Translate

Tuesday, January 12, 2021

राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद(NCTE)


भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा मई 1973 में शिक्षा आयोग की अनुशंसा पर  गैर संवैधानिक संस्था के रूप में  राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद की स्थापना की गई।

शुरुआती चरण में इसका कार्य केंद्र व राज्य सरकारों को शिक्षक शिक्षा से जुड़े मामलों में सलाह देना था।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 और कार्य योजना 1996 की अनुशंसा के आधार पर राष्ट्रीय शिक्षा अधिनियम परिषद 1993 के अधीन राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद एक संवैधानिक निकाय के रूप में 17 अगस्त 1995 से अस्तित्व में आया।

राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद की  चार क्षेत्रीय समितियां हैं -
पूर्वी क्षेत्रीय समिति भुवनेश्वर उड़ीसा
 पश्चिमी क्षेत्रीय समिति भोपाल 
उत्तर क्षेत्रीय समिति जयपुर 
दक्षिण क्षेत्रीय समिति बेंगलुरु कर्नाटक में

 इस परिषद के प्रमुख कार्य अध्यापक शिक्षा के स्तर को विकसित करने हेतु अनुदान की व्यवस्था करना इसके लिए एक टीम नियुक्त की जाती है ।

 शिक्षक शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षकों के बारे में उपयुक्त योजनाएं और कार्यक्रमों को तैयार करता है।

राष्ट्रीय स्तर राज्य स्तर पर शिक्षण संस्थाओं तथा शिक्षा विभाग के स्तर के शैक्षिक शोध कार्यों में समन्वय स्थापित करना।

 सभी स्तरों के केंद्रीय तथा राज्य प्राथमिक स्तर तथा महाविद्यालय स्तर के अध्यापक शिक्षा की व्यवस्था का निरीक्षण करना तथा उनके विकास एवं सुधार हेतु साधनों का सुझाव देना।

 पाठ्यक्रम स्टाफ साधनों सुविधाओं के संदर्भ में राष्ट्रीय स्तर का निर्धारण करना।

अंतर्राज्यीय स्तरों  के लिए निरीक्षण करना मूल्यांकन करना विकास एवं प्रसार का अवलोकन करना।


 अध्यापक शिक्षा के पाठ्यक्रम की रूपरेखा तैयार करना अध्यापकों की सामाजिक व्यवस्था को सुनिश्चित करना तथा अध्यापक शिक्षा के भावी कार्यक्रम तैयार करना है।

मान्यता प्राप्त संस्थानों की पहचान करता है और शिक्षक शिक्षा प्रणाली के विकास कार्यक्रमों के लिए नए संस्थानों की स्थापना करता है।

अध्यापक शिक्षा से संबंधित निम्न शोध पत्रिकाओं का प्रकाशन होता है
 इंडियन जर्नल आफ टीचर एजुकेशन 
अन्वेषिका 
अध्यापक साथी 



विडियो देखने के लिये क्लिक करें
👇

Monday, January 11, 2021

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद NCERT


NCERT का पूरा नाम NATIONAL COUNCIL OF EDUCATIONAL RESEARCH AND TRAINING है।


इस परिषद की स्थापना  1 सितम्बर 1961 में की गई।


विद्यालयी शिक्षा में आवश्यक सुधार के लिए एनसीईआरटी की स्थापना की गई।


NCERT विद्यालयी शिक्षा से जुड़े मामलों पर केन्द्रीय सरकार और राज्य सरकारों को सलाह देने का कार्य करती है।



एनसीईआरटी के संगठन में केंद्र सरकार द्वारा मनोनीत 12 सदस्य होते हैं, दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति,अध्यक्ष केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री, प्रत्येक राज्य का एक-एक प्रतिनिधि और भारत सरकार का शैक्षिक सलाहकार होते हैं।


 इसके चार क्षेत्रीय महाविद्यालय अजमेर मैसूर भुवनेश्वर और भोपाल में है।
 इसका मुख्यालय दिल्ली में है जिसके कई विभाग हैं इसमें केंद्र भी स्थापित किए गए हैं ।




