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Friday, September 25, 2020

नई शिक्षा नीति 2020 : समतामूलक और समावेशी शिक्षा के प्रावधान


नई शिक्षा नीति 2020 में समतामूलक और समावेशी शिक्षा : सभी के लिए अधिगम विषय को समझने के उद्देश्य से जिला  शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान  रतूड़ा रुद्रप्रयाग द्वारा नई शिक्षा नीति 2020 पर चर्चा के लिए राज्य स्तरीय वेबीनार  निदेशक एआरटी उत्तराखंड  श्रीमती सीमा जौनसारी के  निर्देशन एवं  डायट प्राचार्य श्री एस0 एस0 असवाल जी  के मार्गदर्शन मेें  23 सितम्बर 2020 को आयोजित किया गया।

                        श्रीमती सीमा जौनसारी 
               निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण

वेबिनार में राज्य भर से कुल 524 विशेषज्ञों,शिक्षकों ने प्रतिभाग किया।  वेबीनार का संचालन डायट रतूड़ा की वरिष्ठ प्रवक्ता श्रीमती भुवनेश्वरी चंदानी जी द्वारा किया गया।

जिसके संयोजक डॉ0 विनोद कुमार यादव, श्रीमती भुवनेश्वरी चंदानी, डॉ0 जी0 पी0 सती थे।  
जिसमें  पूरे देश भर से गणमान्य व्यक्ति जुड़े जिनमें से डॉ0 पंकज सिंह एसोसिएट प्रोफेसर दीनबंधु कॉलेज यूनिवर्सिटी दिल्ली जो की प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी हैं जो अंटार्कटिका मिशन पर भारत की तरफ से रहे, डॉ0 विनोद नौटियाल, योग विभाग एचएनबी केन्द्रीय विश्वविद्यालय , डॉ0 हेमलता यादव बी एम कॉलेज इंदौर HOD एजुकेशन डिपार्टमेंट सहित कई गणमान्य  व्यक्तियों की गरिमामय उपस्थिति रही।

सर्वप्रथम  श्रीमती भुवनेश्वरी चंदानी के द्वारा सरस्वती वंदना के साथ कार्यक्रम का परिचय कराया गया और कार्यक्रम की रूप रेखा प्रस्तुत की गई।
तत्पश्चात आमंत्रित किया गया प्राचार्य डायट रतूडा जिन्होंने सभी अतिथियों का स्वागत और अभिनंदन किया।
श्री 0 एस0 एस0 असवाल  डायट प्राचार्य रतूड़ा रुद्रप्रयाग 




  कार्यक्रम की रूपरेखा-




श्रीमती सीमा जौनसारी  निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण उत्तराखंड देहरादून के द्वारा सभी को संबोधित करते हुए अपने विचार रखे गए और सभी को उत्तराखंड सरकार के प्रयासों से परिचित कराया।
जौनसारी मैम ने बताया कि समाज में बालक और बालिकाओं के बीच बहुत ज्यादा भेदभाव है।इसके लिए एक अवेयरनेस कैंपेन चलाने की आवश्यकता है।

 जैसा कि साक्षरता के बारे में सभी जानते हैं कि उत्तराखंड देश में तीसरे स्थान पर है जो कि राज्य के लिए बहुत ही गौरव का विषय है।
 इसके अलावा बालिका और बालकों  के बीच होने वाले लिंग भेद दूर करने  के लिए उत्तराखंड राज्य में कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय  वह बहुत ही कारगर भूमिका  निभा रहे हैं ।
 यहां पर जो हॉस्टल हैं उनकी स्थिति बहुत अच्छी है इनमें  से अधिकतम हॉस्टलों में 100 % बालिकाओं के प्रवेश  हैं ।
 12 वीं तक बालिका शिक्षा को लेकर कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में बहुत ही बेहतरीन कार्य हो रहा है ।यहां से बालिकाएं विभिन्न प्रतियोगिताओं में  प्रतिभाग करती हैं और स्थान प्राप्त भी करती हैं जो कि पूरे राज्य भर के लिए गौरव का विषय है।  इस तरह से उन्होंने
समानता और समता को लेकर अपने विचार प्रकट किए।

