यह कहानी है एक अमेरिका के सुप्रसिद्ध वकील जूलियन की जिसके पास हर वह भौतिक संसाधन था,जिसको आज की दुनियाँ में सफलता कहा जाता है।देश के अखबारों की सुर्खियों में उसका नाम,अपना बंगला,प्राइवेट जेट,समर के लिए आइसलैंड में घर और उसकी चमचमाती लाल फरारी .........। एक दिन अचानक जूलियन को हृदय आघात पड़ता है और उसके बाद वह अपनी नौकरी और सारी सम्पत्ति बेच कर कहीं चला जाता है। किंवदंती है कि वह भारत की तरफ गया लेकिन कोई पक्की खबर किसी को भी नहीं थी।अब जब तीन साल गुजर चुके हैं पर उसका साथी जॉन कभी-कभी जूलियन को याद करता है ।वह जानता था कि जूलियन ने यह सब पाने के लिए 18-18 घण्टे काम किया था और कितनी तैयारी की; जिसके लिए उसने अपने परिवार,सेहत और यहाँ तक कि स्वयं से भी कितने समझौते किये थे।एक शाम जॉन के ऑफिस का दरवाजा खुलता है और एक 35 की उम्र का युवक उसके सामने मुस्कुराते हुए खड़ा है। जो जॉन के लिए आश्चर्य से कम नही था ।ये जूलियन था वही जूलियन जो 53 की उम्र में 70 का लगता था ।जो अपना तेज खो चुका था और हँसी की जगह घातक उदासी ले चुकी थी। जिसका कई सालों से कुछ पता न था वही जूलियन .......l
जूलियन बताता है कि इतने सालों तक वह भारत की अध्यात्मिक यात्रा पर था।जिसकी प्रेरणा उसके अन्तर्मन ने उसे दी थी।यहाँ वह भौतिक रूप से संपन्न था किन्तु उसकी आत्मा कुचल गयी थी।वहां उसने अपने अन्दर नव जीवन का संचार किया।
वह गाँव-गाँव पैदल घूमा;भारत के दिव्य मन्दिरों के दर्शन किये और उन महान संतों से मिला जो सादगी से भरा किन्तु परिपूर्ण जीवन जीते हैं।योगी कृष्णन के सुझाव पर जूलियन कश्मीर की दुर्गम पहाडियों पर बसे सवाना के संतों को मिला; जहाँ उसने दिव्य जीवन के वे सभी सद्गुण सीखे जिससे आज वह इस अवस्था में है।वह भी इस वादे के साथ कि वापस जाकर वह इस ज्ञान उन लोगों तक पहुंचाएगा जिनको इसकी आवश्यक्ता है।यह बात सुनकर जॉन भी उस ज्ञान प्राप्ति लिए उत्सुक हो गया और अगली शाम को जूलियन को अपने घर पर आमंत्रित किया। जूलियन सबसे पहले जॉन को अपना मस्तिष्क खाली करने और सीखने के लिए तैयार होने का संदेश देता है।वह अपने गुरु स्वामी रमन के बारे में बताता है, जो उसे 7 दिन तक लगातार पहाडियों पर चढ़ने के बाद मिले थे। वे उसेे दिव्य गाँव में ले गये ,जहाँ गुलाब के फूलों से बनी झोपड़ियों में सन्त सदियों से मिली परम्पराओं को जी रहे थे।उन्होने खुद उम्र पर नियन्त्रण कर लिया था वे चिरजीवी युवा थे। वे जोशीले थे । अपने उद्देश्य प्राप्ति में लगे हुए संतुष्ट जीवन जी रहे थे।
उन्होंने मुझे अपने परिवार के सदस्य की तरह स्वीकार कर लिया। योगी रमन जो उस टोली के मुख्य थे मेरे लिए पिता तुल्य थे। हमारा दिन सादगी से भरा दार्शनिक सिद्धांतों पर चर्चा और मानसिक सुख-शांति के लिए किए जाने वाले छोटे-छोटे अभ्यासों में गुजरता था। मैं धीरे-धीरे उस उच्च जीवन स्तर से मिलने वाले लाभों से अभिभूत हो गया ।दिन प्रतिदिन एक आंतरिक शक्ति और जीवन के लिए उल्लास अनुभव करने लगा। मैं जीवन जीने की इस अद्भुत कला को सीखना चाहता था। एक रात स्वामी रमन मेरी कुटिया में आए और बोले ,"मैं तुम्हें आज वह ज्ञान देना चाहता हूं ,जो हम अनगिनत युगों से जीते आ रहे हैं। यही हमारे अलौकिक जीवन का आधार है।"मैं तत्परता से सुनने लगा ,योगी रमन ने रहस्यमय कहानी सुनानी प्रारंभ की।जिसमें जीवन के सात सूत्र समाहित थे।