इस परिषद के मुख्य कार्य -

 प्राथमिक और माध्यमिक स्तर की शिक्षा के सुधार हेतु शोध कार्य और शोध कार्यों को अनुदान देना।
शिक्षक शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता लाना।
 सेवारत अध्यापक और पूर्व सेवा अध्यापकों को नेतृत्व प्रदान करना।
 नवीन परिवर्तनों और आयामों से अवगत कराना और प्रशिक्षण देना।
शिक्षण की उच्च तकनीकी को प्रोत्साहित करना।
 प्राथमिक और माध्यमिक स्तर की शिक्षा संबंधित कार्यों के लिए आर्थिक सहायता भी दी जाती हैं।
1 से 12 तक की पुस्तकें तैयार करने का कार्य NCERT द्वारा किया जाता है।

विद्यालयों में विज्ञान किट NCERT द्वारा तैयार की जाती है।


 एनसीईआरटी के क्षेत्र-
 एनसीईआरटी के अध्यापक शिक्षा विभाग के मुख्य क्षेत्र इस प्रकार से है 
प्राथमिक तथा माध्यमिक स्तर के लिए विद्यालय अनुभव हैंडबुक विभाग।

 प्राथमिक स्तर के अध्यापक शिक्षा के कौशल पर आधारित पाठ्यक्रम विभाग।

 अध्यापक शिक्षा की प्रवेश प्रक्रिया हेतु  विभाग।

 अध्ययन सामग्री विभाग अध्यापक शिक्षा विभाग द्वारा सेवारत अध्यापकों को प्रशिक्षण एवं प्रसार की भी व्यवस्था की जाती है ।

 प्राथमिक और माध्यमिक स्तर की कार्यशाला सेमिनार वार्षिक सम्मेलन इत्यादि की व्यवस्था करना है।


Sunday, January 10, 2021

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग UNIVERSITY GRANTS COMMISSION

 


विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का गठन 28 दिसंबर 1953 को भारत सरकार द्वारा किया गया।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग केंद्रीय सरकार का आयोग है जो विभिन्न विश्वविद्यालयों को मान्यता देता है।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का गठन विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग 1948-49 की सिफारिश पर किया गया तत्कालीन शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद थे।

यूजीसी का बोध वाक्य है ज्ञान विज्ञान विमुक्तये।

 भारत सरकार ने इसे 1956 में स्वायत्त संस्था का दर्जा दिया।


विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का मुख्य कार्यालय दिल्ली में है तथा 6 क्षेत्रीय कार्यालय पुणे ,भोपाल, कोलकत्ता,  हैदराबाद ,गुवाहाटी और बेंगलुरु में स्थित हैं।

आयोग में अध्यक्ष उपाध्यक्ष तथा भारत सरकार द्वारा नियुक्त 10 अन्य सदस्य होते हैं।


यूजीसी के अध्यक्ष का कार्यकाल 5 वर्ष और उपाध्यक्ष का कार्यकाल 3 वर्ष होता है।

 डॉ 0 शांति स्वरूप भटनागर यूजीसी के पहले अध्यक्ष थे।


विभिन्न प्रकार के विश्वविद्यालय जो यूजीसी द्वारा नियंत्रित किए जाते हैं केंद्रीय विश्वविद्यालय 54, राज्य विश्वविद्यालय 416, डीम्ड 124,प्राइवेट विश्वविद्यालय 364।
कुल विवि 958।

उत्तराखण्ड में 7 October 2020 को UGC ने 24  विश्वविद्यालय को अवैध( fake )विश्वविद्यालय बताया था।


उत्तराखंड में यूजीसी से मान्यता प्राप्त केंद्रीय विश्वविद्यालय 1,राज्य विश्वविद्यालय 11,प्राइवेट 18 
कुल विश्वविद्यालय- 33



विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अनुदान आयोग के प्रमुख कार्य-
 विश्वविद्यालय के विकास तथा संचालन हेतु आर्थिक सहायता प्रदान करना।


नए विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए राज्य को परामर्श देना और 5 वर्ष के संचालन का संपूर्ण व्यय वहन करना।

 
केंद्रीय विश्वविद्यालय को विकास और संचालन हेतु सम्पूर्ण व्यय के लिए अनुदान देना तथा राज्य के विश्वविद्यालयों के विकास हेतु अनुदान देना।

