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Friday, September 25, 2020

नई शिक्षा नीति 2020 : समतामूलक और समावेशी शिक्षा के प्रावधान


नई शिक्षा नीति 2020 में समतामूलक और समावेशी शिक्षा : सभी के लिए अधिगम विषय को समझने के उद्देश्य से जिला  शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान  रतूड़ा रुद्रप्रयाग द्वारा नई शिक्षा नीति 2020 पर चर्चा के लिए राज्य स्तरीय वेबीनार  निदेशक एआरटी उत्तराखंड  श्रीमती सीमा जौनसारी के  निर्देशन एवं  डायट प्राचार्य श्री एस0 एस0 असवाल जी  के मार्गदर्शन मेें  23 सितम्बर 2020 को आयोजित किया गया।

                        श्रीमती सीमा जौनसारी 
               निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण

वेबिनार में राज्य भर से कुल 524 विशेषज्ञों,शिक्षकों ने प्रतिभाग किया।  वेबीनार का संचालन डायट रतूड़ा की वरिष्ठ प्रवक्ता श्रीमती भुवनेश्वरी चंदानी जी द्वारा किया गया।

जिसके संयोजक डॉ0 विनोद कुमार यादव, श्रीमती भुवनेश्वरी चंदानी, डॉ0 जी0 पी0 सती थे।  
जिसमें  पूरे देश भर से गणमान्य व्यक्ति जुड़े जिनमें से डॉ0 पंकज सिंह एसोसिएट प्रोफेसर दीनबंधु कॉलेज यूनिवर्सिटी दिल्ली जो की प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी हैं जो अंटार्कटिका मिशन पर भारत की तरफ से रहे, डॉ0 विनोद नौटियाल, योग विभाग एचएनबी केन्द्रीय विश्वविद्यालय , डॉ0 हेमलता यादव बी एम कॉलेज इंदौर HOD एजुकेशन डिपार्टमेंट सहित कई गणमान्य  व्यक्तियों की गरिमामय उपस्थिति रही।

सर्वप्रथम  श्रीमती भुवनेश्वरी चंदानी के द्वारा सरस्वती वंदना के साथ कार्यक्रम का परिचय कराया गया और कार्यक्रम की रूप रेखा प्रस्तुत की गई।
तत्पश्चात आमंत्रित किया गया प्राचार्य डायट रतूडा जिन्होंने सभी अतिथियों का स्वागत और अभिनंदन किया।
श्री 0 एस0 एस0 असवाल  डायट प्राचार्य रतूड़ा रुद्रप्रयाग 




  कार्यक्रम की रूपरेखा-




श्रीमती सीमा जौनसारी  निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण उत्तराखंड देहरादून के द्वारा सभी को संबोधित करते हुए अपने विचार रखे गए और सभी को उत्तराखंड सरकार के प्रयासों से परिचित कराया।
जौनसारी मैम ने बताया कि समाज में बालक और बालिकाओं के बीच बहुत ज्यादा भेदभाव है।इसके लिए एक अवेयरनेस कैंपेन चलाने की आवश्यकता है।

 जैसा कि साक्षरता के बारे में सभी जानते हैं कि उत्तराखंड देश में तीसरे स्थान पर है जो कि राज्य के लिए बहुत ही गौरव का विषय है।
 इसके अलावा बालिका और बालकों  के बीच होने वाले लिंग भेद दूर करने  के लिए उत्तराखंड राज्य में कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय  वह बहुत ही कारगर भूमिका  निभा रहे हैं ।
 यहां पर जो हॉस्टल हैं उनकी स्थिति बहुत अच्छी है इनमें  से अधिकतम हॉस्टलों में 100 % बालिकाओं के प्रवेश  हैं ।
 12 वीं तक बालिका शिक्षा को लेकर कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में बहुत ही बेहतरीन कार्य हो रहा है ।यहां से बालिकाएं विभिन्न प्रतियोगिताओं में  प्रतिभाग करती हैं और स्थान प्राप्त भी करती हैं जो कि पूरे राज्य भर के लिए गौरव का विषय है।  इस तरह से उन्होंने
समानता और समता को लेकर अपने विचार प्रकट किए।

इसके पश्चात्  प्रोफेसर अमरेंद्र प्रसाद बेहरा जी, संयुक्त निदेशक राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद नई दिल्ली द्वारा नई शिक्षा नीति 2020 के 27 चैप्टर में से अध्याय 6 की  विस्तृत चर्चा की।
           प्रो0 अमरेंद्र प्रसाद बेहरा संयुक्त निदेशक
                           NCERT Delhi

समता और समानता पर दिव्यांग बच्चों,लिंग असमानता ,संस्कृति से जुड़े परिचय और भौगोलिक परिचय को लेकर उन्होंने विस्तार से अपने विचार रखे ।
इसके अलावा  सोशियो इकोनामिक कंडीशन के तहत जो बच्चे आते हैं और जिन बच्चों को चुराकर ले जा लिया जाता है, जो भीख मांगने वाले बच्चे हैं ,अनाथ बच्चे हैं इन सभी के बारे में शिक्षा नीति किस तरह से संवेदनशील है और उनको मुख्यधारा में लाने का प्रयास है इस पर उन्होंने बात रखी।
 
SEDGs की समस्याओं को समझा जा सके और और हायर एजुकेशन तक उनका ध्यान दिया जा सके। इसके लिए जो स्पेशल एजुकेशन जोन है वहां के बच्चों के लिए उनके समय के अनुसार शिक्षा की व्यवस्था  की जाए और  इसके अलावा बच्चों के लिए स्कॉलरशिप की बात शिक्षा नीति में की गई है।

 उनके लिए काउंसलिंग की विशेष व्यवस्था की गई है और उत्तराखंड में कस्तूरबा गांधी विद्यालय जिसमें 
उत्तराखंड में एक बेहतरीन कार्य किया जा रहा है,उस पर उन्होंने सभी को बधाई दी ।

उन्होंने कहा कि इसी प्रकार से कस्तूरबा गांधी और नवोदय विद्यालयों का विस्तार किया जाएगा ।मुख्य रूप से यह स्पेशल एजुकेशन जोन में होंगे जहां पर बच्चों को इतनी अच्छी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पाती हैं इसके अलावा आदिवासी क्षेत्रों में भी बच्चों का ध्यान रखा जाएगा।
बच्चों का शिक्षण अधिगम स्तर एक जैसा हो उनकी विभिन्नता इसमें आगे ना आए इसके लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे ।
समानता का अधिकार की बात उन्होंने कही और साथ ही  बालिकाओं की शिक्षा के लिए एक विशेष व्यवस्था की बात की।
  
दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष टेक्नॉलोजी और डिवाइस उपलब्ध हों।उनके लिए ऑडियो विजुअल ऐड्स  विद्यालय में उपलब्ध  हों।
 प्रत्येक वर्ष 50 घंटे शिक्षकों को अनिवार्य रूप से
 प्रशिक्षण दिया जाएगा। 
चैप्टर 23 और 24 की बात उन्होंने की जिसमें तकनीकी शिक्षा का समावेश ऑनलाइन डिजिटल  माध्यम का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर हो ।

