शिक्षा एक पूर्ण मानवता की ओर इशारा करती है क्या इसमें कहीं मानवता दिखती है?
लालच, निराशा, ईर्ष्या , द्वेष, भूख ऐसी भावनाएं जो हमारी खुशियाँ छीन लेती हैं। हमें मिलता है एक ऐसा समाज जहाँ हर इंसान परेशान है और दूसरे का शोषण कर आगे बढ़ना चाहता है।
वैश्विक खुशहाली रिपोर्ट 2023 की बात करें तो 136 देशों में भारत 125 वें स्थान पर है, जो हमारी स्थिति को बयाँ करने के लिए काफ़ी है। शायद खुशहाली भी खरीदी जाती तो रिश्वत से खरीद ली जाती लेकिन कुदरत ने यह तोहफ़ा हमारे साथ उपहार में भेजा है। ज़रूरत है तो बस इसको महसूस करने की।
हमारा व्यवहार हमारे विचारों का परिणाम है विचार अपने आस पास से ही हम ग्रहण कर लेते हैं। रिश्वत/ जुए के पैसे से अमीर हुए व्यक्ति को समाज में इज़्ज़त मिलती देख एक बच्चा सीखता है कि पैसा महत्वपूर्ण है। यह मायने नहीं रखता कि पैसे का ज़रिया क्या है? इस प्रकार के उदाहरण ऐसे विचारों को जन्म देते हैं जो न व्यक्ति को खुश रख सकते हैं और न ही इनसे एक समृद्ध खुशहाल समाज हमें मिल सकता है।
विद्यालय एक ऐसा स्थान है जहाँ बच्चे को अपने हुनर निखारने के सभी अवसर उपलब्ध होते हैं। सम्मान, करुणा, सामनुभूति, क्षमा और साहस आदि सभी भाव प्रदर्शित करता है। विद्यालय में आनंदम् पाठ्यचर्या हमें यह अवसर देती है कि हम इन गुणों को निखार पाएं, इन गुणों को महत्व दे पाएं। इन सभी गुणों का जीवन में होना और इनका प्रयोग जीवन को आनंद से भर देता है, यह अहसास कराती है आनंदम् पाठ्यचर्या।
हम आज से 10-15 वर्षों में आगे झाँकें तो आज के विद्यार्थी विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्र का नेतृत्व कर रहे होंगे। जो सिर्फ़ काम पैसे के लिए नहीं कर रहे होंगे बल्कि ख़ुशी से भरपूर जीवन ज़िंददिली से जीना जानते होंगे। दूसरों की मुस्कान में अपनी ख़ुशी देखते होंगे और उनकी जीत में अपनी जीत। आनंदम् की कक्षा में बच्चों के रिफ्लेक्शन से मैं अक्सर ऐसे कल की कल्पना से मुस्कुरा उठती हूँ।
आनंदम् पाठ्यचर्या की ज़रूरत क्या है? यह सवाल बिल्कुल ऐसा ही है जैसे
फूलों में खुश्बू की ज़रूरत क्या है?
बादल में पानी की ज़रूरत क्या है?
पेड़ों में हरियाली की ज़रूरत क्या है?
सूरज को तपने की ज़रूरत क्या है?
Very nice👍
ReplyDeleteThank you ma'am
ReplyDeleteबच्चों में नैतिक मूल्यों की समझ विकसित करनी होगी
ReplyDeleteजी बिल्कुल
DeleteWell written
ReplyDeleteThanks❤
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