विश्वविद्यालय स्तरीय शिक्षा उच्च शिक्षा में छात्रों हेतु कार्य योजना तैयार करना और क्रियान्वयन हेतु संबंधित संस्थानों को परामर्श प्रदान करना।


 अध्यापकों के आवास हेतु विश्वविद्यालय तथा महाविद्यालयों को अनुदान दिया जाता है।


 विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में समानता बनाए रखना तथा उनके बीच समन्वय स्थापित करना।


यूजीसी द्वारा शिक्षा में सुधार के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं बनती हैं।




UGC के वर्तमान अध्यक्ष-   प्रोफेसर धीरेंद्र पाल सिंह।

विडियो देखने के लिये क्लिक करें
👇

Friday, January 8, 2021

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 NATIONAL EDUCATION POLICY


राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 से पूर्व कांग्रेस सरकार ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में 1968  राष्ट्रीय शिक्षा नीति घोषित की थी।

 इसके पश्चात राजीव गांधी प्रधानमंत्री बनने पर सरकार ने शिक्षा का सर्वेक्षण करवाया और उसे शिक्षा की चुनौती नीति संबंधी परिपेक्ष  नाम से अगस्त 1983 में प्रकाशित किया।


राष्ट्रीय शिक्षा नीति दस्तावेज मई 1986 में प्रकाशित किया गया और इस शिक्षा नीति की घोषणा के बाद नवंबर 1986 में इसकी कार्ययोजना दस्तावेज़ प्रकाशित किया गया।

शिक्षा नीति 1986 का प्रमुख उद्देश्य था सभी को समान शिक्षा।


राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 का दस्तावेज 12 भागों में विभाजित है-
  1. भूमिका
  2. शिक्षा का सार तथा भूमिका
  3. राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली
  4. समानता के लिए शिक्षा
  5. विभिन्न स्तरों पर शिक्षा का पुनर्गठन
  6. तकनीकी एवं प्रबंधकीय शिक्षा
  7. प्रणाली को कार्यशील बनाना
  8. विषय सामग्री तथा प्रक्रिया का नवीनीकरण
  9. शिक्षक 
  10. शिक्षा का प्रबंधन
  11. साधन एवं  पुर्ननिरीक्षण
  12. भविष्य


शिक्षा के आधुनिकीकरण और आईटी की भूमिका की मुख्य बात इसमें कही गई।


 शिक्षा का पुनर्गठन बचपन की देखभाल महिला सशक्तिकरण और वयस्क साक्षरता पर अधिक ध्यान दिया गया ।


राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली पूरे देश में लागू करने की बात कही गई 10 + 2+ 3 शिक्षा संरचना लागू की जाए।


 शिक्षा का विकेंद्रीकरण किया जाए केंद्र में भारतीय शिक्षा  सेवा, प्रांत में प्रांतीय शिक्षा सेवा और जिले में जिला शिक्षा परिषद की स्थापना की जाए।

 कुल बजट का 6% शिक्षा के लिए तय करने का प्रावधान रखा जाए।


 सभी स्तरों का पुनर्गठन किया जाए प्रारंभिक शिक्षा, निरौपचारिक शिक्षा, ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड लागू करने की बात कही गई ।


Operation black board के अंतर्गत प्राथमिक विद्यालयों की न्यूनतम आवश्यकताओं दो कमरों का भवन ,फर्नीचर,शिक्षण सामग्री,पुस्तकालय सामग्री ,खेल सामग्री कम से कम 2 शिक्षक प्रत्येक विद्यालय में नियुक्त होने चाहिए।


 माध्यमिक शिक्षा बोर्ड माध्यमिक शिक्षा में सुधार तथा नवोदय विद्यालय की स्थापना की पूरी रूपरेखा प्रस्तुत की गई ।


नए  मुक्त विश्वविद्यालयों की स्थापना का सुझाव रखा गया और इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय की कार्यक्रमों की विस्तार की बात कही गई।


(इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना 1985 में हुई थी )।

देश में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद तथा राज्य में तकनीकी शिक्षा परिषद बोर्ड को सुदृढ़ करने की बात कही गई ।

1990 तक प्राथमिक शिक्षा को सर्व सुलभ बनाए जाने की बात कही गई जिसमें 1 किलोमीटर के अंतर्गत 1 प्राथमिक स्कूल खोले जाने की बात कही गई।