पहाड़ों में जिस प्रकार से कनेक्टिविटी की दिक्कत होती है उसकी उसके लिए रेडियो और टीवी एक बेहतरीन विकल्प है  जिसकी पहुंच लगभग सभी 
तक है।

इसमें उन्होंने कहा कि नेशनल टेक्नोलॉजी एजुकेशन फोरम की बात नई शिक्षा नीति में की गई है जो राज्य सरकार को गाइड करेगी कि  किस प्रकार से टेक्नोलॉजी प्रत्येक बच्चे को मदद कर सके ।

डिजिटल लिटरेसी के इस्तेमाल के बारे मेे बातचीत की जिससे बच्चा सेल्फ लअर्नर बन सके और प्रॉब्लम सॉल्वर बन सके व 21वीं सदी की कौशलों को प्राप्त कर सके। 
सभी मिलकर समेकित शिक्षा की ओर चलें । प्रधानमंत्री जी  स्किल , स्केल ,स्पीड की बात करते हैं  जिसमें कौशल विकास और वह भी बड़े पैमाने पर और रफ्तार के साथ किया जाए इस पर उन्होंने बात रखी। 

 निष्ठा कार्यक्रम में जिस प्रकार से उत्तराखंड में बढ़-चढ़कर भाग लिया गया है उसके लिए बधाई दी साथ ही आगे भी इस प्रकार के कार्यक्रमों को प्रचारित और प्रसारित करने के लिए सभी को प्रोत्साहित किया।

इस प्रकार से नई शिक्षा नीति के कई पहलुओं को उन्होंने विस्तार से बताया और और सभी को इसे समझने में मदद मिली।


      डॉ0 गुरु प्रसाद सती तकनीकी सहायक डायट रतूड़ा 


इसके पश्चात् रतूडा से डॉ0 गुरुप्रसाद सती जी द्वारा शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला गया और साथ ही समावेशी शिक्षा को किस प्रकार से राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने अध्याय 6 के तहत महत्व दिया है इस पर बातचीत की। समतामूलक और समावेशी शिक्षा के 20 बिंदुओं को सती जी द्वारा विस्तार से समझाया गया। 
नई शिक्षा नीति 2020👈 विस्तार सेे जानें।


कार्यक्रम में आगे मुख्य वक्ता डॉ0 भारती   Associate professor DEGSN, CIET-NCERT ने 
डॉ0 भारती   Associate professor DEGSN, CIET-NCERT

समता मूलक और समावेशी शिक्षा को विस्तार से समझाते हुए बताया कि इसका सर्वप्रथम उदाहरण भारतीय इतिहास में यदि देखा जाए तो पंचतंत्र की कहानियां हैं।

 उनसे इस समतामूलक और समावेशी शिक्षा की अवधारणा स्पष्ट होती प्रतीत होती है,जहां पर  राजा के बच्चों को मंदबुद्धि होने के कारण होने के कारण ज्ञान नहीं दे पा रहे थे तो उनके लिए राजा ने एक ज्ञानी पंडित रखा जिसने पंचतंत्र की कहानियां गड़ी । जिसमें उनकी रुचिओं का ध्यान रखा गया और उनकी रुचि को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम निर्मित किया गया।


 उसके बाद उन्होंने बहुत ही अच्छे से समावेशन और समानता और समता  में  अंतर को स्पष्ट किया।समानता का मतलब सब को एक नजर से देखना जबकि  समता का मतलब है पहले बच्चे की जरूरत को समझते हुए समभाव के साथ देखना।

 इसमें उन्होंने उदाहरण देते हुए बहुत अच्छे से बताया कि जैसे सरकारी विद्यालय में यूनिफार्म, टेक्सबुक और एडमिशन देते हुए सभी को समानता के भाव से देखा जाता है किंतु यदि हम बात करें विशेष आवश्यकताओं आवश्यकता वाले बच्चे की उनके लिए उसका क्या महत्व है, यह ध्यान रखना जरूरी है। 
वहां पर उनके लिए ऑडियोबुक या फिर ब्रेल लिपि में से संबंधित कुछ पुस्तकें होनी चाहिए।

   उन्होंने बताया कि जो है उसका समावेशी होना बहुत जरूरी है इसका मतलब  विद्यार्थी स्कूल में आए तो उसको वहां पर अपनापन महसूस हो।

उसको लगे मेरी परंपरा से जुड़ा है , मेरे घर जैसा है और यह विद्यालय मेरे लिए ही बना है उसका इंफ्रास्ट्रक्चर उनके अनुरूप हो।

समावेशी शिक्षा समय की सीमा से परे है। जिस पर निरंतर काम करते रहना है। सभी को सामान्य शालाओं  में लाना सिर्फ हमारा मकसद नहीं होना चाहिए ।
हम बच्चे को स्कूल तक ले आए उसके बाद  वहां से हमारा काम शुरू होता है कि उनके लिए शिक्षण अधिगम की व्यवस्था में उनका प्रतिभाग सुनिश्चित हो।

समावेशन तब होता है जब हम प्रत्येक की जरूरत के अनुसार अपने इंफ्रास्ट्रक्चर में परिवर्तन करें, अपनी व्यवस्था में बदलाव करें।
जैसे दिव्यांग बच्चों के लिए क्या हमारे पास शौचालय हैं यदि उनको कोई दिक्कत होती है तो क्या वहां पर अलार्म की व्यवस्था है ? लाइब्रेरी में ऑडियो बुक्स और साइन लैंग्वेज या फिर ब्रेल लिपि की व्यवस्था हो तो तभी हम समावेशी शिक्षा की बात कर सकते हैं।
दिव्यांगजन अधिनियम अधिकार 2016 के बारे में उन्होंने विस्तार से बताया और इसमें स्वीकृत 21 अक्षमताओं के बारे में बात की। 
 ऑटिज्म (स्वलीनता) जो सामान्य शालाओं में पढ़ने वाले बच्चों में पाई जाती है किंतु हम उसको पहचान नहीं पाते क्योंकि उसको हम प्रत्यक्ष रुप से देख नहीं सकते।
 विशेषकर यह देखा गया है कि जिन बच्चों को सुनने में दिक्कत होती है वह उनको चलने में भी दिक्कत होती है तो कई ऐसे ही ऐसी अक्षमताएं हैं जिनको हम आसानी से पहचान सकते हैं।

स्वलीनता को इस तरह से नहीं पहचाना जा सकता।ऐसे बच्चे अपने आप में ही लीन होते हैं उनको उनके नाम लेकर बुलाने की जरूरत होती है ।

