि देखा जाए तो पंचतंत्र की कहानियां हैं।
उनसे इस समतामूलक और समावेशी शिक्षा की अवधारणा स्पष्ट होती प्रतीत होती है,जहां पर राजा के बच्चों को मंदबुद्धि होने के कारण होने के कारण ज्ञान नहीं दे पा रहे थे तो उनके लिए राजा ने एक ज्ञानी पंडित रखा जिसने पंचतंत्र की कहानियां गड़ी । जिसमें उनकी रुचिओं का ध्यान रखा गया और उनकी रुचि को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम निर्मित किया गया।
उसके बाद उन्होंने बहुत ही अच्छे से समावेशन और समानता और समता में अंतर को स्पष्ट किया।समानता का मतलब सब को एक नजर से देखना जबकि समता का मतलब है पहले बच्चे की जरूरत को समझते हुए समभाव के साथ देखना।
इसमें उन्होंने उदाहरण देते हुए बहुत अच्छे से बताया कि जैसे सरकारी विद्यालय में यूनिफार्म, टेक्सबुक और एडमिशन देते हुए सभी को समानता के भाव से देखा जाता है किंतु यदि हम बात करें विशेष आवश्यकताओं आवश्यकता वाले बच्चे की उनके लिए उसका क्या महत्व है, यह ध्यान रखना जरूरी है।
वहां पर उनके लिए ऑडियोबुक या फिर ब्रेल लिपि में से संबंधित कुछ पुस्तकें होनी चाहिए।
उन्होंने बताया कि जो है उसका समावेशी होना बहुत जरूरी है इसका मतलब विद्यार्थी स्कूल में आए तो उसको वहां पर अपनापन महसूस हो।
उसको लगे मेरी परंपरा से जुड़ा है , मेरे घर जैसा है और यह विद्यालय मेरे लिए ही बना है उसका इंफ्रास्ट्रक्चर उनके अनुरूप हो।
समावेशी शिक्षा समय की सीमा से परे है। जिस पर निरंतर काम करते रहना है। सभी को सामान्य शालाओं में लाना सिर्फ हमारा मकसद नहीं होना चाहिए ।
हम बच्चे को स्कूल तक ले आए उसके बाद वहां से हमारा काम शुरू होता है कि उनके लिए शिक्षण अधिगम की व्यवस्था में उनका प्रतिभाग सुनिश्चित हो।
समावेशन तब होता है जब हम प्रत्येक की जरूरत के अनुसार अपने इंफ्रास्ट्रक्चर में परिवर्तन करें, अपनी व्यवस्था में बदलाव करें।
जैसे दिव्यांग बच्चों के लिए क्या हमारे पास शौचालय हैं यदि उनको कोई दिक्कत होती है तो क्या वहां पर अलार्म की व्यवस्था है ? लाइब्रेरी में ऑडियो बुक्स और साइन लैंग्वेज या फिर ब्रेल लिपि की व्यवस्था हो तो तभी हम समावेशी शिक्षा की बात कर सकते हैं।
दिव्यांगजन अधिनियम अधिकार 2016 के बारे में उन्होंने विस्तार से बताया और इसमें स्वीकृत 21 अक्षमताओं के बारे में बात की।
ऑटिज्म (स्वलीनता) जो सामान्य शालाओं में पढ़ने वाले बच्चों में पाई जाती है किंतु हम उसको पहचान नहीं पाते क्योंकि उसको हम प्रत्यक्ष रुप से देख नहीं सकते।
विशेषकर यह देखा गया है कि जिन बच्चों को सुनने में दिक्कत होती है वह उनको चलने में भी दिक्कत होती है तो कई ऐसे ही ऐसी अक्षमताएं हैं जिनको हम आसानी से पहचान सकते हैं।
स्वलीनता को इस तरह से नहीं पहचाना जा सकता।ऐसे बच्चे अपने आप में ही लीन होते हैं उनको उनके नाम लेकर बुलाने की जरूरत होती है ।
उसके अलावा उन्होंने एक और पहचान बताई कि ऐसे बच्चे आपकी बात सुनते हुए भी कही और देख रहे होंगे ऐसे हम उनको पहचान सकते हैं।
इसके अलावा उन्होंने डिस्लेक्सिया, डिस्केलकुलिया के बारे में बात की।
समवेशी शिक्षा के लिए बच्चों का अपने विद्यालय में स्वागत करना होगा। विशेष शिक्षक के बारे में उन्होंने बताया कि प्रत्येक विद्यालय में नहीं हो सकते किन्तु वे शिक्षकों के हाथ जरूर मजबूत कर सकते हैं।
उनको इन सबकी जानकारी और प्रशिक्षण दिया जा सकता है ताकि एक सामान्य शिक्षक अक्षमताओं वाले बच्चों को साथ लेकर चले और उनकी अक्षमताओं को अच्छे से समझ पाए और उनके लिए उचित व्यवस्था कर पाए।
शिक्षण प्रशिक्षण कार्यक्रम को समावेशी शिक्षा की व्यवस्था में शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है।