 1995 तक 11 से 14 आयु वर्ग के बच्चों के लिए शत प्रतिशत सुलभ शिक्षा की बात कही गई।


 1995 तक व्यवसायिक वर्ग में 25% छात्र छात्राओं छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर पाएंगे ऐसी बात कही गई।


  प्रत्येक जिले में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान डाइट की स्थापना की गई जाएगी।


इसके पश्चात नई सरकार के आते ही प्रधानमंत्री श्री विष्णु प्रताप सिंह ने 1990 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 की समीक्षा के लिए एक समिति गठित की जिसके अध्यक्ष आचार्य राममूर्ति थे। आचार्य राममूर्ती  समिति 1990।



जिसका प्रमुख कार्य था 1986 की नीति की समीक्षा करना संशोधन हेतु सुझाव देना संशोधित नीति का क्रियान्वयन हेतु सुझाव देना।

 इसके पश्चात पुनः कांग्रेस सत्ता में आई तो 1986 में जनार्दन रेड्डी समिति 1992 में  गठित की गई।


 राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में संशोधित शिक्षा नीति 1992 में लाई गई।

operation blackboard योजना  प्राथमिक  स्तर पर 1987 में लागू की गई।

 operation blackboard योजना उच्च प्राथमिक स्तर पर 1992 में लागू की गई।



विडियो देखने के लिये क्लिक करें
👇


Thursday, January 7, 2021

राष्ट्रीय शिक्षा आयोग(कोठारी कमीशन) 1964-66 NATIONAL EDUCATION COMMISSION

 


देशभर में एक समान शिक्षा नीति का निर्माण करने के उद्देश्य से 14 जुलाई 1964 को राष्ट्रीय शिक्षा आयोग का गठन किया गया।

आयोग के अध्यक्ष डॉ0 दौलत सिंह कोठारी (तत्कालीन अध्यक्ष विश्वविद्यालय अनुदान आयोग)।

कुल सदस्य संख्या 17 

12 भारतीय तथा 5 विदेशी शिक्षा विशेषज्ञ थे जो इंग्लैंड,अमेरिका,फ्रांस,जापान और रूस से थे।

आयोग का कार्यक्षेत्र पूरे देश की तत्कालीन शिक्षा व्यवस्था का सर्वेक्षण कर उसमें सुधार के लिए सुझाव देना।

आयोग ने अपना प्रतिवेदन शिक्षा एवं राष्ट्रीय प्रगति 29 जून 1966 को भारत सरकार को प्रेषित किया।

इसी आयोग की सिफारिशों के फलस्वरूप 1968 की शिक्षा नीति अस्तित्व में आई।

केन्द्र सरकार शिक्षा पर बजट 6% खर्च करे।


6 से 14 वर्ष आयु वर्ग के सभी बच्चों के लिए अनिवार्य पर निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था की जाए।

1से 3 वर्ष की पूर्व प्राथमिक शिक्षा की बात कही।


 सामान्य शिक्षा की अवधि प्राथमिक एवं माध्यमिक कुल 10 वर्ष होनी चाहिए।

विषयों का विशिष्टिकरण 10 वीं के बाद होना चाहिए।

10+2+3 शिक्षा संरचना का सुझाव दिया।


 विद्यालय संकुल ओं का निर्माण किया जाए एक संकुल में एक माध्यम के स्कूल और उसके निकटवर्ती सभी प्राथमिक स्कूल हों।


 प्रथम सार्वजनिक परीक्षा 10 वर्ष की सामान्य शिक्षा प्राप्त करने पर होनी चाहिए

 शिक्षा के पांच उद्देश्य लक्ष्य निर्धारित किए गए जिन्हें पंचमुखी कार्यक्रम कहा गया ।
 1 ) शिक्षा द्वारा उत्पादन में वृद्धि
 2 )शिक्षा द्वारा सामाजिक तथा राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ करना।
 3 )शिक्षा द्वारा लोकतांत्रिक मूल्यों का विकास करना 
4)शिक्षा द्वारा राष्ट्र का आधुनिकीकरण करना।
 5 )शिक्षा द्वारा सामाजिक नैतिक व आध्यात्मिक मूल्यों का विकास करना।