उसके अलावा उन्होंने एक और पहचान बताई कि ऐसे बच्चे आपकी बात सुनते हुए भी कही और देख रहे होंगे  ऐसे 
हम उनको पहचान सकते हैं।
 इसके अलावा उन्होंने डिस्लेक्सिया, डिस्केलकुलिया के बारे में बात की।
समवेशी शिक्षा के लिए बच्चों का अपने विद्यालय में स्वागत करना होगा। विशेष शिक्षक के बारे में उन्होंने बताया कि प्रत्येक विद्यालय में नहीं हो सकते किन्तु वे शिक्षकों के हाथ जरूर मजबूत कर सकते हैं।
उनको इन सबकी जानकारी और प्रशिक्षण दिया जा सकता है ताकि एक सामान्य शिक्षक अक्षमताओं वाले  बच्चों को साथ लेकर चले और उनकी अक्षमताओं को अच्छे से समझ पाए और उनके लिए उचित व्यवस्था कर पाए।

शिक्षण प्रशिक्षण कार्यक्रम को समावेशी शिक्षा की व्यवस्था में शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है। 
नई शिक्षा नीति 2020 के हर अध्याय में समावेशी शिक्षा की बात की गई है। आंगनबाड़ी से हायर एजुकेशन समानता की बात की गई है।

 जहां तक हम कस्तूरबा गांधी विद्यालयों की बात करते हैं वहां पर इंफ्रास्ट्रक्चर और व्यवस्था में बदलाव किए जाने जरूरी हैं जो समावेशी शिक्षा की तरफ अपना ध्यान दे सकें ।
 यह मैंटीनेंस के दौरान भी यह ध्यान दिया जा सकता है । एक विशेष बात उन्होंने लिंग आधारित पहचान के बारे में कही लिंग असमानता को हम सिर्फ लड़कियों को लेकर सोचते हैं लड़कों के लिए भी उतना ही यह जरूरी है कि हम उनको लेकर भी लिंग असमानता को समझें।

इसके बाद मुख्य वक्ता डॉ0 नीमिरत कौर Associate professor अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी बेंगलूरु द्वारा समतामूलक और समावेशी शिक्षा को शिक्षा का आधार बताया इसी कारण से इसका उल्लेख हर अध्याय मे किया गया है।
डॉ0 नीमिरत कौर एसोसिएट प्रोफेसर APF यूनिवर्सिटी

इसके बाद एक के बाद बिन्दु को डॉ0 कौर जी द्वारा स्पष्ट किया गया।
1.  नीति के आधार सिद्धांतों को समझाया गया कि इसका उददेश्य ऐसे इंसानों का विकास है जो संविधान द्वारा परिकल्पित समाज के निर्माण में सहयोग करें।


2. डॉ0 कौर द्वारा स्पष्ट किया गया कि सामाजिक आर्थिक रूप से वंचित वर्ग को 5 प्रकार वर्गीकृत किया गया है-
 1.लिंग पहचान 
2.सामाजिक सांस्कृतिक पहचान
 3.भौगोलिक पहचान 
4.विशेष आवश्यकता वाले बच्चे
 5.सामाजिक आर्थिक स्थिति


3. सभी के लिए समावेशी शिक्षा पर बात करते हुए उन्होने बताया कि 2030 तक यह लक्ष्य रखा गया है कि चार करोड़ नये विद्यार्थी शैक्षणिक संस्थानों में नामांकित हों।
 SEDG का नामांकन 50% तक पहुँच सके जिसके अंतर्गत उच्च गुणवत्ता वाली ईसीसीई  की सार्वभौमिक पहुंच, बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान, ड्रॉपआउट कम और हर स्तर पर सार्वभौमिक  पहुंच की बात की गई।



देशभर में  सफल नीतियों और योजनाओं को मजबूत किया जाए इस पर उन्होंने अपने विचार रखते हुए बताया कि से सहपाठी शिक्षक, ओपन विद्यालय शिक्षा तथा उचित बुनियादी ढांचा उपयुक्त अपने विद्यालय में काउंसलर और सामाजिक कार्यकर्ताओं का सहयोग लिया जायेगा।
परिवहन के लिए साइकिल और साइकिल पैदल समूह का गठन इसके साथ ही लक्षित छात्रवृत्ति और नगद हस्तांतरण की व्यवस्था की बात शिक्षा नीति के तहत की गई है।

 SEDGs की बड़ी आबादी वाले क्षेत्रों को विशेष शिक्षा क्षेत्र घोषित किया जाएगा। जिसमें उनके बचपन से ही मूलभूत साक्षरता संख्या,पहुंच, नामांकन और उपस्थिति के बारे में महत्वपूर्ण सिफारिशें और ठोस तरीके से उन्हें लक्षित किया जाएगा।
 इनकी उपस्थिति और सीखने के परिणामों को बढ़ाने  के लिए काउंसलर की व्यवस्था होगी और इन क्षेत्रों में प्रतिभाशाली और मेधावी छात्र छात्राओं के लिए विशेष छात्रावास, ब्रिज पाठ्यक्रम, फीस माफ छात्रवृत्ति से वित्तीय सहायता की व्यवस्था की जाएगी ।
अतिरिक्त स्कूलों में ऐसे जिलों में जवाहर नवोदय विद्यालय और केंद्रीय विद्यालय खोले जाएंगे ।
इनकी सीखने के परिणामों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा और पहुंच से संबंधित सामान समस्याओं के लिए वोकेशनल एजुकेशन की व्यवस्था रहेगी डॉ0 कौर ने इस तरफ भी प्रकाश डाला।


समतामूलक और समावेशी शिक्षा में लिंग को लेकर विशेष रूप से बात की गई है लड़कियों और ट्रांसजेंडर छात्रों की पहुंच विद्यालय तक हो।
 जेंडर गैप को कम किया जाए सभी को समान अवसर दिए जाएं लड़कियों को स्कूल में रखने पर खास ध्यान दिया जाए जिसके लिए उनकी सुरक्षा और अधिकारों को सुनिश्चित किया जाए।
 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों को मजबूत किया जाएगा और इन्हें बारहवीं तक बढ़ाया जाएगा जैसा कि सीमा जौनसारी मैम ने कहा कि उत्तराखंड में पहले यह 12वीं तक चल रही है।
 लिंग संवेदनशीलता पर बात की जाएगी और उसको पाठ्यक्रम का अभिन्न अंग बनाया जाएगा केंद्र में नीतियों और योजनाओं को विशेष रूप से केंद्रित करने पर रहेगा।


 डॉ0 निमिरत कौर ने समावेशी शिक्षा के लिए विशेष रुप से ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर दिया कि  बच्चे नेशनल करिकुलम फ्रेम फ़ोर सैकेण्डरी एजुकेशन  से जुड़ाव महसूस करें।
  बोर्ड परीक्षा,NTA टेस्ट में बैठने और उच्च शिक्षा से जुड़ने के लिए सभी को प्रोत्साहित किया जाना बहुत आवश्यक है जिसकी NEP 2020 में बात की गई है।
 इसके अलावा वैकल्पिक विद्यालयों की व्यवस्था की जानी चाहिए जिससे इन सब विविधताओं  के साथ ही सभी बच्चे मुख्यधारा से जुड़ पाए
 मुख्यधारा से जुड़ने के लिए उनके लिए वित्तीय व्यवस्था, शिक्षक और आधारभूत सुविधाओं की बात कही गई है और इसके अलावा किसी भी प्रकार की सुविधा के लिए स्कॉलरशिप और अन्य अवसरों के लिए सिंगल विंडो सिस्टम तैयार किया जाएगा।