इसके पश्चात्  प्रोफेसर अमरेंद्र प्रसाद बेहरा जी, संयुक्त निदेशक राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद नई दिल्ली द्वारा नई शिक्षा नीति 2020 के 27 चैप्टर में से अध्याय 6 की  विस्तृत चर्चा की।
           प्रो0 अमरेंद्र प्रसाद बेहरा संयुक्त निदेशक
                           NCERT Delhi

समता और समानता पर दिव्यांग बच्चों,लिंग असमानता ,संस्कृति से जुड़े परिचय और भौगोलिक परिचय को लेकर उन्होंने विस्तार से अपने विचार रखे ।
इसके अलावा  सोशियो इकोनामिक कंडीशन के तहत जो बच्चे आते हैं और जिन बच्चों को चुराकर ले जा लिया जाता है, जो भीख मांगने वाले बच्चे हैं ,अनाथ बच्चे हैं इन सभी के बारे में शिक्षा नीति किस तरह से संवेदनशील है और उनको मुख्यधारा में लाने का प्रयास है इस पर उन्होंने बात रखी।
 
SEDGs की समस्याओं को समझा जा सके और और हायर एजुकेशन तक उनका ध्यान दिया जा सके। इसके लिए जो स्पेशल एजुकेशन जोन है वहां के बच्चों के लिए उनके समय के अनुसार शिक्षा की व्यवस्था  की जाए और  इसके अलावा बच्चों के लिए स्कॉलरशिप की बात शिक्षा नीति में की गई है।

 उनके लिए काउंसलिंग की विशेष व्यवस्था की गई है और उत्तराखंड में कस्तूरबा गांधी विद्यालय जिसमें 
उत्तराखंड में एक बेहतरीन कार्य किया जा रहा है,उस पर उन्होंने सभी को बधाई दी ।

उन्होंने कहा कि इसी प्रकार से कस्तूरबा गांधी और नवोदय विद्यालयों का विस्तार किया जाएगा ।मुख्य रूप से यह स्पेशल एजुकेशन जोन में होंगे जहां पर बच्चों को इतनी अच्छी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पाती हैं इसके अलावा आदिवासी क्षेत्रों में भी बच्चों का ध्यान रखा जाएगा।
बच्चों का शिक्षण अधिगम स्तर एक जैसा हो उनकी विभिन्नता इसमें आगे ना आए इसके लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे ।
समानता का अधिकार की बात उन्होंने कही और साथ ही  बालिकाओं की शिक्षा के लिए एक विशेष व्यवस्था की बात की।
  
दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष टेक्नॉलोजी और डिवाइस उपलब्ध हों।उनके लिए ऑडियो विजुअल ऐड्स  विद्यालय में उपलब्ध  हों।
 प्रत्येक वर्ष 50 घंटे शिक्षकों को अनिवार्य रूप से
 प्रशिक्षण दिया जाएगा। 
चैप्टर 23 और 24 की बात उन्होंने की जिसमें तकनीकी शिक्षा का समावेश ऑनलाइन डिजिटल  माध्यम का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर हो ।

पहाड़ों में जिस प्रकार से कनेक्टिविटी की दिक्कत होती है उसकी उसके लिए रेडियो और टीवी एक बेहतरीन विकल्प है  जिसकी पहुंच लगभग सभी 
तक है।

इसमें उन्होंने कहा कि नेशनल टेक्नोलॉजी एजुकेशन फोरम की बात नई शिक्षा नीति में की गई है जो राज्य सरकार को गाइड करेगी कि  किस प्रकार से टेक्नोलॉजी प्रत्येक बच्चे को मदद कर सके ।

डिजिटल लिटरेसी के इस्तेमाल के बारे मेे बातचीत की जिससे बच्चा सेल्फ लअर्नर बन सके और प्रॉब्लम सॉल्वर बन सके व 21वीं सदी की कौशलों को प्राप्त कर सके। 
सभी मिलकर समेकित शिक्षा की ओर चलें । प्रधानमंत्री जी  स्किल , स्केल ,स्पीड की बात करते हैं  जिसमें कौशल विकास और वह भी बड़े पैमाने पर और रफ्तार के साथ किया जाए इस पर उन्होंने बात रखी। 