केंद्र में राष्ट्रीय विद्यालय शिक्षा बोर्ड का और भारतीय शिक्षा सेवा का गठन किया जाए ।

प्रत्येक राज्य में राज्य विद्यालय शिक्षा बोर्ड और राज्य शिक्षा सेवा का गठन किया जाए ।

वरिष्ठ विश्वविद्यालयों की स्थापना का सुझाव दिया।


संशोधित त्रिभाषा सूत्र दिया-
 1) मातृभाषा ( क्षेत्रीय भाषा अथवा प्रादेशिक भाषा) 
2 ) संघ की भाषा हिंदी अथवा अंग्रेजी 
3) कोई आधुनिक भारतीय भाषा या कोई आधुनिक यूरोपीय भाषा या कोई शास्त्रीय भाषा जो प्रथम दो में न ले गई हो।

सेवानिवृत्ति की आयु 60 वर्ष स्वस्थ एवं कर्मठ व्यक्तियों की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष बढ़ाई जा सकती है।


 व्यक्तिगत ट्यूशन पर नियंत्रण किया जाए।


प्राथमिक शिक्षकों के प्रशिक्षण की अवधि 2 वर्ष होनी चाहिए और माध्यमिक शिक्षकों के प्रशिक्षण की अवधि फिलहाल 1 वर्ष रहे किंतु आगे चलकर इसे भी 2 वर्ष कर देना चाहिए।

 1 वर्ष में कार्य दिवसों की संख्या कम से कम 230 दिन हो।


 केंद्र में राष्ट्रीय प्रौढ़ शिक्षा बोर्ड राज्य में राज्य प्रौढ़ शिक्षा बोर्ड की स्थापना की जानी चाहिए 15 से 30 आयु वर्ग के निरक्षर प्रोढो की शिक्षा व्यवस्था के लिए प्राथमिक विद्यालयों को सामुदायिक से केंद्र बनाया जाना चाहिए।

विडियो देखने के लिए क्लिक करें
👇












Tuesday, January 5, 2021

माध्यमिक शिक्षा आयोग मुदालियर कमीशन 1952-53 SECONDARY EDUCATION COMMISSION



केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड ने 1951 में केंद्र सरकार के सामने माध्यमिक शिक्षा आयोग की नियुक्ति का प्रस्ताव रखा।


 माध्यमिक शिक्षा आयोग का गठन 23 September 1952

आयोग के अध्यक्ष मद्रास विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति डॉ0 लक्ष्मणस्वामी मुदालियर।

अध्यक्ष सहित कुल सदस्य 10।
 अन्य प्रमुख सदस्य- 
डॉ0 के0एन0श्रीमाली 
श्री के0जी0 सैयदेन 
श्रीमती हंसा मेहता 
श्री जॉन क्राइस्ट 
श्री कैथन रस्ट विलियम्स

आयोग ने रिपोर्ट प्रस्तुत की 29 अगस्त 1953


आयोग की नियुक्ति का उद्देश्य तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा की स्थिति का पता लगाना और पुनर्गठन के संबंध में सुझाव देना।


माध्यमिक शिक्षा के उद्देश्य -
जनतांत्रिक नागरिकता का विकास
 व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास 
व्यवसायिक कुशलता में वृद्धि और नेतृत्व विकास।

 माध्यमिक शिक्षा आयोग ने सुझाव दिया कि केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की तरह प्रत्येक प्रांत में प्रांतीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की स्थापना की जाए ।

प्रत्येक प्रांत में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का गठन किया जाए जिसके पदेन अध्यक्ष शिक्षा निदेशक(कार्य - शिक्षा मंत्री को सलाह देना) होंगे।


तकनीकी शिक्षा के लिए प्रत्येक प्रान्त में तकनीकी शिक्षा बोर्ड स्थापित किया जाए जो All india council for technical education के निर्देशन में कार्य करे।



वित्त व्यवस्था की जिम्मेदारी प्रांतीय सरकारों की परंतु केन्द्र सरकार को मदद करनी चाहिए ।


माध्यमिक स्कूलों को दिया जाने वाला दान आयकर से मुक्त होगा भूमि की नि:शुल्क व्यवस्था।