जैसा कि पहले भी बताया गया था कि सिर्फ बच्चों को विद्यालय तक लाना शिक्षा नीति के महत्वपूर्ण उद्देश्यों की पूर्ति नहीं करता। उसके पश्चात स्कूली स्तर पर एक अनुकूल संस्कृति निर्माण बहुत आवश्यक है।

 स्कूल पाठ्यचर्या में मानवीय मूल्यों और विविधताओं का सम्मान किया जाना चाहिए और सभी के प्रति संवेदनशीलता का विकास किया जाना जरूरी है।

 मुख्य रूप से SEDGs  के लिए सामान्य बालक संवेदनशील हों।

 परस्पर सम्मान और गरिमा के साथ व्यवहार किया जाए इसके लिए प्रयास किए जाएंगे।

 शिक्षक शिक्षा में समावेशन और क्षमता मुख्य पहलू होगा पूर्वाग्रह को दूर कर किया जाना चाहिए और सभी धर्म और संस्कृतियों के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए।


 इसके अलावा डॉ0 कौर द्वारा नई शिक्षा नीति 2020 में समतामूलक तथा समावेशी शिक्षा से संबंधित सभी बिंदुओं पर विस्तृत रूप से चर्चा की गई।

इसके पश्चात् समूह द्वारा कई प्रश्न साझा किये गए जिनका डॉ 0 नीमिरत कौर द्वारा सभी के संतोषजनक जवाब दिये गये।

1. मानसिक विकलांग बच्चों के खाते आसानी से नही खुल पाते है , जिससे छात्रवृत्ति प्राप्त करने मे समस्या होती है ।कृपया समाधान बताएं। ।।
2. कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों को फेल करने की व्यवस्था क्या है इस नई शिक्षा नीति में, कृपया स्पष्ट करने की कृपा करें।
3. सरकारी स्कूलों की सबसे बड़ी समस्या है कि बच्चे स्कूल नहीं आते है उनको स्कूल लाने के लिए Education Policy 2020 में क्या व्यवस्था है?
4. Early Childhood care and educationका कैरिकुलम किस प्रकार का होगा और इसका आधार क्या होगा??
5. मानसिक विकलांग बच्चों के खाते आसानी से नही खुल पाते है , जिससे छात्रवृत्ति प्राप्त करने मे समस्या होती है ।कृपया समाधान बताएं। ।।
6. disabled छात्रों का मूल्यांकन किस प्रकार से हो?
7. क्या पूरे देश में एक राष्ट्र एक शिक्षा नीति हो पाएगी?
8. शिक्षण प्रक्रिया में समावेशन की अधिक से अधिक स्थान देने के लिए रिसोर्स शिक्षक, काउंसलर,मनोवैज्ञानिक और अन्य विशेषज्ञों का अपना महत्व है।पिछले अनुभव बताते हैं कि बच्चों को इनका अधिक लाभ नहीं मिल पाया शायद इसका कारण आर्थिक तंगी भी हो सकती है। कुछ वैकल्पिक सुझाव जो कि अधिक से अधिक बच्चो को  लाभान्वित कर सकते है देने का कष्ट करें।



पूरे कार्यक्रम के दौरान ए0पी0एफ0 से श्री  दीपक रावत जी का महत्वपूर्ण तकनीकी सहयोग रहा।


इस तरह से डायट रतूडा में आयोजित इस वेबिनार से सभी लाभान्वित हुए और समतामूलक और समावेशी शिक्षा को समझने में मदद मिली।इसके लिए हम सभी गणमान्य अतिथिगणों,वक्ताओं एवं सम्मानित शिक्षक समाज का धन्यवाद ज्ञापित करते हैं।
            समन्वयक वेबिनार डायट रतूड़ा रुद्रप्रयाग 

                                धन्यवाद!












Thursday, September 3, 2020

एक दिन पर्यावरण प्रेमी सतेंद्र भंडारी जी के साथ

2 सितम्बर 2020 

आज का दिन मेरे लिए बहुत खास था क्योंकि मुझे एक मौका मिला था पर्यावरण प्रेमी श्री  सतेंद्र भंडारी जी के साथ जिले के विद्यालयों में पौधे बाँटने जाने का जो कि जिलाधिकारी महोदया  और ADM जी के आदेश से प्राप्त हुए थे।

मैने लगभग 5:30 बजे सुबह फोन किया तो वे घर से निकल चुके थे।ये पूछने पर नाश्ता किया या नहीं तो बोले देर हो जायेगी मैं तो ऐसे ही चल पड़ा।

फ़िर मैने फटाफट चलने की तैयारी शुरु की और टिफिन पैक कर लिया। सात बजे करीब गाडी पर ADM महोदया ने स्वास्तिक बनाकर गाड़ी रवाना की जिसके फोटो हमने समूह में देखी।

उसके बाद मुझे भंडारी जी ने बताया कि वे पौधे देने क्वीलखाल की तरफ गये हैं।लगभग 9 बजे गाडियाँ बैनोली पहुँची कुल तीन जिनमें से 2 में पौधे भरे थे और एक में ट्री गॉर्ड थे।

एक गाडी में भंडारी जी मैं और प्रवीण जी चल पड़े। कितने उत्साह से भरा माहौल था प्रवीण जी बहुत अच्छे गायक  हैं तो रास्ता गीत संगीत के बीच कटने वाला था।

सबसे पहले मयाली में सकलानी जी ने पौधे लिए और हम गोर्ती की तरफ चल पड़े।वहां विपिन राणा जी पौधे लेने के आए।
 पौधे देने के बाद गाडी स्टार्ट की तो गाडी ने तो मना कर दिया जैसे पर जोश से भरे इस दल को कौन रोक सकता था। गाड़ी को धक्के देते हुई आगे ले जाया जा रहा था।भंडारी जी प्रवीण जी और दूसरी गाडी में बैठे दो साथी भी गाडी को धक्का देते हुए आगे तक ले गये।
थोड़ी दूर जाकर प्रवीण जी ने गाड़ी का बोनट खोलकर क्या किया पता नहीं पर गाडी  तैयार थी मिशन पर चलने के लिए।

गुल से लिपटी हुई तितली को गिरा कर देखो
आँधियों तुमने दरख़्तों को गिराया होगा

- कैफ़ भोपाली

अब हम रामाश्रम पहुँचे वहाँ पौधे दिये। मैने भंडारी जी को टिफिन लेने को बोला पर वे जिस मिशन को पूरा करने पर चले थे खाने की तो शायद उनको जैसे याद ही न थी बोले आगे चलते हैं फ़िर देख लेंगे।

उसके बाद सिलगढ़ को पार करते हुए हम प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर पहाड़ियों के बीच बाँगर पट्टी की तरफ चल पड़े।पौंठी पहुँचे वहां पर पौधे और ट्री गार्ड उतारे गए ।हम आगे बढ़े तो पता लगा रोड खराब है ट्रक आगे नहीं जा सकता फ़िर ट्री गॉर्ड उतारकर गाड़ियों में रखे गये हमें अभी दो और विद्यालयों में पहुँचना था।
दोनों गाड़ियाँ आगे बढ़ चली प्रकृति के सौन्दर्य को निहारते हुए हम कैलाश बाँगर पहुँचे। सुन्दर सा विद्यालय और सामने सचिन की कैन्टीन जहाँ खाने के साथ- साथ रिंगाल से सुन्दर कंडे भी बन रही थी।