 निष्ठा कार्यक्रम में जिस प्रकार से उत्तराखंड में बढ़-चढ़कर भाग लिया गया है उसके लिए बधाई दी साथ ही आगे भी इस प्रकार के कार्यक्रमों को प्रचारित और प्रसारित करने के लिए सभी को प्रोत्साहित किया।

इस प्रकार से नई शिक्षा नीति के कई पहलुओं को उन्होंने विस्तार से बताया और और सभी को इसे समझने में मदद मिली।


      डॉ0 गुरु प्रसाद सती तकनीकी सहायक डायट रतूड़ा 


इसके पश्चात् रतूडा से डॉ0 गुरुप्रसाद सती जी द्वारा शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला गया और साथ ही समावेशी शिक्षा को किस प्रकार से राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने अध्याय 6 के तहत महत्व दिया है इस पर बातचीत की। समतामूलक और समावेशी शिक्षा के 20 बिंदुओं को सती जी द्वारा विस्तार से समझाया गया। 
नई शिक्षा नीति 2020👈 विस्तार सेे जानें।


कार्यक्रम में आगे मुख्य वक्ता डॉ0 भारती   Associate professor DEGSN, CIET-NCERT ने 
डॉ0 भारती   Associate professor DEGSN, CIET-NCERT

समता मूलक और समावेशी शिक्षा को विस्तार से समझाते हुए बताया कि इसका सर्वप्रथम उदाहरण भारतीय इतिहास में यदि देखा जाए तो पंचतंत्र की कहानियां हैं।

 उनसे इस समतामूलक और समावेशी शिक्षा की अवधारणा स्पष्ट होती प्रतीत होती है,जहां पर  राजा के बच्चों को मंदबुद्धि होने के कारण होने के कारण ज्ञान नहीं दे पा रहे थे तो उनके लिए राजा ने एक ज्ञानी पंडित रखा जिसने पंचतंत्र की कहानियां गड़ी । जिसमें उनकी रुचिओं का ध्यान रखा गया और उनकी रुचि को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम निर्मित किया गया।


 उसके बाद उन्होंने बहुत ही अच्छे से समावेशन और समानता और समता  में  अंतर को स्पष्ट किया।समानता का मतलब सब को एक नजर से देखना जबकि  समता का मतलब है पहले बच्चे की जरूरत को समझते हुए समभाव के साथ देखना।

 इसमें उन्होंने उदाहरण देते हुए बहुत अच्छे से बताया कि जैसे सरकारी विद्यालय में यूनिफार्म, टेक्सबुक और एडमिशन देते हुए सभी को समानता के भाव से देखा जाता है किंतु यदि हम बात करें विशेष आवश्यकताओं आवश्यकता वाले बच्चे की उनके लिए उसका क्या महत्व है, यह ध्यान रखना जरूरी है। 
वहां पर उनके लिए ऑडियोबुक या फिर ब्रेल लिपि में से संबंधित कुछ पुस्तकें होनी चाहिए।

   उन्होंने बताया कि जो है उसका समावेशी होना बहुत जरूरी है इसका मतलब  विद्यार्थी स्कूल में आए तो उसको वहां पर अपनापन महसूस हो।

उसको लगे मेरी परंपरा से जुड़ा है , मेरे घर जैसा है और यह विद्यालय मेरे लिए ही बना है उसका इंफ्रास्ट्रक्चर उनके अनुरूप हो।

समावेशी शिक्षा समय की सीमा से परे है। जिस पर निरंतर काम करते रहना है। सभी को सामान्य शालाओं  में लाना सिर्फ हमारा मकसद नहीं होना चाहिए ।
हम बच्चे को स्कूल तक ले आए उसके बाद  वहां से हमारा काम शुरू होता है कि उनके लिए शिक्षण अधिगम की व्यवस्था में उनका प्रतिभाग सुनिश्चित हो।

