शुरुआती चरण में इसका कार्य केंद्र व राज्य सरकारों को शिक्षक शिक्षा से जुड़े मामलों में सलाह देना था।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 और कार्य योजना 1996 की अनुशंसा के आधार पर राष्ट्रीय शिक्षा अधिनियम परिषद 1993 के अधीन राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद एक संवैधानिक निकाय के रूप में 17 अगस्त 1995 से अस्तित्व में आया।
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद की चार क्षेत्रीय समितियां हैं -
पूर्वी क्षेत्रीय समिति भुवनेश्वर उड़ीसा
पश्चिमी क्षेत्रीय समिति भोपाल
उत्तर क्षेत्रीय समिति जयपुर
दक्षिण क्षेत्रीय समिति बेंगलुरु कर्नाटक में
इस परिषद के प्रमुख कार्य अध्यापक शिक्षा के स्तर को विकसित करने हेतु अनुदान की व्यवस्था करना इसके लिए एक टीम नियुक्त की जाती है ।
शिक्षक शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षकों के बारे में उपयुक्त योजनाएं और कार्यक्रमों को तैयार करता है।
राष्ट्रीय स्तर राज्य स्तर पर शिक्षण संस्थाओं तथा शिक्षा विभाग के स्तर के शैक्षिक शोध कार्यों में समन्वय स्थापित करना।
सभी स्तरों के केंद्रीय तथा राज्य प्राथमिक स्तर तथा महाविद्यालय स्तर के अध्यापक शिक्षा की व्यवस्था का निरीक्षण करना तथा उनके विकास एवं सुधार हेतु साधनों का सुझाव देना।
पाठ्यक्रम स्टाफ साधनों सुविधाओं के संदर्भ में राष्ट्रीय स्तर का निर्धारण करना।
अंतर्राज्यीय स्तरों के लिए निरीक्षण करना मूल्यांकन करना विकास एवं प्रसार का अवलोकन करना।
अध्यापक शिक्षा के पाठ्यक्रम की रूपरेखा तैयार करना अध्यापकों की सामाजिक व्यवस्था को सुनिश्चित करना तथा अध्यापक शिक्षा के भावी कार्यक्रम तैयार करना है।
मान्यता प्राप्त संस्थानों की पहचान करता है और शिक्षक शिक्षा प्रणाली के विकास कार्यक्रमों के लिए नए संस्थानों की स्थापना करता है।
अध्यापक शिक्षा से संबंधित निम्न शोध पत्रिकाओं का प्रकाशन होता है
इंडियन जर्नल आफ टीचर एजुकेशन
अन्वेषिका
अध्यापक साथी
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