सुबह से बिना कुछ खाये पिए चले भंडारी जी का अब थोड़ा सा समय मिला तो दिन के 1 बज चुके थे।अब दो चार रोटियों का नाश्ता और दिन का भोजन एक साथ हुआ।वो भी 10-15 मिनट में ही निपट गया देर जो हो रही थी।

किसी के भी चेहरे पर थकान का नाम न था।हँसते-हँसते फ़िर आगे रणधार की तरफ चल पड़े।वहाँ पौधे देने के बाद अब गुप्तकाशी वाले रास्ते पर चलना था जहाँ भदौरिया जी पौधे लेने सड़क तक पहुँचे और बाकी साथी प्रवीण जी वहाँ पर मैगी देख भूख से वही खाने लगे खाने की व्यवस्था क्या होती सबने ऐसे ही आनन्द ले लिया।रा0इ0का0 पाँजणा में एक पौधा स्वयं भंडारी जी द्वारा लगाया गया। हर विद्यालय पौधा देते हुए वे ये बताना कभी नहीं भूलते कि ये नवजात शिशु की तरह हैं इनका पूरा ध्यान रखना।

 लगभग 4 बज चुके थे और अभी लिस्ट बहुत लम्बी थी।तेजी से दौड़ती तीनों गाड़ियाँ तैला की तरफ चल पड़ी वहीं पर 7 पौधे और 2 ट्री गॉर्ड उतारे।शाम होने लगी थी और बादल भी घुमड़ घुमड़ करने लगे थे अभी सिद्धसौड़ पौधे पहुंचाने थे जहाँ शिशुपाल रावत जी इन्तजार कर रहे थे वहां भंडारी जी द्वारा पौधे पहुँचाए गये।
अब निकल पड़े अगस्त्यमुनि की तरफ और इतनी बार गाड़ी से चढ़ना उतरना पर पर्यावरण के प्रति ऐसा प्रेम भंडारी जी के मुख पर था कि जैसे थकान तो कुछ होती ही न हो।हम बातों-बातों में अगस्त्यमुनि पहुँच चुके थे।प्रवीण जी के गीत और भंडारी जी के अनुभव,किस्सों से रास्ता बहुत रोचक अनुभवों के साथ, रास्ते में एक-एक पल को हम जी रहे थे।अगस्त्यमुनि से कुछ पहले विचार किया गया लिस्ट बहुत लम्बी थी जहाँ  पौधों को पहुँचाना था पर अब रात होने में एक घण्टे से ज्यादा का समय शेष नहीं था।

अब अगले दिन पर सहमति बनी।अगस्त्यमुनि में रोड का काम चल रहा था तो कुछ देर ऐसे ही जाम में रुके रहे पर कोई भी परेशान नहीं था बस पूरे दिन के अनुभवों पर बातचीत हो रही थी।
इस तरह से रात होने तक मैं अपने घर पहुँच चुकी थी पर भंडारी जी को अभी लम्बा सफ़र तय करना था ।लगभग 10 बजे तक ही भंडारी जी अपने घर पहुँच पाए।
उनका समर्पण और पर्यावरण प्रेम हमेशा से ही मुझे प्रेरित करता रहा था।उनके विद्यालय कोट तल्ला में किया हुआ काम आदर्श के रूप में हमारे सामने कुछ करने की सदैव प्रेरणा देता है जो हमारे जनपद के लिए गौरव की बात है।
मैं सौभाग्यशाली हूँ जो मुझे भंडारी जी जैसे प्रेरक व्यक्तित्व के सानिध्य में एक दिन सीखने का मौका मिला।उनका सरल स्वभाव और काम की लगन अद्भुत ही है जो हमेशा प्रेरणा देता रहता है।

कुछ वर्षों बाद ये पौधे विद्यालयों में बच्चों को फल-फूलों के साथ जीवन की प्रेरणा दे रहे होंगे।

किसी दरख़्त से सीखो सलीक़ा जीने का
जो धूप छांव से रिश्ता बनाए रहता है

- अतुल अजनबी



                                  अमृता नौटियाल 
                                  स0 अ0 विज्ञान 
                                रा0 इ0 का0 तैला सिलगढ़ 
                               जखोली रुद्रप्रयाग 
                            

Wednesday, August 12, 2020

ICT ONLINE WORKSHOP तीन दिवसीय कार्यशाला (11 अगस्त से 13 अगस्त तक)


समाज और शिक्षा दोनों ही परस्पर प्रभावित होते हैं।आज के इस दौर में जब समाज कोरोना महामारी से प्रभावित है।वहीं शिक्षा के नये विकल्पों को लेकर पूरा समाज चिंतित है। शिक्षकों की इस खोज में एक दिशा देने का सराहनीय प्रयास किया है संयुक्त रूप से जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान रुद्रप्रयाग,मिशन शिक्षण संवाद की टीम और अजीम प्रेमजी फाऊंडेशन रुद्रप्रयाग ने।
      ऑनलाइन शिक्षा जहाँ विकल्प के रूप में सामने आई है वहीं शिक्षकों के लिए एक उम्मीद और चुनौती दोनों ही है।तीन दिवसीय कार्यशाला जो आयोजित की गयी इन सभी में शिक्षकों को पारंगत बनाने की सफ़ल कोशिश नज़र आ रही हैं।