समावेशन तब होता है जब हम प्रत्येक की जरूरत के अनुसार अपने इंफ्रास्ट्रक्चर में परिवर्तन करें, अपनी व्यवस्था में बदलाव करें।
जैसे दिव्यांग बच्चों के लिए क्या हमारे पास शौचालय हैं यदि उनको कोई दिक्कत होती है तो क्या वहां पर अलार्म की व्यवस्था है ? लाइब्रेरी में ऑडियो बुक्स और साइन लैंग्वेज या फिर ब्रेल लिपि की व्यवस्था हो तो तभी हम समावेशी शिक्षा की बात कर सकते हैं।
दिव्यांगजन अधिनियम अधिकार 2016 के बारे में उन्होंने विस्तार से बताया और इसमें स्वीकृत 21 अक्षमताओं के बारे में बात की। 
 ऑटिज्म (स्वलीनता) जो सामान्य शालाओं में पढ़ने वाले बच्चों में पाई जाती है किंतु हम उसको पहचान नहीं पाते क्योंकि उसको हम प्रत्यक्ष रुप से देख नहीं सकते।
 विशेषकर यह देखा गया है कि जिन बच्चों को सुनने में दिक्कत होती है वह उनको चलने में भी दिक्कत होती है तो कई ऐसे ही ऐसी अक्षमताएं हैं जिनको हम आसानी से पहचान सकते हैं।

स्वलीनता को इस तरह से नहीं पहचाना जा सकता।ऐसे बच्चे अपने आप में ही लीन होते हैं उनको उनके नाम लेकर बुलाने की जरूरत होती है ।

उसके अलावा उन्होंने एक और पहचान बताई कि ऐसे बच्चे आपकी बात सुनते हुए भी कही और देख रहे होंगे  ऐसे 
हम उनको पहचान सकते हैं।
 इसके अलावा उन्होंने डिस्लेक्सिया, डिस्केलकुलिया के बारे में बात की।
समवेशी शिक्षा के लिए बच्चों का अपने विद्यालय में स्वागत करना होगा। विशेष शिक्षक के बारे में उन्होंने बताया कि प्रत्येक विद्यालय में नहीं हो सकते किन्तु वे शिक्षकों के हाथ जरूर मजबूत कर सकते हैं।
उनको इन सबकी जानकारी और प्रशिक्षण दिया जा सकता है ताकि एक सामान्य शिक्षक अक्षमताओं वाले  बच्चों को साथ लेकर चले और उनकी अक्षमताओं को अच्छे से समझ पाए और उनके लिए उचित व्यवस्था कर पाए।

शिक्षण प्रशिक्षण कार्यक्रम को समावेशी शिक्षा की व्यवस्था में शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है। 
नई शिक्षा नीति 2020 के हर अध्याय में समावेशी शिक्षा की बात की गई है। आंगनबाड़ी से हायर एजुकेशन समानता की बात की गई है।

 जहां तक हम कस्तूरबा गांधी विद्यालयों की बात करते हैं वहां पर इंफ्रास्ट्रक्चर और व्यवस्था में बदलाव किए जाने जरूरी हैं जो समावेशी शिक्षा की तरफ अपना ध्यान दे सकें ।
 यह मैंटीनेंस के दौरान भी यह ध्यान दिया जा सकता है । एक विशेष बात उन्होंने लिंग आधारित पहचान के बारे में कही लिंग असमानता को हम सिर्फ लड़कियों को लेकर सोचते हैं लड़कों के लिए भी उतना ही यह जरूरी है कि हम उनको लेकर भी लिंग असमानता को समझें।

इसके बाद मुख्य वक्ता डॉ0 नीमिरत कौर Associate professor अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी बेंगलूरु द्वारा समतामूलक और समावेशी शिक्षा को शिक्षा का आधार बताया इसी कारण से इसका उल्लेख हर अध्याय मे किया गया है।
डॉ0 नीमिरत कौर एसोसिएट प्रोफेसर APF यूनिवर्सिटी

इसके बाद एक के बाद बिन्दु को डॉ0 कौर जी द्वारा स्पष्ट किया गया।
1.  नीति के आधार सिद्धांतों को समझाया गया कि इसका उददेश्य ऐसे इंसानों का विकास है जो संविधान द्वारा परिकल्पित समाज के निर्माण में सहयोग करें।