कहानी इस प्रकार से है-
एक सुंदर फूलों से भरा हरा-भरा बगीचा है ;जिसमें शांति ही शांति है। जिसका तुम्हें प्रतिक्षण आनंद लेना है। सामने एक छ: मंजिला लाइट हाउस है जिसके निचले दरवाजे के खुलने से बगीचे की शांति भंग होती है। जहां से एक 9 फुट लंबा और 900 पौंड का एक सूमो पहलवान निकलता है। जिसने एक गुलाबी रंग के केबल तार को लंगोट की तरह पहना है और कुछ नहीं ।बगीचे की सैर करते हुए उसकी नजर एक सुनहरी स्टॉप घड़ी पर पड़ती है; जिस पर वह फिसल कर गिर पड़ता है और बेहोश हो जाता है । जैसे ही लगता है कि वह मरने वाला है पास ही में खिले हुए पीले गुलाब के फूलों की खुशबू से वह जाग जाता है। फिर अपनी बाई ओर उसको झाड़ियों के पीछे एक रास्ता दिखता है ।जो हीरो से जड़ित रास्ता है और वह आनंदपूर्वक उस रास्ते पर चल पड़ता है । इस रहस्यमयी कहानी सुनकर जूलियन की निराशा तब दूर होती है,जब योगी रमन उसके प्रत्येक तत्व का भेद बताकर सूत्रों का रहस्योद्घाटन करते हैं।
एक अत्यंत असाधारण बगीचा-
इस कहानी का यह हरा-भरा बगीचा मस्तिष्क का प्रतीक है। जहां सुंदर फूल हैं कोई दूषण नहीं । वैसे ही हमें अपने मस्तिष्क को सकारात्मक विचारों से परिपूर्ण करना है। एक द्वारपाल की तरह नकारात्मक विचारों से इस बगीचे की सुरक्षा करनी है। अच्छी सूचनाएं,अच्छे विचार हमारे मस्तिष्क को पोषित करते हैं। मस्तिष्क का सही संचालन ही जीवन को सही दिशा की ओर ले जाता है। बाहरी दुनिया में हम जैसे भी हैं कुछ और नहीं बल्कि आन्तरिक दुनियाँ का प्रतिबिंब मात्र हैं। जीवन के अनुभव से शिक्षा लेते हुए हमें आगे बढ़ना है ।अतीत के गुलाम बन कर न रहो बल्कि अपने भाग्य के निर्माता बन जाओ। भाग्य निर्माण एक तैयारी मात्र है, जो सही अवसर आने पर प्रकट होगा। मस्तिष्क की सीमाएं असीमित है पर यदि हम उसके स्वामी बन कर जियें न कि गुलाम बनकर। जो भी हमारे जीवन की सीमाएं हैं वह हमने ही तय की हैं। एकाग्र मस्तिष्क निश्चित ही लक्ष्य प्राप्त करता है या तो तुम मस्तिष्क पर नियंत्रण रखते हो या मस्तिष्क तुम पर । जो कुछ भी तुम होना चाहते हो उसका स्पष्ट चित्र मस्तिष्क में रखो क्योंकि कोई भी विचार वास्तविक जीवन में प्रकट होने से पहले मस्तिष्क में प्रकट होता है ।नींद और थकान उनके लिए है जिन्होंने अपने मस्तिष्क को अपने महत्वपूर्ण उद्देश्य और सकारात्मक विचार से नहीं भरा है। हमें किसी दूसरे से नहीं बल्कि स्वयं से बेहतर बनना है तो दूसरे क्या कहते हैं के स्थान पर आप कैसा जीवन चुनते हो यह महत्वपूर्ण है।