*"ICT Online Workshop Three Day's Webinar Report At 11-08-2020*

 जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान रतूड़ा(रूद्रप्रयाग),अजीम प्रेमजी फाउण्डेशन रूद्रप्रयाग तथा मिशन शिक्षण संवाद के संयुक्त प्रयासों से आयोजित आईसीटी ऑनलाइन कार्यशाला (वेबीनार )के प्रथम दिवस पर डायट रतूड़ा के प्राचार्य  प्रतिनिधि के रूप में डायट रतूड़ा के प्रवक्ता डॉ.विनोद यादव जी द्वारा कार्यशाला का शुभारंभ किया  गया. कार्यशाला में सर्वप्रथम संचालक श्री हेमंत चौकियाल जी द्वारा मुख्य सन्दर्भ दाता क्रमश: श्रीमती श्वेता डाबर मैम, श्री अफसर अली सर, श्रीमती लक्ष्मी काला मैम, श्रीमती किरण भाकुनी मैम का परिचय कराते हुए हार्दिक स्वागत और अभिनंदन किया गया| मिशन शिक्षण संवाद की टीम के प्रबल स्तंभ श्री संतोष जोशी जी,श्री  माधव सिंह नेगी जी,श्री कमल बिष्ट जी श्रीमती कुसुम भट्ट जी,श्री गोपाल सिंह नेगी जी का परिचय करवाते हुए उनका हार्दिक अभिनंदन किया गया | साथ ही अजीम प्रेमजी फाउंडेशन रूद्रप्रयाग के आदरणीय शफीक सर और सुकान्त शरण सर का परिचय देते हुए संचालक महोदय द्वारा अवगत कराया गया कि अजीम प्रेमजी फाउण्डेशन के साथियों द्वारा ही हमें यह वेबीनॉर का प्लेटफार्म माइक्रोसॉफ़्ट टीम ऐप के रूप में उपलब्ध कराया गया है | उन का हार्दिक  स्वागत करते हुए आभार व्यक्त किया गया |
अपने संबोधन में डॉ0 यादव सर द्वारा  सभी उपस्थित सदस्यों के स्वागत /अभिनंदन के साथ कार्यशाला के उद्देश्यों के साथ  कार्यशाला के प्रोटोकॉल को सभी के सामने रखा गया|
*प्रथम दिवस के प्रथम सत्र का प्रारंभ करते हुए श्रीमती किरण भाकुनी मैम द्वारा pixellabके अंतर्गत - सारे tools के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। new text में text के लिए typing, copy paste और गूगल से सेलेक्ट कर सकते हैं। उनके के द्वारा पैरा को copy paste करके और टाइपिंग करके बताया गया और color transparent,brightness....... भी बताया गया किस प्रकार हम विषय वस्तु को रुचिकर आकर्षक एवं कलरफुल बनाकर विद्यालय के  पठन- पाठन वातावरण को सुंदर और आकर्षक बना सकते हैं।स्मार्ट लुक के लिए 3D टैक्स के बारे में एवं उनके सारे टूल्स के बारे में भी बताया गया।*
A पर text करके अपनी कहानी,कविता या अपने विचारों को टाइपिंग, कॉपी पेस्ट करके व्यक्त कर सकते हैं एवं सुंदर कलर्सफुल इमोजी एवं स्टीकर्स द्वारा सुंदर व आकर्षक एवं रुचि पूर्ण बना सकते हैं तथा विद्यालय में अपने छात्र-छात्राओं को  कोरोना कॉल में w/a के माध्यम से प्रस्तुत कर सकते हैं |

श्रीमती भाकुनी मैम द्वारा text को विभिन्न कलर कैसे दें के बारे में बताया गया। उनके द्वारा हिंदी एवं इंग्लिश फॉन्ट में कॉपी पेस्ट एवं टाइपिंग करके उसमें कलर्स एवं इमोजी, स्टिकर का प्रयोग किस प्रकार करें?यह भी बताया गया कलर कम ज्यादा,इमेज इन फ्रंट एंड बैक फ्रंट के बारे में, edit,remove, copy paste,disable.imag size, आदि टूल्स का उपयोग करना बताया /सिखाया गया|
मैम द्वारा बताया गया कि यह सब कार्य जब कलर फुल हो जाता है तो इससे बच्चों में पढ़ने /जानने /सीखने की रुचि जागृत हो जाती है. मैम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आपके द्वारा pixcellab के सारे tools के
बारे में विस्तृत जानकारी दी गई हालांकि पहली बार सारे फंक्शन के बारे में जानना थोड़ा कठिन तो अवश्य लग रहा है लेकिन प्रयास करने से सब मुमकिन है। *तत्पश्चात आदरणीय अफसर अली  सर जी द्वारा MS word के सारे टूल्स के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। जैसे login,blank documents में new documents तैयार करना, working area. Share, save, save as, print, back space, enter new documents open gIT,undo a one tap में टाइपिंग के लिए तैयार, double tap में word select and triple tap में paragraph select किया जाता है। उनके द्वारा A text, colors, paragraph change, back space,comment, footer,header,blank table के बारे में page number, equation तथा बुलेट के बारे में foot note,draw.margine, word count के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई।* सर आपका भी बहुत-बहुत धन्यवाद आपके द्वारा MS word के बारे में हमें इतनी विस्तृत जानकारियां दी गई |
बीच-बीच में होने वाली वार्ता से लग रहा था कि कहीं कहीं आज नेटवर्क बहुत कमजोर है, लेकिन मैं इस रूप में अपने आपको भाग्यशाली मान रही हूँ कि मेरे क्षेत्र में आज नेटवर्क प्रबलता बहुत अच्छी रही जिससे मुझे देखने /सुनने /समझने में कोई जाता दिक्कत महसूस नहीं हुई| 
 
निजी तौर पर मेरा मानना है कि  इस प्रकार की नवीन तकनीकियों का ज्ञान पाकर हम अपने अध्यापन कार्य को नई तकनीकि से आसान रुचिपूर्ण और असरदार बना सकेंगे | जिससे हमारे विद्यालयों में छात्रों के नामांकन में वृद्धि  भी संभव होगी एवं विद्यालय का वातावरण सुंदर, आकर्षक एवं रुचिपूर्ण बनेगा। हालांकि ग्रामीण स्तर पर नई तकनीकी का प्रयोग करना कठिन
अवश्य है लेकिन नामुमकिन नहीं.  अभ्यास एवं निरंतर प्रयास से संभव हो सकता है|

अंत में कार्यक्रम संचालक श्री हेमंत चौकियाल जी, डॉ0 विनोद यादव जी डाइट रतूडा ,सहित मिशन शिक्षण संवाद टीम के सभी सम्मानित साथियों, सभी सम्मानित सन्दर्भदाताओं,एवं सभी शिक्षक भाई बहनों का हार्दिक आभार व धन्यवाद ज्ञापित करती हूँ |

                        प्रस्तुतकर्ता 
                  श्रीमती मंजू भारती
                            प्र0अ0
                   रा० प्रा० वि० ल्वारा
                              ऊखीमठ
                              रूद्रप्रयाग



दिनांक 13 अगस्त 2020 कार्यशाला का द्वितीय दिन कुछ इस प्रकार से रहा-

लगभग 2:30 pm पर कार्यशाला प्रारम्भ हुई।उससे पहले श्री हेमंत चौकियाल जी और डायट प्रवक्ता श्री विनोद कुमार यादव जी सभी के स्वागत के लिए तैयार थे।

 पहले सत्र में श्वेता डावर मैम द्वारा pixel lab पर tools की जानकारी दी गयी।मैम ने बहुत रोचक शुरुआत की जिससे सीखने का एक बहुत अच्छा वातावरण तैयार हुआ।

Pixel lab के सभी tools जैसे text,hexagonal सभी पर काम जैसे ही शुरु हुआ तो कुछ कमाल ही सामने आया जो इस तरह से था जो बच्चों के लिए पढ़ने में आकर्षक और शिक्षकों को बनाने में रुचिकर था।ये कुछ ऐसा था-


उसके बाद हमारे अगले सन्दर्भदाता अफसर अली जी आए।बच्चों का मूल्याकंन जो हमेशा से ही एक चुनौती रहा है उसका एक उपाय worksheet लेकर जिसको बहुत सरल भाषा में कुछ ऐसा समझाया कि सभी साथियों ने तुरंत ही 
अपने-अपने विद्यालय के बच्चों के लिए workशीट तैयार कर डाली।जो कुछ ऐसी थी-