2. डॉ0 कौर द्वारा स्पष्ट किया गया कि सामाजिक आर्थिक रूप से वंचित वर्ग को 5 प्रकार वर्गीकृत किया गया है-
 1.लिंग पहचान 
2.सामाजिक सांस्कृतिक पहचान
 3.भौगोलिक पहचान 
4.विशेष आवश्यकता वाले बच्चे
 5.सामाजिक आर्थिक स्थिति


3. सभी के लिए समावेशी शिक्षा पर बात करते हुए उन्होने बताया कि 2030 तक यह लक्ष्य रखा गया है कि चार करोड़ नये विद्यार्थी शैक्षणिक संस्थानों में नामांकित हों।
 SEDG का नामांकन 50% तक पहुँच सके जिसके अंतर्गत उच्च गुणवत्ता वाली ईसीसीई  की सार्वभौमिक पहुंच, बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान, ड्रॉपआउट कम और हर स्तर पर सार्वभौमिक  पहुंच की बात की गई।



देशभर में  सफल नीतियों और योजनाओं को मजबूत किया जाए इस पर उन्होंने अपने विचार रखते हुए बताया कि से सहपाठी शिक्षक, ओपन विद्यालय शिक्षा तथा उचित बुनियादी ढांचा उपयुक्त अपने विद्यालय में काउंसलर और सामाजिक कार्यकर्ताओं का सहयोग लिया जायेगा।
परिवहन के लिए साइकिल और साइकिल पैदल समूह का गठन इसके साथ ही लक्षित छात्रवृत्ति और नगद हस्तांतरण की व्यवस्था की बात शिक्षा नीति के तहत की गई है।

 SEDGs की बड़ी आबादी वाले क्षेत्रों को विशेष शिक्षा क्षेत्र घोषित किया जाएगा। जिसमें उनके बचपन से ही मूलभूत साक्षरता संख्या,पहुंच, नामांकन और उपस्थिति के बारे में महत्वपूर्ण सिफारिशें और ठोस तरीके से उन्हें लक्षित किया जाएगा।
 इनकी उपस्थिति और सीखने के परिणामों को बढ़ाने  के लिए काउंसलर की व्यवस्था होगी और इन क्षेत्रों में प्रतिभाशाली और मेधावी छात्र छात्राओं के लिए विशेष छात्रावास, ब्रिज पाठ्यक्रम, फीस माफ छात्रवृत्ति से वित्तीय सहायता की व्यवस्था की जाएगी ।
अतिरिक्त स्कूलों में ऐसे जिलों में जवाहर नवोदय विद्यालय और केंद्रीय विद्यालय खोले जाएंगे ।
इनकी सीखने के परिणामों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा और पहुंच से संबंधित सामान समस्याओं के लिए वोकेशनल एजुकेशन की व्यवस्था रहेगी डॉ0 कौर ने इस तरफ भी प्रकाश डाला।


समतामूलक और समावेशी शिक्षा में लिंग को लेकर विशेष रूप से बात की गई है लड़कियों और ट्रांसजेंडर छात्रों की पहुंच विद्यालय तक हो।
 जेंडर गैप को कम किया जाए सभी को समान अवसर दिए जाएं लड़कियों को स्कूल में रखने पर खास ध्यान दिया जाए जिसके लिए उनकी सुरक्षा और अधिकारों को सुनिश्चित किया जाए।
 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों को मजबूत किया जाएगा और इन्हें बारहवीं तक बढ़ाया जाएगा जैसा कि सीमा जौनसारी मैम ने कहा कि उत्तराखंड में पहले यह 12वीं तक चल रही है।
 लिंग संवेदनशीलता पर बात की जाएगी और उसको पाठ्यक्रम का अभिन्न अंग बनाया जाएगा केंद्र में नीतियों और योजनाओं को विशेष रूप से केंद्रित करने पर रहेगा।