नई शिक्षा नीति 2020 के हर अध्याय में समावेशी शिक्षा की बात की गई है। आंगनबाड़ी से हायर एजुकेशन समानता की बात की गई है।
जहां तक हम कस्तूरबा गांधी विद्यालयों की बात करते हैं वहां पर इंफ्रास्ट्रक्चर और व्यवस्था में बदलाव किए जाने जरूरी हैं जो समावेशी शिक्षा की तरफ अपना ध्यान दे सकें ।
यह मैंटीनेंस के दौरान भी यह ध्यान दिया जा सकता है । एक विशेष बात उन्होंने लिंग आधारित पहचान के बारे में कही लिंग असमानता को हम सिर्फ लड़कियों को लेकर सोचते हैं लड़कों के लिए भी उतना ही यह जरूरी है कि हम उनको लेकर भी लिंग असमानता को समझें।
इसके बाद मुख्य वक्ता डॉ0 नीमिरत कौर Associate professor अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी बेंगलूरु द्वारा समतामूलक और समावेशी शिक्षा को शिक्षा का आधार बताया इसी कारण से इसका उल्लेख हर अध्याय मे किया गया है।
डॉ0 नीमिरत कौर एसोसिएट प्रोफेसर APF यूनिवर्सिटी
इसके बाद एक के बाद बिन्दु को डॉ0 कौर जी द्वारा स्पष्ट किया गया।
1. नीति के आधार सिद्धांतों को समझाया गया कि इसका उददेश्य ऐसे इंसानों का विकास है जो संविधान द्वारा परिकल्पित समाज के निर्माण में सहयोग करें।
2. डॉ0 कौर द्वारा स्पष्ट किया गया कि सामाजिक आर्थिक रूप से वंचित वर्ग को 5 प्रकार वर्गीकृत किया गया है-
1.लिंग पहचान
2.सामाजिक सांस्कृतिक पहचान
3.भौगोलिक पहचान
4.विशेष आवश्यकता वाले बच्चे
5.सामाजिक आर्थिक स्थिति
3. सभी के लिए समावेशी शिक्षा पर बात करते हुए उन्होने बताया कि 2030 तक यह लक्ष्य रखा गया है कि चार करोड़ नये विद्यार्थी शैक्षणिक संस्थानों में नामांकित हों।
SEDG का नामांकन 50% तक पहुँच सके जिसके अंतर्गत उच्च गुणवत्ता वाली ईसीसीई की सार्वभौमिक पहुंच, बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान, ड्रॉपआउट कम और हर स्तर पर सार्वभौमिक पहुंच की बात की गई।
देशभर में सफल नीतियों और योजनाओं को मजबूत किया जाए इस पर उन्होंने अपने विचार रखते हुए बताया कि से सहपाठी शिक्षक, ओपन विद्यालय शिक्षा तथा उचित बुनियादी ढांचा उपयुक्त अपने विद्यालय में काउंसलर और सामाजिक कार्यकर्ताओं का सहयोग लिया जायेगा।
परिवहन के लिए साइकिल और साइकिल पैदल समूह का गठन इसके साथ ही लक्षित छात्रवृत्ति और नगद हस्तांतरण की व्यवस्था की बात शिक्षा नीति के तहत की गई है।
SEDGs की बड़ी आबादी वाले क्षेत्रों को विशेष शिक्षा क्षेत्र घोषित किया जाएगा। जिसमें उनके बचपन से ही मूलभूत साक्षरता संख्या,पहुंच, नामांकन और उपस्थिति के बारे में महत्वपूर्ण सिफारिशें और ठोस तरीके से उन्हें लक्षित किया जाएगा।
इनकी उपस्थिति और सीखने के परिणामों को बढ़ाने के लिए काउंसलर की व्यवस्था होगी और इन क्षेत्रों में प्रतिभाशाली और मेधावी छात्र छात्राओं के लिए विशेष छात्रावास, ब्रिज पाठ्यक्रम, फीस माफ छात्रवृत्ति से वित्तीय सहायता की व्यवस्था की जाएगी ।
अतिरिक्त स्कूलों में ऐसे जिलों में जवाहर नवोदय विद्यालय और केंद्रीय विद्यालय खोले जाएंगे ।
इनकी सीखने के परिणामों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा और पहुंच से संबंधित सामान समस्याओं के लिए वोकेशनल एजुकेशन की व्यवस्था रहेगी डॉ0 कौर ने इस तरफ भी प्रकाश डाला।
समतामूलक और समावेशी शिक्षा में लिंग को लेकर विशेष रूप से बात की गई है लड़कियों और ट्रांसजेंडर छात्रों की पहुंच विद्यालय तक हो।
जेंडर गैप को कम किया जाए सभी को समान अवसर दिए जाएं लड़कियों को स्कूल में रखने पर खास ध्यान दिया जाए जिसके लिए उनकी सुरक्षा और अधिकारों को सुनिश्चित किया जाए।
कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों को मजबूत किया जाएगा और इन्हें बारहवीं तक बढ़ाया जाएगा जैसा कि सीमा जौनसारी मैम ने कहा कि उत्तराखंड में पहले यह 12वीं तक चल रही है।
लिंग संवेदनशीलता पर बात की जाएगी और उसको पाठ्यक्रम का अभिन्न अंग बनाया जाएगा केंद्र में नीतियों और योजनाओं को विशेष रूप से केंद्रित करने पर रहेगा।
डॉ0 निमिरत कौर ने समावेशी शिक्षा के लिए विशेष रुप से ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर दिया कि बच्चे नेशनल करिकुलम फ्रेम फ़ोर सैकेण्डरी एजुकेशन से जुड़ाव महसूस करें।
बोर्ड परीक्षा,NTA टेस्ट में बैठने और उच्च शिक्षा से जुड़ने के लिए सभी को प्रोत्साहित किया जाना बहुत आवश्यक है जिसकी NEP 2020 में बात की गई है।
इसके अलावा वैकल्पिक विद्यालयों की व्यवस्था की जानी चाहिए जिससे इन सब विविधताओं के साथ ही सभी बच्चे मुख्यधारा से जुड़ पाए
मुख्यधारा से जुड़ने के लिए उनके लिए वित्तीय व्यवस्था, शिक्षक और आधारभूत सुविधाओं की बात कही गई है और इसके अलावा किसी भी प्रकार की सुविधा के लिए स्कॉलरशिप और अन्य अवसरों के लिए सिंगल विंडो सिस्टम तैयार किया जाएगा।
जैसा कि पहले भी बताया गया था कि सिर्फ बच्चों को विद्यालय तक लाना शिक्षा नीति के महत्वपूर्ण उद्देश्यों की पूर्ति नहीं करता। उसके पश्चात स्कूली स्तर पर एक अनुकूल संस्कृति निर्माण बहुत आवश्यक है।
स्कूल पाठ्यचर्या में मानवीय मूल्यों और विविधताओं का सम्मान किया जाना चाहिए और सभी के प्रति संवेदनशीलता का विकास किया जाना जरूरी है।
मुख्य रूप से SEDGs के लिए सामान्य बालक संवेदनशील हों।
परस्पर सम्मान और गरिमा के साथ व्यवहार किया जाए इसके लिए प्रयास किए जाएंगे।
शिक्षक शिक्षा में समावेशन और क्षमता मुख्य पहलू होगा पूर्वाग्रह को दूर कर किया जाना चाहिए और सभी धर्म और संस्कृतियों के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए।
इसके अलावा डॉ0 कौर द्वारा नई शिक्षा नीति 2020 में समतामूलक तथा समावेशी शिक्षा से संबंधित सभी बिंदुओं पर विस्तृत रूप से चर्चा की गई।
इसके पश्चात् समूह द्वारा कई प्रश्न साझा किये गए जिनका डॉ 0 नीमिरत कौर द्वारा सभी के संतोषजनक जवाब दिये गये।
1. मानसिक विकलांग बच्चों के खाते आसानी से नही खुल पाते है , जिससे छात्रवृत्ति प्राप्त करने मे समस्या होती है ।कृपया समाधान बताएं। ।।
2. कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों को फेल करने की व्यवस्था क्या है इस नई शिक्षा नीति में, कृपया स्पष्ट करने की कृपा करें।
3. सरकारी स्कूलों की सबसे बड़ी समस्या है कि बच्चे स्कूल नहीं आते है उनको स्कूल लाने के लिए Education Policy 2020 में क्या व्यवस्था है?
4. Early Childhood care and educationका कैरिकुलम किस प्रकार का होगा और इसका आधार क्या होगा??
5. मानसिक विकलांग बच्चों के खाते आसानी से नही खुल पाते है , जिससे छात्रवृत्ति प्राप्त करने मे समस्या होती है ।कृपया समाधान बताएं। ।।
6. disabled छात्रों का मूल्यांकन किस प्रकार से हो?
7. क्या पूरे देश में एक राष्ट्र एक शिक्षा नीति हो पाएगी?
8. शिक्षण प्रक्रिया में समावेशन की अधिक से अधिक स्थान देने के लिए रिसोर्स शिक्षक, काउंसलर,मनोवैज्ञानिक और अन्य विशेषज्ञों का अपना महत्व है।पिछले अनुभव बताते हैं कि बच्चों को इनका अधिक लाभ नहीं मिल पाया शायद इसका कारण आर्थिक तंगी भी हो सकती है। कुछ वैकल्पिक सुझाव जो कि अधिक से अधिक बच्चो को लाभान्वित कर सकते है देने का कष्ट करें।
इस तरह से डायट रतूडा में आयोजित इस वेबिनार से सभी लाभान्वित हुए और समतामूलक और समावेशी शिक्षा को समझने में मदद मिली।इसके लिए हम सभी गणमान्य अतिथिगणों,वक्ताओं एवं सम्मानित शिक्षक समाज का धन्यवाद ज्ञापित करते हैं।
धन्यवाद!