सवाना के संत असाधारण रूप से उत्पादनशील ज्ञानी लोग थे क्योंकि उन्होंने स्वयं को अपने निश्चित लक्ष्य पर केंद्रित किया था। कहानी में लाइटहाउस निश्चित लक्ष्यों की तरफ इशारा करता है। हमारे जीवन का उद्देश्य ही उद्देश्य पूर्ण जीवन होना चाहिए। हमारे जीवन के विभिन्न पक्षों शारीरिक, मानसिक,बौद्धिक ,संवेगात्मक और आध्यात्मिक पक्ष के लक्ष्य हो सकते हैं। इनको निर्धारित करें और प्रतिदिन आगे बढें,तुम एक आंतरिक शांति का अनुभव करोगे। जीवन का उद्देश्य ही धर्म है। अपने जीवन का उद्देश्य खोजो । सारी शक्ति उसके अन्वेषण में लगा दो कि तुम किस गुण में सर्वश्रेष्ठ हो? किस काम से तुम्हें प्रसन्नता अनुभव करते हो ? फिर अपनी रूचि के अनुरूप काम करो जब तुम यह करने लगोगे तो तुम पाओगे कि तुम काम कर ही नहीं रहे ।तुम्हें सच्चा आनंद सोने या आलसियों की तरह समय बिताने में कभी नहीं आएगा। जीवन में उच्च लक्ष्य निर्धारित करो ।इससे जीवन में क्रियाशीलता आएगी। जैसे ही हमारा ध्यान जीवन के मुख्य उद्देश्य पर केंद्रित हो जाएगा, जीवन से सारे महत्वहीन काम स्वतः हट जाएंगे। इसके लिए तुम न अभी बहुत बूढ़े हुए हो ना बहुत छोटे ।आज से ही शुरु करें। हजारों मील की यात्रा भी एक कदम से शुरू होती है। तुम्हें ऐसे लक्ष्यों को कभी नहीं पा सकते जो तुम्हारी आंखों के सामने नहीं है । अपने लक्ष्य को कागज पर लिख लें तो सारी प्राकृतिक शक्तियां उसको आकर्षित करने के काम में लग जायेंगी।
लक्ष्य प्राप्ति के लिए सवाना के सन्त पंचपदी का अभ्यास करते थे -
1 - परिणामों का चित्र बनाएं।
2- अपने लक्ष्य प्राप्ति का सकारात्मक दबाव बनाएं।
3 - अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए समयसीमा बनाएं।
4- 21 दिन तक पुरानी आदत को नयी आदत से स्थानांपन करने का लगातार अभ्यास करें।
5- पांच लक्ष्य पाने की प्रक्रिया का आनंद लें प्रफुल्लता के साथ जागें और जो कर रहे हो, उसे उत्साह के साथ करें।
जापानी सूमो पहलवान-
जापानी सूमो पहलवान 'लगातार और अनंत विकास' का प्रतीक है। जो जागृत लोगों का ट्रेडमार्क है। बाहरी रूप से हम तभी विजयी होते हैं जब पहले अपने भीतर विजय प्राप्त कर लेते हैं। जो लोग सीखने के लिए सदैव तैयार रहते हैं, जिनके कप हमेशा खाली होते हैं वह उपलब्धियों के नए-नए आयामों को प्राप्त करते हैं ।स्व सुधार और सविस्तार द्वारा हम निरंतर आगे बढ़ते जाते हैं ।अपने शरीर, मन और आत्मा को समय देते हुए हम अपने अंदर अच्छी- अच्छी आदतें विकसित करें ।अपने शारीरिक
व्यायाम के लिए समय निकालें ,सेहतमंद भोजन लें, अपनी आत्मा के पोषण के लिए ज्ञान प्राप्त करें। ज्ञान प्राप्त करना जीवन का एक दैवीय सुख है। जीवन में विकास की संभावना सदैव ही रहती है। जितना दर्द झेलोगे , तुम उतना ही विकास कर पाओगे ।पीड़ा एक महान शिक्षक है।अपने डर से आगे जाएं, अपने डर को जीतें, तुम जीवन के विजेता बन जाओगे। जिस काम से डर लगता है उसे बार-बार करें। महान लोग छोटे-छोटे सुखों का त्याग ,लंबी अवधि के सुख के लिए कर देते हैं। वह बनने की हिम्मत करो जो तुम सदैव से बनना चाहते हो । हर दिन स्वयं के सुधार और अपने विस्तार के लिए समय दो। अपने बचपन के सपने फिर से जीवित करो और उड़ान भरने वाले जीवन की तैयारी करो । दुनिया में महान लोगों की जीवनी पढ़ो और उनसे सीख लो।