 डॉ0 निमिरत कौर ने समावेशी शिक्षा के लिए विशेष रुप से ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर दिया कि  बच्चे नेशनल करिकुलम फ्रेम फ़ोर सैकेण्डरी एजुकेशन  से जुड़ाव महसूस करें।
  बोर्ड परीक्षा,NTA टेस्ट में बैठने और उच्च शिक्षा से जुड़ने के लिए सभी को प्रोत्साहित किया जाना बहुत आवश्यक है जिसकी NEP 2020 में बात की गई है।
 इसके अलावा वैकल्पिक विद्यालयों की व्यवस्था की जानी चाहिए जिससे इन सब विविधताओं  के साथ ही सभी बच्चे मुख्यधारा से जुड़ पाए
 मुख्यधारा से जुड़ने के लिए उनके लिए वित्तीय व्यवस्था, शिक्षक और आधारभूत सुविधाओं की बात कही गई है और इसके अलावा किसी भी प्रकार की सुविधा के लिए स्कॉलरशिप और अन्य अवसरों के लिए सिंगल विंडो सिस्टम तैयार किया जाएगा।

जैसा कि पहले भी बताया गया था कि सिर्फ बच्चों को विद्यालय तक लाना शिक्षा नीति के महत्वपूर्ण उद्देश्यों की पूर्ति नहीं करता। उसके पश्चात स्कूली स्तर पर एक अनुकूल संस्कृति निर्माण बहुत आवश्यक है।

 स्कूल पाठ्यचर्या में मानवीय मूल्यों और विविधताओं का सम्मान किया जाना चाहिए और सभी के प्रति संवेदनशीलता का विकास किया जाना जरूरी है।

 मुख्य रूप से SEDGs  के लिए सामान्य बालक संवेदनशील हों।

 परस्पर सम्मान और गरिमा के साथ व्यवहार किया जाए इसके लिए प्रयास किए जाएंगे।

 शिक्षक शिक्षा में समावेशन और क्षमता मुख्य पहलू होगा पूर्वाग्रह को दूर कर किया जाना चाहिए और सभी धर्म और संस्कृतियों के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए।


 इसके अलावा डॉ0 कौर द्वारा नई शिक्षा नीति 2020 में समतामूलक तथा समावेशी शिक्षा से संबंधित सभी बिंदुओं पर विस्तृत रूप से चर्चा की गई।

इसके पश्चात् समूह द्वारा कई प्रश्न साझा किये गए जिनका डॉ 0 नीमिरत कौर द्वारा सभी के संतोषजनक जवाब दिये गये।

1. मानसिक विकलांग बच्चों के खाते आसानी से नही खुल पाते है , जिससे छात्रवृत्ति प्राप्त करने मे समस्या होती है ।कृपया समाधान बताएं। ।।
2. कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों को फेल करने की व्यवस्था क्या है इस नई शिक्षा नीति में, कृपया स्पष्ट करने की कृपा करें।
3. सरकारी स्कूलों की सबसे बड़ी समस्या है कि बच्चे स्कूल नहीं आते है उनको स्कूल लाने के लिए Education Policy 2020 में क्या व्यवस्था है?
4. Early Childhood care and educationका कैरिकुलम किस प्रकार का होगा और इसका आधार क्या होगा??
5. मानसिक विकलांग बच्चों के खाते आसानी से नही खुल पाते है , जिससे छात्रवृत्ति प्राप्त करने मे समस्या होती है ।कृपया समाधान बताएं। ।।
6. disabled छात्रों का मूल्यांकन किस प्रकार से हो?
7. क्या पूरे देश में एक राष्ट्र एक शिक्षा नीति हो पाएगी?
8. शिक्षण प्रक्रिया में समावेशन की अधिक से अधिक स्थान देने के लिए रिसोर्स शिक्षक, काउंसलर,मनोवैज्ञानिक और अन्य विशेषज्ञों का अपना महत्व है।पिछले अनुभव बताते हैं कि बच्चों को इनका अधिक लाभ नहीं मिल पाया शायद इसका कारण आर्थिक तंगी भी हो सकती है। कुछ वैकल्पिक सुझाव जो कि अधिक से अधिक बच्चो को  लाभान्वित कर सकते है देने का कष्ट करें।



पूरे कार्यक्रम के दौरान ए0पी0एफ0 से श्री  दीपक रावत जी का महत्वपूर्ण तकनीकी सहयोग रहा।


इस तरह से डायट रतूडा में आयोजित इस वेबिनार से सभी लाभान्वित हुए और समतामूलक और समावेशी शिक्षा को समझने में मदद मिली।इसके लिए हम सभी गणमान्य अतिथिगणों,वक्ताओं एवं सम्मानित शिक्षक समाज का धन्यवाद ज्ञापित करते हैं।
            समन्वयक वेबिनार डायट रतूड़ा रुद्रप्रयाग 

                                धन्यवाद!












