इसकी नींव रमन मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्तकर्ता सामाजिक कार्यकर्ता दीप जोशी और विजय महाजन द्वारा इस संस्था की नींव रखी गई थी।
सुदर्शन ठाकुर जी व्याख्यान की शुरुआत में आजीविका का परिचय देते हैं और बताते हैं कि अपनी बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए मनुष्य जो भी काम करता है वह आजीविका कहलाती है।
हमारे संविधान में स्पष्ट रूप से आजीविका के लिए कुछ नहीं है किंतु विभिन्न अनुच्छेद, राज्य के नीति निदेशक तत्व तथा सुप्रीम कोर्ट के न्यायों की व्याख्या करने पर प्रत्येक व्यक्ति अपनी आजीविका का अधिकार प्राप्त कर सकता है।
इसमें उन्होंने कुछ अनुच्छेद की व्याख्या की जैसे अनुच्छेद 14, 15 ,16, 24 और अनुच्छेद 39 ।सुदर्शन जी स्पष्ट करते हैं कि पेंशन, जनकल्याणकारी तथा जीवनयापन की सुविधाएं इसी के तहत भारतीय नागरिकों को प्राप्त है। आजीविका को महत्वपूर्ण शब्दों में स्पष्ट किया कि आजीविका सिर्फ धन कमाने के लिए नहीं बल्कि अपनी क्षमता के अनुरूप समाज में योगदान तथा अपनी क्षमताओं को बढ़ाने के रूप में देखा जाना चाहिए।
आजीविका की निम्न पांच पहलुओं की व्याख्या करते हुए कहते हैं कि
1)संपति- किसी मनुष्य के पास भौतिक(जंगल,जमीन) व सामाजिक( सुविधाएं) संपति हैं।
2)पहुँच-
कहां तक आदमी कितनी योजनाओं के लाभ ले सकता है?
3)क्षमता-उसकी अपनी क्षमताएं क्या हैं?
4)अभिवृति-
उसकी सोच कैसी है? जैसे उसके पास खेत हैं पर खेती करना पसंद नही।
5)आश्ववासन -
उसको भरोसा होना चाहिए कि जो भी उत्पादन हो उसका बाजारीकरण हो पाएगा या फिर कोई नुकसान होने पर मुआवजे की व्यवस्था होगी।
प्रदान संस्था के बारे में वे बताते हैं की यह 7 राज्यों में कार्य कर रही है और स्थानीय जरूरतों के अनुसार प्राथमिकताएं तय की जाती हैं।
2)पहुँच-
कहां तक आदमी कितनी योजनाओं के लाभ ले सकता है?
3)क्षमता-उसकी अपनी क्षमताएं क्या हैं?
4)अभिवृति-
उसकी सोच कैसी है? जैसे उसके पास खेत हैं पर खेती करना पसंद नही।
5)आश्ववासन -
उसको भरोसा होना चाहिए कि जो भी उत्पादन हो उसका बाजारीकरण हो पाएगा या फिर कोई नुकसान होने पर मुआवजे की व्यवस्था होगी।
प्रदान संस्था के बारे में वे बताते हैं की यह 7 राज्यों में कार्य कर रही है और स्थानीय जरूरतों के अनुसार प्राथमिकताएं तय की जाती हैं।
covid 19 के बाद पूरी सामाजिक दिशा और दशा बदली है। हमारे सामने नए प्रश्न खड़े कर दिए हैं कि गांव में पड़ने वाले दबाव का हम क्या करेंगे? जो युवा वापस आकर तनाव में हैं उनके लिए क्या कर सकते हैं?
इस वक्त गांव की तरफ से मांग होनी चाहिए कि उनके जंगल और जमीन पर निवेश हो।
गांव में कुटीर उद्योगों को स्थापित करना होगा।
इन सब के बावजूद अभी जो मुख्य समस्याएं हैं, प्राथमिकता वही है पब्लिक हेल्थ ,साफ-सफाई ,असंगठित क्षेत्रों में काम कर रहे मजदूरों को किस प्रकार चिह्नित किया जाए?
जिस प्रकार लॉक डाउन के इस दौर में हम इंटरनेट के माध्यम से बातचीत कर पा रहे हैं उसी प्रकार गांव में रोजगार के अवसर इंटरनेट के माध्यम से उपलब्ध कराए जाने पर काम करना होगा।
शिक्षकों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में उन्होंने बताया कि संविधान को पढ़ने और समझने की आवश्यकता है बच्चों तक यह गतिविधि, सामाजिक मुद्दों पर चर्चा के रूप में पहुंच सकता है। अंत में उन्होंने एक महत्वपूर्ण बात कही कि "पढ़ाना बंद कर चर्चा शुरू करें।"
बहुत ही सुंदर 💐
ReplyDeleteगांव में कुछ रोजगार तो खोले ही जाने चाहिए
धन्यवाद !!इसके लिए स्थानीय लोगों और सरकार के सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है इसके साथ ही स्वयंसेवी संस्थाएं महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।
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