तकनीकी शिक्षा की व्यवस्था के लिए उद्योगों पर कर लगाया जाए ।


 प्रत्येक विद्यालय में निश्चित समय अन्तराल  से निरीक्षण होना चाहिए निरीक्षण मंडल में विद्यालयों के निरीक्षक, माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य , शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों के अनुभवी अध्यापक।

माध्यमिक शिक्षा 11 से 17 वर्ष के बालक बालिकाओं के लिए 3 वर्ष निम्न माध्यमिक 4 वर्ष उच्च माध्यमिक की कक्षायें चलेंगी।

इण्टरमीडिए को समाप्त कर 11 वीं को माध्यमिक 12 वीं को डिग्री में जोड़ दिया जाए । डिग्री कोर्स 3 वर्ष का होगा।


बहुउद्देशीय विद्यालय खोले जायेंगे।

निवास विद्यालयों की व्यवस्था। छात्राओं के लिए गृहविज्ञान के अध्ययन की सुविधा की जाएगी ।

बड़े शहरों में पोलीटेक्नीक खोले जाएं ।


ग्रामों में स्थापित माध्यमिक विद्यालयों में कृषि शिक्षा के साथ पशुपालन बागवानी तथा कुटीर उद्योगों की शिक्षा दी जानी चाहिए ।


प्रत्येक राज्य में दृष्टिहीन बाधिर तथा मूक आदि बाधितों की  शिक्षा का प्रबंध किया जाना चाहिए ।


मूल्यांकन अंकों में नहीं बल्कि ग्रेड सिस्टम होना चाहिए । वस्तुनिष्ठ परीक्षाओं की व्यवस्था।

अनुशासन के लिए 17 वर्ष से कम आयु के बालकों को राजनीति में भाग लेने नहीं दिया जाएगा ।


आवश्यकतानुसार बालिका विद्यालय खोले जाएं जहाँ सम्भव न हो सह शिक्षा की व्यवस्था की जाए । बालिकाओं को किसी भी प्रकार की शिक्षा प्राप्त करने का समान अधिकार ।


नैतिक और धार्मिक शिक्षा अध्ययन से पूर्व या बाद में किसी को बाध्य न किया जाए ।

मिडिल स्चूलों में कम से कम दो भाषाओं की शिक्षा शिक्षा का माध्यम मातृभाषा या प्रादेशिक भाषा । अंग्रेजी अनिवार्य विषय रहने दिया जाए । हिन्दी अनिवार्य विषय बनाया जाए ।


कार्यदिवस 200 तथा 2 माह का ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन अवकाश।


शिक्षकों की शिकायतों पर विचार के लिए आर्बिटेशन बोर्ड बनाया जाए।

सेवानिवृति आयु 58 के स्थान पर 60 कर दी जाए।


विडियो देखने के लिए क्लिक करें
👇













Monday, January 4, 2021

विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग (1948 -49) Radhakrishnan Commission University Education Commission


स्वतंत्र भारत का पहला शिक्षा आयोग - विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग।


विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग के निर्माण का सुझाव  भारत सरकार को केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड और अंतर्विश्वविद्यालय शिक्षा परिषद के द्वारा दिया गया।

 विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग की नियुक्ति-4 नवंबर 1948


आयोग के अध्यक्ष डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन।

 कुल 10 सदस्य -

डॉ0 लक्ष्मणस्वामी मुदालियर 
आर्थर मॉर्गन
डॉ0 सर जेम्स 
 डॉक्टर जान टिजर्ट 
डॉक्टर जाकिर हुसैन
 डॉक्टर ताराचंद
 डॉक्टर मेघनाथ साहा 
 डॉक्टर कर्म नारायण बहल
 श्री निर्मल कुमार सिद्धांत आयोग के सचिव

 
रिपोर्ट प्रस्तुत की 25 अगस्त 1949।

 विश्वविद्यालय शिक्षा का उद्देश्य-
 युवकों में नेतृत्व क्षमता का विकास
 जनतांत्रिक सफल प्रणाली
 विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधार 

विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग ने सुझाव दिया कि शिक्षा को समवर्ती सूची में रखा जाए ।
(शिक्षा को समवर्ती सूची में 42 वें संविधान संशोधन के तहत 1976 में रखा गया) 