मिशन शिक्षण संवाद शिक्षा के क्षेत्र में अपना बेहतरीन काम कर रहा है जिसमें इससे जुड़े शिक्षकों का बहुत बड़ा योगदान है।गढ़वाल से मंडल संयोजक श्री माधव नेगी जी द्वारा सभी को मिशन शिक्षण संवाद से जुड़ने के लिए प्रेरित किया गया।

उसके पश्चयात एक बार फ़िर श्वेता मैम नये जोश को लाते हुए आईं । जो भी बताया था उसका पुनः अभ्यास हुआ और फ़िर एक नई शीट बच्चों के लिए तैयार की गई ।जो इस प्रकार से थी।जिसमें कुछ नये टूल्स की जानकारी मिली।ये कुछ ऐसा था

इस नई कला को सीखने में समय कुछ इतनी तेजी से निकला कि कब 4:30 pm हो गया पता ही नहीं चला।

इस ict workshop में प्रतिभाग करने वाली पूरी टीम आप दोनो सन्दर्भदाताओं को बहुत-बहुत धन्यवाद देती है।साथ ही जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान रुद्रप्रयाग,मिशन शिक्षण संवाद और अजीम प्रेमजी फाउंडेशन रुद्रप्रयाग का हार्दिक आभार।


कार्यशाला का तृतीय दिवस 13 अगस्त 2020

श्री हेमंत कुमार चौकियाल जी द्वारा सभी का स्वागत कर सत्र का प्रारंभ किया गया। लक्ष्मी काला मैम द्वारा pixel lab पर बच्चों के लिए आकर्षक id कार्ड तैयार करना सिखाया गया जो कि आज को जरुरत भी हैं। जो ऐसे बने थे-

उसके बाद अफसर अली सर ने बेहद उपयोगी जानकारी साझा की जिसमें एप्लिकेशन का फ़ॉर्मेट तैयार करना सिखाया।किस प्रकार से कॉलम बनाये जायें ।कैसे हस्ताक्षर पेपर पर आएँ यह सब बताया गया।

एक बार फ़िर लक्ष्मी मैम का सत्र हुआ जिसमें मैम ने  फ्लेक्सी कैसे तैयार की जाएँ यह बताया ।जो कि आज समाज में अपनी बात पहुंचाने का बहुत उपयोगी माध्यम है।विद्यलयों में बहुत ही उपयोगी भी।ये कुछ इस प्रकार से बने थे-

तीनों सत्र बहुत उपयोगी जानकारी देने वाले थे। उसके बाद किरन भाकुनी मैम के द्वारा तीनों दिन का कार्य pic के माध्यम से साझा किया गया। उसके बाद विकासखण्ड ऊखीमठ के उपशिक्षा अधिकारी सम्मानीय श्री रवि कुमार जी का संदेश सभी को नया जोश देने वाला था जिसका वाचन चौकियाल जी द्वारा किया गया।
जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान रुद्रप्रयाग के प्राचार्य जी का संदेश आशीर्वाद के रूप में सभी को मिला ।शिक्षा के लिए उनका समर्पण और शिक्षकों के लिए नया उत्साह जिसमें था।
उसके बाद श्रीमती कुसुम भट्ट जी ने सभी को अपने विचारों से लाभान्वित किया और नवीन ऊर्जा सभी में भरने का काम किया।
श्री सन्तोष जोशी जी ने सभी को सम्बोधित किया।मिशन शिक्षण संवाद के मिशन और उनके सहयोग भावना से सभी परिचित हुए।
अन्त में श्री यादव जी ने कार्यक्रम का समापन करते हुए सभी को कार्यक्रम की सफलता के लिए बधाई दी और श्री हेमंत कुमार चौकियाल जी द्वारा सभी का आभार व्यक्त किया गया।

ये कार्यक्रम निश्चित रूप से बहुत ही सफ़ल रहा।जिस प्रकार से online शिक्षा एक विकल्प और पूरक दोनो रूपो में हमारे सामने है उसका हम सभी अधिक से अधिक लाभ ले पाएँ इस उद्देश्य में यह कार्यशाला सफ़ल रही।एक बार फ़िर से जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान रुद्रप्रयाग,मिशन शिक्षण संवाद उत्तराखंड,अजीम प्रेमजी फाऊंडेशन रुद्रप्रयाग,श्री दीपक जोशी जी,श्री माधव सिंह नेगी जी और सभी सन्दर्भदाता अफसर अली सर जी,किरन भाकुनी मैम,श्वेता डावर मैम,लक्ष्मी काला मैम,कार्यक्रम के संचालक  हेमंत चौकियाल जी सभी सम्मानित साथियों का हार्दिक आभार।

Monday, July 27, 2020

गोल्डन कार्ड:राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना

 आयुष्मान भारत/अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के अंतर्गत उत्तराखंड राज्य सरकार द्वारा कर्मियों एवं पेंशनर्स से राज्य स्टेट गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम के तहत चिकित्सकीय उपचार के लिए गोल्डन कार्ड बनवाए जा रहे हैं।

 जिसके कुछ महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार से हैं-

1. कार्मिकों/ पेंशनर हेतु 'राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना'स्टेट गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम के नाम से चलाई जा रही है ।

2.इसमें पात्रता-उत्तराखंड राज्य के समस्त राजकीय सेवक पेंशनर एवं उनके परिवार के सदस्य।

3. उपचार का समस्त खर्चा सरकार द्वारा किया जाएगा अंशदान इस प्रकार से होगा-
 लेवल 1-5.                     ₹250 प्रतिमाह
 लेवल 6                          ₹450 प्रतिमाह 
लेवल 7 -11                    ₹650 प्रतिमाह
12 एवं उच्चतर                 ₹1000 प्रतिमाह

4. पति-पत्नी दोनों सेवारत होने की दशा में उच्चतर वेतनमान में जो कार्यरत हो उसके द्वारा अनुदान दिया जाएगा ।

5.राज्य स्वास्थ्य अभिकरण के खाते में प्रति माह जमा होगा जो ट्रेजरी आहरण वितरण अधिकारी के माध्यम से की जाएगी।

6. तुरंत कैशलेस उपचार उपलब्ध होगा एक लाख से अधिक पैकेज उपचार की दरों का निर्धारण राज्य सरकार प्राधिकरण के द्वारा किया जाएगा।

7.इसके अलावा अन्य राज्यों में राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभिकरण द्वारा जोड़ने की कार्यवाही और अन्य अनुमन्य दरों  के आधार पर क्लेम का भुगतान होगा।
8.यह सुविधा राज्य के सरकारी चिकित्सालयों (जिसमें समस्त सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, जिला चिकित्सालय, संयुक्त चिकित्सालय एवं बेस चिकित्सालय सम्मिलित है) एवं सूचीब़द्ध निजी चिकित्सालयों में (रैफर करने के आधार पर) प्रदान की जायेगी। 

9.इमरजेन्सी में सूचीबद्ध निजी चिकित्सालयों में बिना रैफर किये भी उपचार कराया जा सकता है। यह योजना पूर्णतः कैशलैस एवं पेपरलैस है।


