देशभर में एक समान शिक्षा नीति का निर्माण करने के उद्देश्य से 14 जुलाई 1964 को राष्ट्रीय शिक्षा आयोग का गठन किया गया।
आयोग के अध्यक्ष डॉ0 दौलत सिंह कोठारी (तत्कालीन अध्यक्ष विश्वविद्यालय अनुदान आयोग)।
कुल सदस्य संख्या 17
12 भारतीय तथा 5 विदेशी शिक्षा विशेषज्ञ थे जो इंग्लैंड,अमेरिका,फ्रांस,जापान और रूस से थे।
आयोग का कार्यक्षेत्र पूरे देश की तत्कालीन शिक्षा व्यवस्था का सर्वेक्षण कर उसमें सुधार के लिए सुझाव देना।
आयोग ने अपना प्रतिवेदन शिक्षा एवं राष्ट्रीय प्रगति 29 जून 1966 को भारत सरकार को प्रेषित किया।
इसी आयोग की सिफारिशों के फलस्वरूप 1968 की शिक्षा नीति अस्तित्व में आई।
केन्द्र सरकार शिक्षा पर बजट 6% खर्च करे।
6 से 14 वर्ष आयु वर्ग के सभी बच्चों के लिए अनिवार्य पर निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था की जाए।
1से 3 वर्ष की पूर्व प्राथमिक शिक्षा की बात कही।
सामान्य शिक्षा की अवधि प्राथमिक एवं माध्यमिक कुल 10 वर्ष होनी चाहिए।
विषयों का विशिष्टिकरण 10 वीं के बाद होना चाहिए।
10+2+3 शिक्षा संरचना का सुझाव दिया।
विद्यालय संकुल ओं का निर्माण किया जाए एक संकुल में एक माध्यम के स्कूल और उसके निकटवर्ती सभी प्राथमिक स्कूल हों।
प्रथम सार्वजनिक परीक्षा 10 वर्ष की सामान्य शिक्षा प्राप्त करने पर होनी चाहिए
शिक्षा के पांच उद्देश्य लक्ष्य निर्धारित किए गए जिन्हें पंचमुखी कार्यक्रम कहा गया ।
1 ) शिक्षा द्वारा उत्पादन में वृद्धि
2 )शिक्षा द्वारा सामाजिक तथा राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ करना।
3 )शिक्षा द्वारा लोकतांत्रिक मूल्यों का विकास करना
4)शिक्षा द्वारा राष्ट्र का आधुनिकीकरण करना।
5 )शिक्षा द्वारा सामाजिक नैतिक व आध्यात्मिक मूल्यों का विकास करना।
केंद्र में राष्ट्रीय विद्यालय शिक्षा बोर्ड का और भारतीय शिक्षा सेवा का गठन किया जाए ।
प्रत्येक राज्य में राज्य विद्यालय शिक्षा बोर्ड और राज्य शिक्षा सेवा का गठन किया जाए ।
वरिष्ठ विश्वविद्यालयों की स्थापना का सुझाव दिया।
संशोधित त्रिभाषा सूत्र दिया-
1) मातृभाषा ( क्षेत्रीय भाषा अथवा प्रादेशिक भाषा)
2 ) संघ की भाषा हिंदी अथवा अंग्रेजी
3) कोई आधुनिक भारतीय भाषा या कोई आधुनिक यूरोपीय भाषा या कोई शास्त्रीय भाषा जो प्रथम दो में न ले गई हो।
सेवानिवृत्ति की आयु 60 वर्ष स्वस्थ एवं कर्मठ व्यक्तियों की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष बढ़ाई जा सकती है।
व्यक्तिगत ट्यूशन पर नियंत्रण किया जाए।
प्राथमिक शिक्षकों के प्रशिक्षण की अवधि 2 वर्ष होनी चाहिए और माध्यमिक शिक्षकों के प्रशिक्षण की अवधि फिलहाल 1 वर्ष रहे किंतु आगे चलकर इसे भी 2 वर्ष कर देना चाहिए।
1 वर्ष में कार्य दिवसों की संख्या कम से कम 230 दिन हो।
केंद्र में राष्ट्रीय प्रौढ़ शिक्षा बोर्ड राज्य में राज्य प्रौढ़ शिक्षा बोर्ड की स्थापना की जानी चाहिए 15 से 30 आयु वर्ग के निरक्षर प्रोढो की शिक्षा व्यवस्था के लिए प्राथमिक विद्यालयों को सामुदायिक से केंद्र बनाया जाना चाहिए।
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Great. It is useful.
ReplyDeleteThnksss
ReplyDeletethnks
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