वित्तीय भार केंद्र और प्रांतीय सरकारें दोनों मिलकर उठाएंगे।


 विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग ने  महत्वपूर्ण सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय अनुदान समिति के स्थान पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यूजीसी का गठन किया जाएगा।
(UGC की स्थापना 1953 में हुई और इसको 1956 में स्वायत्त संस्था का दर्जा दिया गया ।)

 विश्वविद्यालय का संगठन-
स्नातक (graduation)3 वर्ष का 
स्नातकोत्तर( post graduation)2 वर्ष का 
अनुसंधान न्यूनतम 2 वर्ष का होगा।


तीन वर्ग -
कला,विज्ञान और व्यवसायिक तकनीकी ।


ग्रामीण विश्वविद्यालय खोलने की सिफारिश की गई साथ ही उच्च शिक्षा और शोध कार्य के लिए कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना की बात कही गई ।




व्यवसायिक एवं तकनीकी शिक्षा के 6 वर्ग -
कृषि
वाणिज्य
इंजीनियरिंग एवं तकनीकी
चिकित्सा
कानून 
शिक्षक प्रशिक्षण 



पाठ्यक्रम में व्यापकता और लचीलापन लाने की बात की गई।

 स्त्री शिक्षा के लिए सह शिक्षा को प्रोत्साहन देने की बात कही गई और स्त्रियों के लिए स्त्री उचित शिक्षा की बात कही गई।

 ग्रामीण विश्वविद्यालय की बात की गई तठा अखिल भारतीय स्तर पर एक ग्रामीण शिक्षा परिषद की स्थापना ।


छात्र कल्याण के लिए प्रॉक्टोरियल बोर्ड प्रशासन में प्रशिक्षण की स्थापना की बात कही गई।


 प्राथमिक माध्यमिक और उच्च शिक्षा में कृषि को एक महत्वपूर्ण विषय के रूप में सम्मिलित किया जाना चाहिए।

 कृषि स्कूल कॉलेज तथा फॉर्म ग्रामीण अंचलों में खोले जाने चाहिए।


चिकित्सा शिक्षा के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशिक्षण होना चाहिए अधिकतम छात्र संख्या 100 और प्रत्येक छात्र के लिए 10 रोगी होने चाहिए ।


मूल्यांकन और परीक्षा के लिए परीक्षा को 5 वर्ष का अनुभव होना चाहिए।

 स्नातकोत्तर एवं व्यवसायिक परीक्षा में मौखिक परीक्षा का आयोजन भी किया जाना चाहिए।

 इसके लिए मूल्यांकन के लिए 3 सदस्य एक पूर्णकालिक बोर्ड की स्थापना का सुझाव दिया साथ ही वस्तुनिष्तठ  परीक्षाएं और पाठ्यक्रम में संशोधन की बात कही गई।

कार्य दिवस 180 होना चाहिए जो कि परीक्षा को छोड़कर होने चाहिए ।

विश्व विद्यालयों में विद्यार्थियों की अधिकतम संख्या 3000 और संबंध कॉलेजों में 1500 से अधिक नहीं होना चाहिए।


 विश्वविद्यालय में 18 वर्ष की आयु हो जाने पर ही प्रवेश दिया जाना चाहिए।

मूल्यांकन की श्रेणियां प्रथम श्रेणी 70% द्वितीय श्रेणी 55% और तृतीय श्रेणी 40% निर्धारित होनी चाहिए।

शिक्षकों की 4 श्रेणियाँ-
प्रोफेसर
रीडर
लेक्चरार
इंस्ट्रक्टर 

अध्यापकों व अधिकारियों में विवाद सुलझाने के लिए न्यायधीश की नियुक्ति।

सेवानिवृति आयु-60/64

अध्ययन के लिए अवकाश 1 बार में 1 वर्ष और पूरे सेवाकाल में 3 वर्ष।

अध्यापन कार्य सप्ताह में अधिकतम् 18 घण्टे।

ग्रामीण उच्च शिक्षा समिति की स्थापना- 1954

NSS की स्थापना 24 सितम्बर 1969

NCC  की स्थापना 16 जुलाई 1948

 
देश का प्रथम ग्रामीण विश्वविद्यालय मध्य प्रदेश 1991 में स्थापित किया गया - महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय।


विडियो देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें


नोटस के लिए क्लिक करें
👇




धन्यवाद।।