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Friday, February 7, 2020

आनन्दम्::एक पूर्णता

शिक्षा अंतर्मन की अभिव्यक्ति है। कक्षा शिक्षण के दौरान एक सीमित समय अंतराल में पाठ्यक्रम को पूरा करने के दबाव के बीच बच्चों के मन को पूरी तरह से खोलकर देखने,समझने, पोषित करने का अवसर कम ही मिल पाता है।यह अवसर हमें आनंदम्  ने दिया। पाठ्यक्रम को देखते ही खुशी हुई ध्यान, कहानी,गतिविधि, अभिव्यक्ति और सबसे बढ़िया चर्चा जिसमें बच्चों के भावों का आदान प्रदान हुआ और शिक्षक को एक सकारात्मक दिशा देने का अवसर प्राप्त हुआ। हम अक्सर कक्षा शिक्षण के दौरान बच्चों को बोलते हैं कि ध्यान दो या ध्यान से सुनो पर शायद ही हम कभी  बता पाते हैं या सिखा पाते हैं कि ध्यान दिया कैसे जाता है? यह सिखाने की प्रक्रिया आनंदम् में बहुत अच्छे से बताई गई है।   इससे आसानी से बच्चे ध्यान एकाग्र करना सीख रहे हैं कहानी के माध्यम से शिक्षा और फिर चर्चा बड़ी महत्वपूर्ण है। क्योंकि सिर्फ बच्चों को उपदेश देने से हम गुण या संस्कार नहीं दे सकते कहानी के बाद पूछे जाने वाले प्रश्न बाल मन को उद्वेलित करते हैं कि वे कहानी को व्यवहार में लाएं और एक समझ विकसित करें।
गतिविधि करके सीखने का अवसर देती है और प्रक्रिया से जोड़ती है। मानव प्रकृति की समझ, समाज का रवैया और सोच को समझ के साथ सही दिशा में ले जाने के लिए एक महत्वपूर्ण क्रियाकलाप है किंतु एक सुगम कर्ता के रूप में  गतिविधि के वास्तविक भाव को समझ पाना कई बार मेरे लिए कठिन होता है कुछ गतिविधियों में गतिविधि करवाने के उद्देश्य को और अधिक स्पष्ट कराए जाने की आवश्यकता महसूस हो रही है।
 अभिव्यक्ति के द्वारा हफ्ते भर किसी एक गुण को  समझना। अपने आसपास आदर्श ढूंढने से बच्चों में अच्छाई देखने की एक आदत स्वतः विकसित हो रही है। आनंदम में बच्चे जब एक दूसरे को सम्मान के भाव से देखते हैं और उसको व्यक्त कर पाते हैं तो आनंदम की यह बड़ी उपलब्धि है क्योंकि हम बच्चे को यह सिखाने में कठिनाई महसूस करते हैं कि वह किस प्रकार संवेदनशील बने और दूसरों को धन्यवाद सीखे देना सीखे।
 आनंदम् के दौरान बहुत से उदाहरण मेरे सामने आए। जैसे कि  पवन जो लिखने पढ़ने में कमजोर है तो मयंक उसकी मदद करता है। आनन्दम  की कक्षा में बहुत बार मयंक को धन्यवाद बोल चुका है और सम्मान पाने से मयंक भी पवन को सम्मान देना सीखा है। इसके अलावा अंबिका जो कम देख पाने की वजह से कक्षा शिक्षण के दौरान उतना सक्रिय नहीं रहती है,आनंद में हर प्रश्न पर प्रतिक्रिया देने के लिए उत्सुक रहती है।
अन्य बच्चे जैसे ज्योति अपने माता-पिता को बहुत बार धन्यवाद बोल चुकी है।जितेन्द्र अपने दोस्त रचित को धन्यवाद देता है कि यह मेरा दोस्त है और बडी बात आनन्दम को धन्यवाद देते रहते हैं जैसे आनन्दम उनको सुन रहा हो ऐसी संवेदनशीलता........।
मौन रहने की बात तो इतनी बड़ी कक्षा से कल्पना करना भी बहुत दूर की बात है। वही बच्चे शान्त बैठकर  मौन रहकर ध्यान कर रहे हैं एक नयी बात है।
जीवन सहज रूप से आगे बढ़ता है जैसे कली खिलकर फूल बनती है और फूल बनने की प्रक्रिया के दौरान  उसको समुचित पोषण, नमी,वातावरण की आवश्यकता होती है उसी प्रकार आनंदम् जीवन प्रक्रिया में उस उचित वातावरण को देने का काम कर रहा है जिससे जीवन का पुष्प ऐसे आनंदित वातावरण में खिले कि जीवन भर खुशबू से महकता रहे।
अमृता नौटियाल 
स0अ0विज्ञान
रा0इ0का0तैला सिलगढ़ 
जखोली रुद्रप्रयाग।

6 comments:

  1. wonderful reflection mam. Thanks a lot for putting effort in direction of life skills

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  2. बच्चों के लिए पूर्णतया समर्पित आप धन्य हैं

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  3. बहुत ही सुंदर।

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  4. बहुत ही सुंदर!!!

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