Thursday, September 3, 2020

एक दिन पर्यावरण प्रेमी सतेंद्र भंडारी जी के साथ

2 सितम्बर 2020 

आज का दिन मेरे लिए बहुत खास था क्योंकि मुझे एक मौका मिला था पर्यावरण प्रेमी श्री  सतेंद्र भंडारी जी के साथ जिले के विद्यालयों में पौधे बाँटने जाने का जो कि जिलाधिकारी महोदया  और ADM जी के आदेश से प्राप्त हुए थे।

मैने लगभग 5:30 बजे सुबह फोन किया तो वे घर से निकल चुके थे।ये पूछने पर नाश्ता किया या नहीं तो बोले देर हो जायेगी मैं तो ऐसे ही चल पड़ा।

फ़िर मैने फटाफट चलने की तैयारी शुरु की और टिफिन पैक कर लिया। सात बजे करीब गाडी पर ADM महोदया ने स्वास्तिक बनाकर गाड़ी रवाना की जिसके फोटो हमने समूह में देखी।

उसके बाद मुझे भंडारी जी ने बताया कि वे पौधे देने क्वीलखाल की तरफ गये हैं।लगभग 9 बजे गाडियाँ बैनोली पहुँची कुल तीन जिनमें से 2 में पौधे भरे थे और एक में ट्री गॉर्ड थे।

एक गाडी में भंडारी जी मैं और प्रवीण जी चल पड़े। कितने उत्साह से भरा माहौल था प्रवीण जी बहुत अच्छे गायक  हैं तो रास्ता गीत संगीत के बीच कटने वाला था।

सबसे पहले मयाली में सकलानी जी ने पौधे लिए और हम गोर्ती की तरफ चल पड़े।वहां विपिन राणा जी पौधे लेने के आए।
 पौधे देने के बाद गाडी स्टार्ट की तो गाडी ने तो मना कर दिया जैसे पर जोश से भरे इस दल को कौन रोक सकता था। गाड़ी को धक्के देते हुई आगे ले जाया जा रहा था।भंडारी जी प्रवीण जी और दूसरी गाडी में बैठे दो साथी भी गाडी को धक्का देते हुए आगे तक ले गये।
थोड़ी दूर जाकर प्रवीण जी ने गाड़ी का बोनट खोलकर क्या किया पता नहीं पर गाडी  तैयार थी मिशन पर चलने के लिए।

गुल से लिपटी हुई तितली को गिरा कर देखो
आँधियों तुमने दरख़्तों को गिराया होगा

- कैफ़ भोपाली

अब हम रामाश्रम पहुँचे वहाँ पौधे दिये। मैने भंडारी जी को टिफिन लेने को बोला पर वे जिस मिशन को पूरा करने पर चले थे खाने की तो शायद उनको जैसे याद ही न थी बोले आगे चलते हैं फ़िर देख लेंगे।

उसके बाद सिलगढ़ को पार करते हुए हम प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर पहाड़ियों के बीच बाँगर पट्टी की तरफ चल पड़े।पौंठी पहुँचे वहां पर पौधे और ट्री गार्ड उतारे गए ।हम आगे बढ़े तो पता लगा रोड खराब है ट्रक आगे नहीं जा सकता फ़िर ट्री गॉर्ड उतारकर गाड़ियों में रखे गये हमें अभी दो और विद्यालयों में पहुँचना था।
दोनों गाड़ियाँ आगे बढ़ चली प्रकृति के सौन्दर्य को निहारते हुए हम कैलाश बाँगर पहुँचे। सुन्दर सा विद्यालय और सामने सचिन की कैन्टीन जहाँ खाने के साथ- साथ रिंगाल से सुन्दर कंडे भी बन रही थी।