पिंक केबल का तार-
पिंक वायर केबल हमेशा नियंत्रण और अनुशासन की याद दिलाएगा जैसे केबल कई तारों से मिलकर बनी होती है, उसी प्रकार हमारे छोटे-छोटे अनुशासित कार्य हमारी आंतरिक शक्ति को बढ़ाते हैं। जीवन को अनुशासन में रखने के लिए हमें सबसे पहले इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती है। इच्छा शक्ति को दृढ़ करो यही छोटे-छोटे कार्यों जैसे सुबह 5:00 बजे उठना, अज्ञानी लोगों के द्वारा बेज्जती करने पर भी चुप रहना, दूसरों के साथ स्वयं के साथ किए गए वादों को पूरा करने से लेकर महान लक्ष्य की पूर्ति तक ले जाएगा। हम मानसिक शक्तियों का अभ्यास वैसे ही कर सकते हैं,जैसे जिम में जाकर शारीरिक मांसपेशियों का। हमारी रेस हमारे स्वयं के साथ होनी चाहिए, किसी दूसरे के साथ नहीं ।महान लोग किसी के भी जैसा नहीं बनना चाहते हैं बल्कि वह हमेशा स्वयं से बेहतर होना चाहते हैं। स्वतंत्रता यह नहीं है हम जब जो मन करे वो करें बल्कि स्वतंत्रता वह है कि जब हम जो करना चाहे, वह करें। असली स्वतंत्रता उन छोटी -छोटी ईटों से निर्मित होगी जिसमें सबसे पहले इच्छाशक्ति होगी। अपनी आदतों का गुलाम होने के बजाय हम इनको शक्तिशाली विचारों की शक्ति से बदल सकते हैं। शक्तिशाली सकारात्मक विचार हमारे जीवन में जीवन में संपन्नता को आकर्षित करने लगते हैं। नकारात्मकता पर सकारात्मकता हमेशा हावी रहती है जैसे सम्मान न मिलने पर मेहमान चले जाते हैं। वैसे ही नकारात्मक विचार हमारे मन से चले जाते हैं जब उन पर ध्यान नहीं दिया जाता। अपने बारे में सकारात्मक वाक्य बोलें उन्हें दिन में बार-बार मंत्र की तरह दोहराएं।ये तुम्हारी इच्छा शक्ति को मजबूत करेंगे।
चमकदार सुनहरी सटॉप घड़ी-
चमकदार घड़ी हमारे जीवन की सबसे कीमती वस्तु का प्रतीक है जो समय है ।सवाना में संत अपने प्रत्येक क्षण का उपयोग अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए करते थे। अपना समय वे प्राथमिकताओं को थे ना कि बेवजह की कामों को क्योंकि हमारे जीवन के 80 % परिणाम हमारे जीवन के 20 % कामों से आते हैं । 20% काम उच्च प्रभावशीलता वाले काम होते हैं, जिनको हमें अपना समय देना है ।आज से 10 साल बाद कहीं यह बात मायने नहीं रखेगी कि हमने कितने घंटे
गप्पें मारी या कितने घंटे टीवी देखा। महान व्यक्ति प्राथमिकताओं को समय देते हैं। दूसरे लोगों को अपना समय न लेने दें जैसे जरूरी नहीं कि जब हम उच्च प्राथमिकता के कार्य कर रहे हों तो हर फोन कॉल का जवाब दें यह आपकी सुविधा के लिए है ना कि दूसरों की सुविधा के लिए ।दुनिया की अत्यधिक सफल लोग शानदार आदतें विकसित करते हैं जो असफल नहीं करते भले ही वह दोनों को पसंद हो। जीवन को सादगी से भरा बनाओ जीवन की गंभीरता से भी न लो कि हँसना ही भूल जाओ। हर दिन उस आनंद से जियो जैसे यह जीवन का आखिरी दिन हो ।ऐसे विचार करो जैसे सफलता तुम्हारे लिए है कल्पनाओं को कभी सीमाओं में मत बांधो।