 10.योजना लागू  होने के पश्चात अंशदान में कटौती की जाएगी।


विस्तार से जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें-गोल्डन कार्ड

Wednesday, July 15, 2020

आनन्दम् पाठ्यचर्या:dream a dream foundation (एक मुलाकात)

आनन्दम पाठ्यचर्या की सहयोगी संस्था ड्रीम एंड ड्रीम द्वारा ऑनलाइन मीटिंग आयोजित की गई थी।इसकी जानकारी इमरान सर  जो dream and dream foundation से हैं, के द्वारा दी गई थी।  जिसमें सुचिता भट जो      dream a dream foundation  की सीईओ है, उनसे सर्वप्रथम परिचय हुआ जो लाइफ स्किल्स पर बहुत लंबे समय से काम कर रही है और विभिन्न  देशों में काम कर रही हैं।
एक अलग अंदाज में परिचय-
उसके बाद स्वाती मैम ने अपना परिचय दिया और जो था वह बहुत ही रोचकता से शुरू होता है ।अपने नाम के आगे विशेषण लगाना था  तो उन्होंने स्माइली  स्वाती अपना परिचय दिया ।कुछ ऐसे थे आनंद भरी आनन्दी,पागल-परेशान पवन  बहुत ही रोचक ...।

एक गतिविधि-

उसके बाद  एक कागज पर अपने जीवन के चार पहलू शारीरिक,मानसिक,सन्वेगात्मक और आध्यात्मिक के चार कॉलम बनाने को कहा गया।प्रत्येक कॉलम में इस समय जो फील हो रहा था वो लिखना था,जो कुछ ऐसा था।

प्रत्येक भाव को अब 1-10 के बीच no देना था।किस भाव की मात्रा कितनी है जिससे प्रत्येक लाईन पर एक-एक डॉट बन गया।वो डॉट कनेक्ट करने को कहा गया।मेरे भावों का डॉट कुछ ऐसा था।

इसके बाद इसको एक अलग पेज पर बनाने को कहा गया जिसमें सबके बहुत सुन्दर मनो भाव स्पष्ट निकलकर आ रहे थे।किसी की बटरफ्लाई बनी थी। किसी किसी ने पत्थर बनाया था और किसी का स्टारफिश था तो हर किसी ने अलग तरीके से उसको प्रतिबिंबित किया था। अपने भावों को प्रतिबिंबित किया था अब उस कैरेक्टर को उसका नाम पूछना था ।उसमें अपने   भाव ढूंढने थे और उससे बातचीत करनी थी। मेरा केरेक्टर कुछ ऐसा बना।

जो चित्र बना था उसमें सभी साथी अपने मनोभावों को कागज पर उतरा हुआ देख पा रहे थे।

चित्र को पत्र -

अब तीन प्रश्नो पर विचार करते हुए अपने चित्र के लिए पत्र लिखना था ।प्रश्न कुछ ऐसे थे-


1. ऐसा क्या है जो वाकई अभी सुनना चाहते हैं। 

2.ऐसा क्या करें जो हम अपने अंदर से अपने को मजबूत महसूस करें और उसको बढ़ा सकें। 

3.अभी हमारे जीवन में क्या मिसिंग है,क्या खोया हुआ है जो हमें वापस पाना है?

ये पत्र उस चित्र से अपने से बातचीत करनी थी, उससे बातचीत करते उसको एक पत्र लिखना है। एक तरह से यह अपने आप से बातचीत थे। जो हम अक्सर  समय नहीं निकाल पाते, हम दुनिया से बातचीत कर रहे होते हैं लेकिन स्वयं से हम बहुत कम ही बातचीत कर रहे थे और इस चित्र के माध्यम से यह बहुत अच्छे से उपाय और हम आसानी से अपने भावों को शब्दों में व्यक्त कर पाए। उसके बाद सभी साथियों ने अपने-अपने लेटर लिखे ।

फिर 3-3 के ग्रुप में सभी को ब्रेक आउट किया गया और वहां पर तीन- तीन लोग एक रूम में कनेक्ट हुए जिसमें 3 लोग आसानी से एक दूसरे से बातचीत कर पाए जो मेरा ग्रुप था। उसमें थे बागेश्वर डाइट से संदीप कुमार जोशी जी और दूसरी मैम देहरादून से थी ।संदीप संदीप कुमार ने बताया कि  मैं चाहता हूं कि तुरंत  पूरी दुनिया  कोरोना से मुक्त हो जाए। दूसरा जो उन्होंने सवाल का जवाब था कि क्षेत्र में कुछ काम करना चाहते हैं और अपने संपर्क में आने वाले बच्चों को और सहयोगियों के साथ सहयोगी की भूमिका निभाना चाहते हैं। तीसरा जो उनको लगता है कि उनको लाइफ में वह बातचीत के माध्यम से निकाल पाए। वह था एक काम को शुरू करता हूं तो पूरा नहीं कर पाता हूं तो वह चाहते हैं कि मैं कुछ काम करूं तो उसको पूरा कर पाऊँ।

नेगी मैम देहरादून से थी कुछ परेशान महसूस कर रही थी खुद को मजबूत करना चाहती हैं और अपनी लेखन प्रतिभा को दुनिया के सामने लाना जाती हैं।  फिर से हम पुराने अपने सभी बड़े ग्रुप में कनेक्ट हो गए।जहाँ पवन सर अपने चित्र पिल्ली को दिखा रहे थे। जिस पर जो कुछ इस तरह से उस पर कविता लिखी थी, 

कुछ रास्ते अलग है तेरे,

 पर हमको एक दूसरे की जरूरत है।........

.................

 तुम भी बदलोगे या फिर से मुझे बदलना है।

डॉ 0 अमिता मैम का समझदार लब्बू,  मनीषा मैम  का लायन सभी खास थे।

शैल्जा मैम ने चिड़ियों की आवाज,बच्चों की आवाज के बारे में अपने चित्र से बात की। अपने चित्र को अपना डर भी बताया लोग क्या कहेंगे इस डर से डरती हूँ।

शायद उनके चित्र ने ये ही बोला होगा 

जब  लोग तुम्हारे खिलाफ बोलने लगे, तब समझ लो तुम तरक्की कर रहे हो।



उसके बाद अन्तिम गतिविधि खास थी जिसमें उस पत्र में जो लिखा था उसको पूरा होते देखना था ।वो चित्र हमारे मन का आइना हमको वो सब दे रहा था जो हमको चाहिये।यह एक पूर्णता का अहसास था।अद्भुत..........।

कोरोना काल में लिखी गयी तनुजा जोशी मैम की सकारात्मक कविता और उनकी सुन्दर आवाज ने सबको आनंद से भर दिया।

 इस तरह दो घण्टे हो गये अपनो के साथ और अपने साथ समय हवा की तरह निकल गया ।जीवन के मीठे अनुभवों की खुशबू देकर।धन्यवाद सुचिता मैम,स्वाती मैम,इमरान सर ,पवन सर ,dream a dream की पूरी टीम और आनन्दम् पाठ्यचर्या................।