सुबह से बिना कुछ खाये पिए चले भंडारी जी का अब थोड़ा सा समय मिला तो दिन के 1 बज चुके थे।अब दो चार रोटियों का नाश्ता और दिन का भोजन एक साथ हुआ।वो भी 10-15 मिनट में ही निपट गया देर जो हो रही थी।

किसी के भी चेहरे पर थकान का नाम न था।हँसते-हँसते फ़िर आगे रणधार की तरफ चल पड़े।वहाँ पौधे देने के बाद अब गुप्तकाशी वाले रास्ते पर चलना था जहाँ भदौरिया जी पौधे लेने सड़क तक पहुँचे और बाकी साथी प्रवीण जी वहाँ पर मैगी देख भूख से वही खाने लगे खाने की व्यवस्था क्या होती सबने ऐसे ही आनन्द ले लिया।रा0इ0का0 पाँजणा में एक पौधा स्वयं भंडारी जी द्वारा लगाया गया। हर विद्यालय पौधा देते हुए वे ये बताना कभी नहीं भूलते कि ये नवजात शिशु की तरह हैं इनका पूरा ध्यान रखना।

 लगभग 4 बज चुके थे और अभी लिस्ट बहुत लम्बी थी।तेजी से दौड़ती तीनों गाड़ियाँ तैला की तरफ चल पड़ी वहीं पर 7 पौधे और 2 ट्री गॉर्ड उतारे।शाम होने लगी थी और बादल भी घुमड़ घुमड़ करने लगे थे अभी सिद्धसौड़ पौधे पहुंचाने थे जहाँ शिशुपाल रावत जी इन्तजार कर रहे थे वहां भंडारी जी द्वारा पौधे पहुँचाए गये।
अब निकल पड़े अगस्त्यमुनि की तरफ और इतनी बार गाड़ी से चढ़ना उतरना पर पर्यावरण के प्रति ऐसा प्रेम भंडारी जी के मुख पर था कि जैसे थकान तो कुछ होती ही न हो।हम बातों-बातों में अगस्त्यमुनि पहुँच चुके थे।प्रवीण जी के गीत और भंडारी जी के अनुभव,किस्सों से रास्ता बहुत रोचक अनुभवों के साथ, रास्ते में एक-एक पल को हम जी रहे थे।अगस्त्यमुनि से कुछ पहले विचार किया गया लिस्ट बहुत लम्बी थी जहाँ  पौधों को पहुँचाना था पर अब रात होने में एक घण्टे से ज्यादा का समय शेष नहीं था।

अब अगले दिन पर सहमति बनी।अगस्त्यमुनि में रोड का काम चल रहा था तो कुछ देर ऐसे ही जाम में रुके रहे पर कोई भी परेशान नहीं था बस पूरे दिन के अनुभवों पर बातचीत हो रही थी।
इस तरह से रात होने तक मैं अपने घर पहुँच चुकी थी पर भंडारी जी को अभी लम्बा सफ़र तय करना था ।लगभग 10 बजे तक ही भंडारी जी अपने घर पहुँच पाए।
उनका समर्पण और पर्यावरण प्रेम हमेशा से ही मुझे प्रेरित करता रहा था।उनके विद्यालय कोट तल्ला में किया हुआ काम आदर्श के रूप में हमारे सामने कुछ करने की सदैव प्रेरणा देता है जो हमारे जनपद के लिए गौरव की बात है।
मैं सौभाग्यशाली हूँ जो मुझे भंडारी जी जैसे प्रेरक व्यक्तित्व के सानिध्य में एक दिन सीखने का मौका मिला।उनका सरल स्वभाव और काम की लगन अद्भुत ही है जो हमेशा प्रेरणा देता रहता है।

कुछ वर्षों बाद ये पौधे विद्यालयों में बच्चों को फल-फूलों के साथ जीवन की प्रेरणा दे रहे होंगे।

किसी दरख़्त से सीखो सलीक़ा जीने का
जो धूप छांव से रिश्ता बनाए रहता है

- अतुल अजनबी



                                  अमृता नौटियाल 
                                  स0 अ0 विज्ञान 
                                रा0 इ0 का0 तैला सिलगढ़ 
                               जखोली रुद्रप्रयाग