पीले गुलाब की खुशबू -
सवाना के संत योगी रमन ने बताया कि सोचो क्या अंत में यह मायने रखेगा कि तुम्हारे पास कितने घर कितनी गाड़ियां थी नहीं। बस तुम्हारे जीवन का मूल्य इस बात से है कि तुमने कितना योगदान दिया ।जब तुम दूसरों को गुलाब देते हो तो उसकी खुशबू से तुम्हारा हाथ जरूर महकता है। जरूरतमंदों की सेवा के अवसर खोजेे जो भी आप समाज में दे सकते हो अपना समय या ऊर्जा जरूर दें ।योगी रमन कहते हैं कि भारत की प्राचीन कहावत जब तुम पैदा हुए थे तो तुम रो रहे थे और सारी दुनिया जश्न बना रही थी। इस दुनिया में ऐसा कुछ करके जाओ कि तुम्हारी मृत्यु पर जब सारी दुनिया रो रही हो और तुम जश्न मना रहे हो। जीवन में अच्छे दोस्त बनाएं जिनके साथ तुम दिल खोलकर हंसो, उगते सूरज को देखो ,दुनिया की बेहतरीन किताबों का ज्ञान बाँटो।
हीरो से जड़ित रास्ता -
यह रास्ता वर्तमान जीवन की छोटी-छोटी खुशियों को दिखाता है। हमारा जीवन अधिकतर अतीत की परेशानियों और भविष्य की चिंता में निकल जाता है।हम वर्तमान को जी नहीं पाते। खुशियां कोई वह पोटली नहीं है जो मंजिल पर पहुंचने पर मिलें। खुशियां तो एक रास्ता है। छोटी-छोटी खुशियों का आनंद लें। खिलते गुलाबों को निहारे, चिड़ियों की चहचहाहट सुनें, जंगल में घूमें,अपनों से प्यार करें। जीवन में लक्ष्य जरूर रखें वे आपको ऊर्जावान रखते हैं किंतु लक्ष्य तक पहुंचने के सफर का आनंद लें। यह ठीक नहीं कि जब आपके पास घर ,गाड़ी हो या कोई सपना पूरा हो जाए तो आप तब के लिए अपनी खुशियां कुर्बान करते रहें। खुशियां बड़े घर और ज्यादा बैंक बैलेंस से नहीं आती क्योंकि दुनियाँ भरी पड़ी है दुखी करोड़पतियों से। खुशी पाने के लिए इसका इंतजार ना करें ,जो कुछ तुम्हारे पास है उसका धन्यवाद दें ।जीवन के अंतिम क्षणों में हम इन छोटी-छोटी खुशियों के आनंद को ही याद कर रहे होंगे और जीवन को दोबारा जीने का मौका हमें वापस नहीं मिलेगा। हम पृथ्वी पर किसी विशेष उद्देश्य से हैं उसे पहचान कर अपनी शक्ति उस तरफ लगा दें और आनंद से उस रास्ते पर चलें। रास्ते भी मंजिल की तरह ही खूबसूरत हैं इनका आनन्द लें। दुनियाँ के सात आश्चर्य में से एक ताजमहल की खूबसूरती विश्वभर में प्रसिद्ध है। जिसको बनने में 22 वर्ष लगे इसका निर्माण कैसे हुआ एक-एक पत्थर से, ऐसे ही महान जीवन छोटी-छोटी जीतों और आदतों का परिणाम होता है जो हम हर दिन जीते हैं।😊
यह पुस्तक रॉबिन शर्मा द्वारा लिखी गई है जो दुनियाँ में सर्वाधिक पढे जाने वाले भारतीय मूल के कैनेडियन लेखक हैं।दुनियाँ के शीर्ष पांच नेतृत्व विशेषज्ञों में से एक माने जाते हैं। रॉबिन शर्मा लीडरशिप इंटरनेशनल के सीईओ हैं। रोबिन अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सर्वाधिक बिकने वाली 11 पुस्तकों के लेखक हैं, जो लगभग 60 देशों में 70 भाषाओं में अनुवादित हो चुकी है। रॉबिन शर्मा श्रेष्ठ लेखक होने के साथ-साथ दुनियाँ के शीर्ष प्रभावशाली वक्ता,सोशल मीडिया सेलिब्रिटी और शानदार ब्लॉगर भी है।